सेमिकंडक्टर्स ऐसे सामग्री (Materials) होते हैं जिनकी विद्युत चालकता (Electrical Conductivity)चालकों (Conductors) और रोधकों (Insulators) के बीच होती है।
इनकी बिजली के प्रवाह (Electricity Flow) को नियंत्रित करने की क्षमता के कारण ये सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Electronic Devices) के लिए आवश्यक हैं।
ये बिजली के प्रवाह (Electricity Flow) को चालू/बंद (On/Off) कर सकते हैं – यही स्विचिंग क्षमता (Switching Capability) कंप्यूटर, फोन और टीवी जैसे उपकरणों को संचालित करती है।
सेमिकंडक्टर्स मुख्य रूप से सिलिकॉन (Silicon - Si) और जर्मेनियम (Germanium - Ge) से बने होते हैं, क्योंकि इनकी क्रिस्टल संरचना (Crystal Structure) विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त होती है।
सामान्य सेमिकंडक्टर सामग्री (Common Semiconductor Materials):
सिलिकॉन (Silicon) – सबसे अधिक उपयोग किया जाता है
जर्मेनियम (Germanium)
गैलियम आर्सेनाइड (Gallium Arsenide)
गैलियम नाइट्राइड (Gallium Nitride - GaN) – उच्च शक्ति और उच्च आवृत्ति वाले अनुप्रयोगों (High-Power and High-Frequency Applications) में प्रयुक्त होता है।
सेमिकंडक्टर्स के प्रकार (Types of Semiconductors)
आंतरिक सेमिकंडक्टर (Intrinsic Semiconductor)
यह शुद्ध (Pure) सिलिकॉन या जर्मेनियम से बना होता है, जिसमें कोई अशुद्धियाँ (Impurities) नहीं मिलाई जातीं।
कम तापमान (Low Temperature) पर यह विद्युत प्रवाहित नहीं करता, लेकिन जब तापमान बढ़ता है, तो कुछ इलेक्ट्रॉन (Electrons) चालक बैंड (Conduction Band) में चले जाते हैं और विद्युत प्रवाह शुरू होता है।
बाहरी सेमिकंडक्टर (Extrinsic Semiconductor)
इसमें अशुद्धियाँ मिलाकर इसकी विद्युत चालकता बढ़ाई जाती है। इसे डोपिंग (Doping) प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है। बाहरी सेमिकंडक्टर्स दो प्रकार के होते हैं:
एन-टाइप (N-Type) सेमिकंडक्टर
इसमें पंचसंयोजी (Pentavalent) तत्व जैसे फॉस्फोरस (Phosphorus -P), आर्सेनिक (Arsenic - As) मिलाए जाते हैं।
यह अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों (Electrons) को प्रदान करता है, जो ऋणात्मक आवेश वाहक (Negative Charge Carriers) होते हैं।
इसमें विद्युत प्रवाह मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।
पी-टाइप (P-Type) सेमिकंडक्टर
इसमें त्रिसंयोजी (Trivalent) तत्व जैसे बोरॉन (Boron - B), एल्युमिनियम (Aluminum - Al) मिलाए जाते हैं।
यह छिद्र (Holes) बनाते हैं, जो धनात्मक आवेश वाहक (Positive Charge Carriers) होते हैं।
इसमें विद्युत प्रवाह मुख्य रूप से होल्स (Holes) द्वारा होता है।
सेमिकंडक्टर्स कैसे काम करते हैं? (How Do Semiconductors Work?)
(A) इलेक्ट्रॉनिक बैंड संरचना (Electronic Band Structure)
सेमिकंडक्टर्स की कार्यप्रणाली उनके बैंड गैप (Band Gap) पर निर्भर करती है।
वलेंस बैंड (Valence Band) - इसमें वे इलेक्ट्रॉन होते हैं जो परमाणु के साथ मजबूती से जुड़े होते हैं।
चालकता बैंड (Conduction Band) - इसमें वे इलेक्ट्रॉन होते हैं जो स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं और विद्युत धारा प्रवाहित कर सकते हैं।
बैंड गैप (Band Gap) - यह वलेंस बैंड और कंडक्शन बैंड के बीच ऊर्जा का अंतर होता है।
जब किसी बाहरी ऊर्जा (जैसे तापमान या वोल्टेज) के कारण इलेक्ट्रॉन वलेंस बैंड से कंडक्शन बैंड में चला जाता है, तो विद्युत प्रवाह संभव होता है।
सेमिकंडक्टर्स का यही गुण इन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोगी बनाता है।
सेमिकंडक्टर्स का उपयोग (Applications of Semiconductors)
डायोड (Diode)
यह एक पी-एन जंक्शन (P-N Junction) से बनता है।
यह विद्युत धारा को केवल एक दिशा में प्रवाहित करने की अनुमति देता है।
इसका उपयोग रेक्टिफायर (Rectifier) में किया जाता है, जो AC (Alternating Current) को DC (Direct Current) में बदलने के लिए जरूरी है।
ट्रांजिस्टर (Transistor)
यह एक एनपीएन (NPN) या पीएनपी (PNP) सेमिकंडक्टर डिवाइस होता है।
यह एम्पलीफायर (Amplifier) और स्विच (Switch) की तरह कार्य करता है।
कंप्यूटर चिप्स, रेडियो, और डिजिटल डिवाइसेज़ में ट्रांजिस्टर का उपयोग होता है।
माइक्रोचिप्स (Microchips)
सेमिकंडक्टर्स से बने छोटे-छोटे ट्रांजिस्टर और अन्य घटकों को मिलाकर माइक्रोचिप्स बनाए जाते हैं।
इनका उपयोग कंप्यूटर, मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में किया जाता है।
सेमिकंडक्टर्स का महत्व (Importance of Semiconductors)
स्मार्टफोन, लैपटॉप, और टेलीविजन जैसे उपकरण सेमिकंडक्टर्स के बिना संभव नहीं हैं।
ऑटोमोबाइल उद्योग (Automobile Industry) में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में सेमिकंडक्टर्स की भूमिका बढ़ रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और 5G टेक्नोलॉजी सेमिकंडक्टर्स पर ही आधारित हैं।
चिकित्सा उपकरण (Medical Devices) जैसे MRI स्कैनर, पेसमेकर में सेमिकंडक्टर्स का उपयोग किया जाता है।