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सेंटिनेलीज़ जनजाति

संदर्भ

हाल ही में, एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ANSI) ने अपने एक नीतिगत दस्तावेज़ में कहा है कि अंडमान के उत्तरी सेंटिनली द्वीप में वाणिज्यिक एवं व्यावसायिक हितों के लिये होने वाले दोहन ने सेंटिनेल जनजाति के अस्तित्व के लिये खतरा उत्पन्न कर दिया है। 

प्रमुख बिंदु

  • ए.एन.एस.आई. का यह दस्तावेज़ एक अमेरिकी नागरिक की हत्या के लगभग दो वर्ष बाद आया है। ऐसा अनुमान है कि जॉन एलन की हत्या सेंटिनलीज़ द्वारा की गई थी।
  • दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि इस द्वीप पर सेंटिनेल जनजाति का अधिकार आत्यंतिक अथवा ग़ैर-परक्राम्य (Non-Negotiable) है, अर्थात् इनके अधिकारों से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है।
  • यह उत्तरी सेंटिनली द्वीप के लिये पहला विस्तृत नीतिगत दस्तावेज़ है, जिसे अंडमान और निकोबार प्रशासन के अनुरोध पर तैयार किया गया है।
  • विदित है कि ए.एन.एस.आई. मानव एवं सांस्कृतिक पहलुओं के लिये मानवशास्त्रीय अध्ययन और क्षेत्र डाटा अनुसंधान में संलग्न शीर्ष सरकारी संगठन है। यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है, इसका मुख्यालय कोलकाता में है।

सेंटिनली जनजाति

  • उत्तरी सेंटिनली द्वीप पर निवास करने वाली सेंटिनेल जनजाति 70 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) तथा अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह पर पाई जाने वाली 5 असार्वजनिक जनजातियों में सर्वाधिक असार्वजनिक या सबसे अलग-थलग रहने वाली जनजाति है। वर्तमान में यह जनजाति केवल 50 से 100 की संख्या में ही बची है।
  • यह जनजाति एशिया में अंतिम बची असार्वजनिक जनजातियों (Untouched Tribes) में से एक है। शारीरिक बनावट तथा भाषाई समानताओं के आधार पर यह जनजाति जारवा के काफी करीब है।
  • यह जनजाति अंडमान के उत्तरी सेंटिनली द्वीप पर रहने वाले निग्रिटो समुदाय से संबंधित है। इस जनजाति के लोग अलग-थलग रहते हैं और बाहरी लोगों से शत्रुवत व्यवहार करते हैं।
  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह पर पाई जाने वाली अन्य जनजातियाँ- ग्रेट अंडमानीज़ (Great Andamenese), ओंगे (The Onge), शोम्पेन (The Shompen) और जारवा (Jarawas) हैं।
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