प्रत्येक वर्ष 13 सितंबर को विश्व सेप्सिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया में सेप्सिस संक्रमण के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
सेप्सिस के बारे में
- सेप्सिस एक जानलेवा स्थिति है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी संक्रमण के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया करती है।
- परिणामस्वरूप शरीर के ऊतकों व अंगों को नुकसान पहुँचता है और उनकी विफलता के कारण मृत्यु हो जाती है।
- कारण : आमतौर पर जीवाणु संक्रमण के कारण होता है, जिनमें फेफड़ों (जैसे, निमोनिया), मूत्र पथ, पेट (जैसे अपेंडिसाइटिस) और त्वचा के संक्रमण शामिल हैं।
- यह विषाणु, परजीवी या कवक जैसे अन्य संक्रमणों के कारण भी हो सकता है।
- प्रभावित वर्ग : गंभीर चोट या गंभीर गैर-संचारी रोग से प्रभावित कोई भी व्यक्ति सेप्सिस के लिए संवेदनशील हो सकता है।
- उपचार : विशिष्ट रोगज़नक के प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स उपचार को समायोजित किया जा सकता है।
सेप्सिस संक्रमण की गंभीरता
- डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सेप्सिस दुनिया भर में मौत के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। सेप्सिस संक्रमण में मृत्यु दर 40-50 प्रतिशत तक है।
- वर्ष 2020 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 4.89 करोड़ सेप्सिस के मामले और 1.1 करोड़ मौतें दर्ज की गई हैं।
सेप्सिस और सतत विकास लक्ष्य
- सेप्सिस मातृ, नवजात और बाल मृत्यु दर का एक महत्वपूर्ण कारण है। अतः सेप्सिस से निपटने से इन कमज़ोर आबादी में मृत्यु दर में सुधार किया जा सकता है।
- इससे देखभाल की गुणवत्ता पर सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य 3.8 और 3.1 और 3.2 को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
- सेप्सिस अंततः एचआईवी, तपेदिक, मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों से प्रभावित रोगियों में मृत्यु का कारण भी बन सकता है। ये रोग एसडीजी लक्ष्य 3.3 में शामिल हैं।