(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक भूगोल )
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 3: विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण, बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा)
संदर्भ
ख़बरों के अनुसार, ‘केयर्न ऑयल एंड गैस’ नामक कंपनी राजस्थान के ‘लोअर बाड़मेर हिल फॉर्मेशन’ (Lower Barmer Hill formation) क्षेत्र में शेल-अन्वेषण शुरू करने के लिये अमेरिका की ‘हॉलिबर्टन ऑफशोर सर्विसेज’ के साथ साझेदारी करने जा रही है।
क्या है शेल तेल?
- ‘शेल’ शब्द सामान्यतः उन तलछट चट्टानों के लिये प्रयुक्त होता है, जिसमें ठोस बिटुमिनस पदार्थ उपस्थित होते हैं, इन्हें ‘केरोजन’ कहते हैं। ‘पायरोलिसिस’ (Pyrolysis) नामक प्रक्रिया से चट्टानों को गर्म करने पर ‘केरोजन’ नामक पेट्रोलियम जैसा तरल पदार्थ बाहर आता है, इसे ही ‘शेल तेल’ (Shale Oil) कहते हैं।
- ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों को गर्म करने पर वे रासायनिक रूप से विघटित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को ही ‘पायरोलिसिस’ कहते हैं। इसके लिये अत्यधिक ताप और वायुमंडलीय दाब की आवश्यकता होती है।
- शेल तेल का निर्माण लाखों वर्षों तक कीचड़, गाद और जैविक मलबे के जमाव से होता है। शेल एक प्रकार की अवसादी चट्टान है। शेल तेल का उत्पादन जटिल व महँगा होता है तथा इसे प्राप्त करने के लिये अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है। जिन चट्टानों से शेल तेल का उत्पादन होता है, उनके आस-पास मिलने वाली गैस ‘शेल गैस’ (Shale Gas) कहलाती है।
- तकनीकी तौर पर शेल गैस चट्टानी संरचनाओं से उत्पन्न एक प्राकृतिक गैस होती है, लेकिन यह बालू, लाइमस्टोन व अन्य संरचनाओं से निकलने वाली प्राकृतिक गैस से भिन्न होती है।
शेल तेल का निष्कर्षण
- शेल तेल को 'टाइट तेल' (Tight Oil) भी कहते हैं। यह पारंपरिक कच्चे तेल भंडार की तुलना में अधिक गहराई में पाया जाता है। इसका निष्कर्षण ‘हाइड्रॉलिक फ्रैकिंग’ नामक प्रक्रिया से किया जाता है। इसके अंतर्गत हाइड्रोकार्बन मुक्त करने के लिये तेल और गैस से समृद्ध चट्टान (Shale) को तोड़ने (Fracture) की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ‘हाइड्रोलिक फ्रैकिंग’ से भू-जल प्रदूषित होने की संभावना होती है।
- रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े शेल तेल उत्पादक देशों में शामिल हैं। अमेरिका में शेल तेल के उत्पादन में वृद्धि की, इससे अमेरिका वर्ष 2019 में कच्चे तेल के आयातक से शुद्ध निर्यातक बन गया है।
भारत में शेल तेल की संभावनाएँ
- वर्तमान में, भारत में शेल तेल और शेल गैस का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन नहीं होता है। ओ.एन.जी.सी. ने वर्ष 2013 में इसके अन्वेषण का कार्य शुरू किया था और वर्ष 2021 के अंत तक 25 ब्लॉकों में शेल तेल और शेल गैस की संभावना का पता लगाया। हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में शेल अन्वेषण प्रयासों में सीमित सफलता मिलने के बाद इसमें निवेश कम कर दिया गया है।
- ओ.एन.जी.सी. ने गुजरात में कैम्बे बेसिन और आंध्र प्रदेश में कृष्णा गोदावरी बेसिन में शेल तेल की संभावनाएँव्यक्त की है, किंतु इन घाटियों में तेल के प्रवाह की मात्रा ‘व्यावसायिक’ रूप से उपयुक्त नहीं पाई गई है। भारत में मिलने वाली शैल की सामान्य विशेषताएँ उत्तरी अमेरिकी शैलों से काफी भिन्न हैं।