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शंघाई सहयोग संगठन, संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - शंघाई सहयोग संगठन, क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना)
(मुख्य परीक्षा के लिए - क्षेत्रीय और वैश्विक समूह)

चर्चा में क्यों 

  • शंघाई सहयोग संगठन के ढाँचे के अंतर्गत 13 अक्टूबर को होने वाले संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास (JATE) के समापन समारोह में पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया गया है।
  • शंघाई सहयोग संगठन क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (एससीओ - आरएटीएस) के अंतर्गत संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास का आयोजन भारत द्वारा किया जा रहा है।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 

  • शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
  • इसका गठन जून 2001 में शंघाई(चीन) में किया गया था।
  • SCO के गठन से पहले शंघाई फाइव नाम का एक संगठन था। कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
  • वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया।
  • 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाया गया।
  • दुशांबे में आयोजित 2021 की शिखर वार्ता में ईरान को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
  • रूसी तथा मंडारिन SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
  • यह शंघाई स्पिरिट नामक दर्शन से संचालित होता है, जो कि सद्भाव, सर्वसम्मति से काम करने, दूसरों की संस्कृति का सम्मान करने तथा दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने एवं गुटनिरपेक्षता पर बल देता है। 
  • SCO की अध्यक्षता सदस्य देशों द्वारा रोटेशन के आधार पर एक-एक वर्ष के लिए की  जाती है। 
  • यह संगठन दुनिया की लगभग 42% आबादी, 22% भूमि क्षेत्र और 20% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है।

शंघाई सहयोग संगठन की संरचना 

  • शंघाई सहयोग संगठन के दो स्थायी निकाय हैं –

I.बीजिंग में एससीओ सचिवालय।
II.ताशकंद में क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना की कार्यकारी समिति।

  • राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् शंघाई सहयोग संगठन में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, यह एससीओ शिखर सम्मलेन में बैठक करती है। 
  • सरकार के प्रमुखों की परिषद् संगठन में दूसरी सबसे बड़ी परिषद् है, जो बार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन करती है तथा संगठन के बजट को मंजूरी प्रदान करती है। 
  • विदेश मंत्रियों की परिषद् नियमित बैठकें करती है, जो वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा करती है।
  • सचिवालय संगठन का प्राथमिक कार्यकारी निकाय है, यह संगठनात्मक निर्णयों और दस्तावेजों को लागू करता है तथा दस्तावेज डिपॉजिटरी के रूप में भी कार्य करता है।

क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस)

  • एक स्थायी निकाय के रूप में एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) की स्थापना जून 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग में एससीओ सदस्य देशों के प्रमुखों की परिषद की बैठक के दौरान की गई थी।
  • अपनी स्थापना के बाद से, आरएटीएस क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अलगाववाद, आतंकवाद और चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए समन्वय का स्तंभ बन गया है।
  • आरएटीएस के तहत, सदस्य देश आतंकवाद से निपटने के लिए, जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक दूसरे और अन्य वैश्विक संगठनों के साथ समन्वय करते हैं।
  • आरएटीएस अपने सदस्य देशों के आतंकियों और आतंकी संगठनों का डेटाबेस भी रखता है।

संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास (JATE)

  • संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास (JATE) एससीओ आरएटीएस के ढांचे के भीतर आयोजित एक वार्षिक आतंकवाद रोधी अभ्यास है।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करना तथा एससीओ के सदस्य देशों के आतंकवाद रोधी बलों के बीच समन्वय स्थापित करना है।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य एससीओ के सदस्य देशों के आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन के लिए क्षमताओं को बढ़ाने और सामूहिक रूप से अन्य सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए आतंकवाद रोधी बलों के बीच तालमेल का निर्माण करना है।
  • यह अभ्यास भाग लेने वाले सदस्य देशों को अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अनुभवों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) मानेसर गैरीसन में एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (आरएटीएस) के ढांचे के तहत बहुराष्ट्रीय जेएटी की मेजबानी कर रहा है।
  • भारत ने पिछले साल पाकिस्तान द्वारा आयोजित आरएटीएस मीट में हिस्सा लिया था।
    • सितंबर 2021 में भारत ने दो सप्ताह तक चलने वाले JATE-2021 के समापन समारोह में हिस्सा लिया था।
    • इसकी मेजबानी पाकिस्तान ने खैबर पख्तूनख्वा के पब्बी स्थित नेशनल काउंटर टेरेरिज्म सेंटर में की थी।

भारत के लिए महत्व 

  • sco का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के विरुद्ध सहयोगपूर्ण तरीके से कार्य करना है, जो कि भारतीय हितों के अनुकूल है।
  • यह भारत को मध्य एशिया से जुड़ने के लिये मंच प्रदान कर सकता है।
  • संगठन के सदस्य देशों में विश्व की लगभग आधी जनसंख्या के निवास करने के कारण भारत को पर्यटन के क्षेत्र में इसका लाभ मिलने की संभावना है।
    • वर्तमान में भारत में आने वाले पर्यटकों का लगभग 6 प्रतिशत भाग SCO देशों से आता है, इसे आगे और बढाया जा सकता है।
  • यह संगठन भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ अपने सम्बन्ध सुधारने में भी मदद कर सकता है।
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