New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित 22वें शंघाई शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान समरकंद घोषणापत्र जारी किया गया। साथ ही, भारतीय प्रधानमंत्री ने कई देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भाग लिया।

प्रमुख बिंदु

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 22वें सम्मेलन की मेजबानी उज्बेकिस्तान द्वारा की गयी। इसमें 8 सदस्य राष्ट्रों के अतिरिक्त वार्ता भागीदार राष्ट्रों और पर्यवेक्षक राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए। 
  • हालाँकि, पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में इस बार अफगानिस्तान को निमंत्रित नहीं किया गया। 
  • ईरान को पूर्ण सदस्यता देने का भी निर्णय हुआ। साथ ही, बेलारूस और मंगोलिया को पूर्ण सदस्य बनाने को लेकर भी चर्चा हुई। 
  • इस सम्मलेन से पूर्व मिस्र और कतर को इस संगठन के वार्ता भागीदार सदस्य का दर्ज़ा प्रदान किया गया।

samarkand

शिखर समेलन के प्रमुख बिंदु 

समरकंद घोषणा 

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 22वें शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने समरकंद घोषणा पर हस्ताक्षर किये।
  • इसमें सदस्यों के बीच आपसी दीर्घकालिक अच्छे पड़ोसी का धर्म निभाने और परस्पर मित्रता तथा सहयोग संधि के प्रावधानों के कार्यान्वयन के उद्देश्य से वर्ष 2023-2027 के लिये व्यापक कार्य योजना पर निर्णय शामिल हैं। 
  • इंटर-कनेक्टिविटी विकसित करने, कुशल परिवहन कॉरिडोर बनाने और संगठन की गतिविधियों में सुधार के लिये सदस्य देशों द्वारा सहयोग का निर्णय लिया गया। 

पर्यटन 

  • एस.सी.ओ. के सद्भावना राजदूत की मानद उपाधि पर विनियमों पर निर्णय लिया गया। पर्यटन और संग्रहालय मामलों में सहयोग पर देशों के अधिकृत निकायों के बीच एक समझौता ज्ञापन को भी शामिल किया गया। 
  • लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत तथा पर्यटन क्षमता को अधिक बढ़ावा देने के लिये वाराणसी को वर्ष 2022-23 के लिये एस.सी.ओ. पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी घोषित करने का निर्णय लिया गया। 

सदस्यता 

  • बेलारूस गणराज्य को एस.सी.ओ. का सदस्य बनाने और मालदीव, बहरीन, म्यांमार, संयुक्त अरब अमीरात एवं कुवैत को एस.सी.ओ. का संवाद भागीदार (Dialogue Partner) का दर्ज़ा देने का भी निर्णय लिया गया। 
  • साथ ही, ईरान को एस.सी.ओ. का सदस्य बनाने के लिये प्रतिबद्धता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।  

sco

औद्योगिक क्षेत्र 

  • इस दौरान एस.सी.ओ. सदस्यों के व्यापारिक समुदायों के बीच औद्योगिक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिये कार्यक्रम और डिजिटल साक्षरता विकास पर सहयोग को लेकर सहमति बनी। 
  • इस शिखर सम्मेलन में शंघाई सहयोग संगठन और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (वर्ष 2023-2027) के बीच ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये गए। अक्षय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में सदस्य देशों के अधिकृत निकायों के बीच सहयोग को लेकर भी समझौता हुआ। 
  • सदस्य देशों के लिये प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग (वर्ष 2022-2025) के लिये कार्य योजना तथा टेली-मेडिसिन के क्षेत्र में सहयोग की अवधारणा को भी समझौते में शामिल किया गया। 
  • कृत्रिम बुद्धि के विकास पर एस.सी.ओ. सदस्य देशों के अधिकृत निकायों के बीच सहयोग और संक्रामक रोगों की रोकथाम व उपचार में चिकित्सा संगठनों के बीच सहयोग पर रोडमैप को लेकर एक निर्णय लिया गया।

अन्य बिंदु

  • इस घोषणा में एस.सी.ओ. सदस्य देशों की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना पर संकल्प भी शामिल हैं। 
  • ‘स्मार्ट’ कृषि और कृषि-नवाचार के क्षेत्र में सदस्य राज्यों के अधिकृत निकायों के बीच बातचीत की अवधारणा को भी घोषणा-पत्र में शामिल किया गया। 

शंघाई सहयोग संगठन

  • वर्ष 1996 में शंघाई-5 (Shanghai Five) का गठन किया गया। वर्ष 2001 में उज्बेकिस्तान द्वारा इस समूह में शामिल होने के बाद इसे शंघाई सहयोग संगठन कहा जाने लगा।
  • वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या आठ हैं जिसमें भारत और पाकिस्तान सहित उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, चीन और रूस शामिल हैं। 
  • भारत और पाकिस्तान को वर्ष 2017 में इस समूह में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल किया गया।

भारतीय प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय वार्ता 

भारत-रूस की द्विपक्षीय वार्ता

  • प्रधानमंत्री मोदी ने रूस रूस से यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का प्रयास करने के साथ-साथ वर्तमान विश्व में लोकतंत्र, कूटनीति और संवाद के महत्व को रेखांकित किया।
  • दोनों राष्ट्रों ने युद्ध से उत्पन्न खाद्य संकट और उर्वरक तथा ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की।

भारत-ईरान की द्विपक्षीय वार्ता 

  • भारत और ईरान के मध्य चाबहार बंदरगाह तथा ऊर्जा सहयोग के विषय पर चर्चा हुई। विदित है कि भारत द्वारा इस बंदरगाह पर शहीद बहिश्ति टर्मिनल का निर्माण किया जा रहा है।
  • हालाँकि, भारत द्वारा ईरान से पुन: तेल निर्यात को लेकर कोई भी संकेत नहीं दिखाई दिया।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • प्रधानमंत्री मोदी ने अन्य देशों को महामारी और आपदा के काल में अपने क्षेत्र से पारगम्य व्यापार पहुँच उपलब्ध कराने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की और उज्बेकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों के साथ भी वार्ता की।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR