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शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में

प्रारंभिक परीक्षा - सभी विश्व धरोहर स्थल एवं कानून
मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन, पेपर-1

संदर्भ-

  • शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित एक शहर है, जिसे  17 सितंबर 2023 को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। 

मुख्य बिंदु-

  • इसकी घोषणा यूनेस्को ने 17 सितंबर,2023 को सऊदी अरब के रियाद में की, जहां विश्व धरोहर समिति का 45वां सत्र 25 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है।
  • शांतिनिकेतन यूनेस्को द्वारा घोषित भारत का 41वां विश्व धरोहर स्थल होगा।
  • इसे सांस्कृतिक स्थल के रूप में शामिल किया गया है ।
  • सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, दार्जिलिंग माउंटेन रेलवे के बाद शांतिनिकेतन भारत में 41वां और पश्चिम बंगाल में तीसरा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बन गया है। 
  • वर्ष 2022 में प. बंगाल की दुर्गा पूजा को यूनेस्को के "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" में स्थान मिला था।
  • यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शांतिनिकेतन का प्रस्ताव करने वाले संस्कृति मंत्रालय के दस्तावेज में बताया गया है कि "यह स्थान समय के साथ या दुनिया के सांस्कृतिक क्षेत्र के भीतर, वास्तुकला या प्रौद्योगिकी, स्मारकीय विकास पर मानवीय मूल्यों में एक महत्वपूर्ण आदान-प्रदान प्रदर्शित करता है।"
  • विरासत स्थल सूची में शामिल किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है।”
  • केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “प्रधानमंत्री विश्व भारती के कुलाधिपति हैं और यह उनके गतिशील नेतृत्व में है कि संस्कृति मंत्रालय हमारे स्मारकों की वैश्विक मान्यता के लिए प्रतिबद्ध है और साइटें ,जो हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं।''
  • 17 सितंबर,2023 को प्रतिष्ठित सूची में जगह पाने वाली अन्य साइटों में फिलिस्तीन में प्राचीन जेरिको; ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान में सिल्क रोड का ज़राफशान-काराकुम कॉरिडोर; इथियोपिया में गेडियो सांस्कृतिक परिदृश्य; और चीन के पुएर में जिंगमई पर्वत के पुराने चाय के जंगलों का सांस्कृतिक परिदृश्य शामिल हैं।

शांतिनिकेतन का इतिहास-

  • शांतिनिकेतन जहाँ स्थित है, उस स्थान को मूल रूप से भुबंडंगा कहा जाता था।
  • यहाँ शांतिनिकेतन शहर की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर ने की थी। 
  • महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के अनुयायी थे, जो एक हिंदू धर्म सुधार आंदोलन था जिसने एक एकेश्वरवाद की पूजा. शिक्षा और सामाजिक सुधार के महत्व पर जोर दिया था।
  • 1862 में रायपुर की एक नाव यात्रा के दौरान देबेंद्रनाथ ने यहाँ लाल मिट्टी और हरे-भरे धान के खेतों के परिदृश्य को देखा और एक आश्रम बनाने का फैसला किया। 
  • 1863 में महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर ने भुबंडंगा में जमीन का एक बड़ा टुकड़ा खरीदा, जिसका नाम उन्होंने शांतिनिकेतन रखा, जिसका अर्थ है "शांति का निवास"
  • उन्होंने भूमि पर एक आश्रम की स्थापना की और अपने छात्रों को ब्रह्म समाज के सिद्धांतों के साथ-साथ प्रकृति और सादगी के महत्व के बारे में पढ़ाना शुरू किया।
  • देबेंद्रनाथ ने लंदन के द क्रिस्टल पैलेस से प्रेरित होकर छतिम पेड़ के नीचे, जहां वह ध्यान करते थे, ब्रह्म समाज के प्रार्थनाओं के लिए एक कांच की संरचना बनाई।
  • यह संरचना एक लोकप्रिय आकर्षण थी। 
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर पहली बार 1878 में शांतिनिकेतन आये थे, जब वे 17 वर्ष के थे। 
  • 1888 में देबेंद्रनाथ ने एक ट्रस्ट डीड के माध्यम से संपत्ति को ब्रह्म विद्यालय की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया।
  • 1901 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यहाँ एक विशाल भूमि का चयन किया और प्राचीन भारतीय गुरुकुल प्रणाली पर आधारित 'ब्रह्मचर्य आश्रम' पर एक स्कूल शुरू किया।
  •  बाद में स्कूल को एक विश्वविद्यालय में अपग्रेड कर दिया गया और 1921 में इसका नाम बदलकर ‘विश्व भारती’ कर दिया गया, जिसे कवि ने "जहां दुनिया घोंसले में घर बनाती है" के रूप में वर्णित किया था।

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  • 1913 में, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता। 
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन के विकास के लिए चार प्रकार की योजना की परिकल्पना की थी।
  • शांतिनिकेतन स्कूल (1901)
  • शिक्षाविदों के साथ ललित कला और संगीतका एकीकरण (कलाभवन और संगीत भवन 1919-1920)
  • ग्रामीण पुनर्निर्माण प्रयोग (1922 श्रीनिकेतन)
  • हिंदवी संस्कृतियों का अन्य पूर्वी संस्कृतियों के साथ सांस्कृतिक संबंध तथा पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों के बीच संबंध स्थापित करना।
  • 1951 में शांतिनिकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त होने के बाद भी इस चतुर्मुखी योजना को आज तक अपनाया और कार्यान्वित किया गया है।

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विश्व धरोहर का इतिहास-

  • संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने हमारे पूर्वजों द्वारा दी हुई विरासत को अनमोल मानते हुए और लोगों में इन्हें सुरक्षित और सम्भाल कर रखने के उद्देश्य से 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। 
  • किसी भी राष्ट्र का इतिहास, उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है। जिस देश का इतिहास जितना गौरवमयी होगा, वैश्विक स्तर पर उसका स्थान उतना ही ऊँचा माना जाएगा। 
  • विश्व विरासत के स्थल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं।
  • पहला ‘विश्व विरासत दिवस’ 18 अप्रैल, 1982 को ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा मनाया गया था। 
  • इसे सांस्कृतिक विरासत, स्मारकों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 1983 में यूनेस्को की आम सभा द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • इस तरह विश्व के लगभग सभी देशों ने मिलकर ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने की शपथ ली। इस तरह ‘यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर’ अस्तित्व में आया।

विश्व धरोहर क्या होते हैं-

  • यूनेस्को के अनुसार विश्व विरासत स्थल ऐसे ख़ास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं।
  • यह समिति इन स्थलों की देखरेख यूनेस्को के तत्वावधान में करती है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है, जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • कुछ ख़ास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को स्थल समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
  • प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो, परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आने वाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें।

विश्व धरोहरों को यूनेस्को की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया-

  • किसी भी देश को पहले चरण में किसी स्थल की अस्थाई सूची तैयार करना होता है।
  • कोई भी देश ऐसे किसी संपदा को नामांकित नहीं कर सकता है, जिसका नाम उस सूची में पहले ही सम्मिलित नहीं हुआ हो।
  • दूसरे चरण में विश्व धरोहर केन्द्र द्वारा धरोहर सूची बनाने में सलाह देता है और सहायता प्रदान करता है।
  • तीसरे चरण में नामिनेशन फाइल को दो स्वतंत्र संगठनों द्वारा आकलित किया जाता है, ये हैं- अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ। यह संस्थाएँ फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश करती हैं।
  • चौथे चरण में विश्व धरोहर समिति के निर्णय की बारी आती है।
  • विश्व धरोहर समिति साल में एक बार बैठक करती है और उसी बैठक में तय होता है कि नामांकित सम्पदा को विश्व धरोहर सूची में शामिल करना है या नहीं।
  • पाँचवे चरण में यूनेस्को के दस मानदंडों की कसौटी पर स्थलों की जाँच की जाती है।
  • 2004 से पहले 6 सांस्कृतिक और चार प्राकृतिक मानदंडों को पूरा करना जरूरी था, लेकिन अब 10 मानदंडों का एक ही सेट तय किया गया है।

वैश्विक धरोहरों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है-

1.प्राकृतिक धरोहर स्थलः ऐसे धरोहर स्थल, जो भौतिक या प्राकृतिक रूप से बने हुए हों। ये भौगोलिक दृष्टि से बहुत सुंदर या वैज्ञानिक महत्त्व के भी होने चाहिए। इसके साथ ही यह धरोहर किसी विलुप्त जीव या वनस्पति का प्राकृतिक आवास भी हो सकती है।

2.सांस्कृतिक धरोहर स्थलः इसमें कोई स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी की गुफा तथा शिलालेख आदि शामिल हैं जो ऐतिहासिक सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान या वैश्विक दृष्टि से महत्त्व की हों।

3.मिश्रित धरोहर स्थलः वह धरोहर स्थल जो प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही तौर पर अहम स्थल हों।

ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण प्रदान करने के लिए भारत में कानून-

  • भारत में ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण प्रदान करने के लिए पहला कानून 1810 में बंगाल रेगुलेशन-19 पारित हुआ। इसके बाद 1817 में मद्रास रेगुलेशन-8 पारित हुआ। 
  • इन दोनों कानूनों के जरिए ऐतिहासिक महत्त्व की सरकारी इमारतों के संरक्षण के लिए सरकार को शक्ति दी गई।
  • हालाँकि इन कानूनों में निजी स्वामित्व वाली इमारतों का वर्णन नहीं किया गया था। 
  • 1878 में भारतीय खजाना निधि कानून पारित हुआ, जिसमें खुदाई से मिलने वाले ऐतिहासिक महत्त्व की चीजों के संरक्षण की बात कही गई। 
  • इसके बाद कई छोटे-मोटे कानून बने, लेकिन 1904 में प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम पारित हुआ जो बेहद अहम है।
  • इस कानून में यह व्यवस्था की गई कि निजी स्वामित्व में रखे गये ऐतिहासिक धरोहरों को सरकार अपने कब्जे में रखेगी और उसका संरक्षण करेगी। 
  • 1947 में एक और अहम कानून बना पुरावशेष निर्यात नियंत्रण अधिनियम, इस कानून के तहत प्राचीन अवशेषों के निर्यात के लिए लाइसेंसों को अनिवार्य कर दिया गया। 
  • 1951 में प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल से जुड़ा कानून पास हुआ। 1904 के कानून के तहत घोषित ऐतिहासिक धरोहरों पर इस कानून ने मुहर लगायी। साथ ही सूची में कुछ और नए नाम जोड़े गये।
  • 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के भाग 126 के तहत भी कई स्मारकों को राष्ट्रीय महत्त्व घोषित किया गया। इन तमाम कानूनों के पारित होने के बाद ऐतिहासिक धरोहरों की देख-रेख की पहल पहले से तेज हो गई।
  • देश की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए 1958 में प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम पास किया गया। 
  • अगले वर्ष इससे जुड़ा एक और कानून आया, जो 1972 में पुरातत्व और बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम के नाम से जाना गया।
  • इसमें स्मगलिंग से लेकर निजी स्वामित्व जैसे कई मुद्दे शामिल थे, 1973 में इसमें मामूली संशोधन किया गया। इन कानूनों के अलावा सरकार की तरफ से ऐसी इमारतों और धरोहर को संरक्षण करने एवं सजाने की कोशिश अभी भी जारी है।

भारत के विश्व धरोहर स्थल-

  • वर्तमान में भारत में कुल 41 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं, जिनमें 7 प्राकृतिक, 33 सांस्कृतिक और 1 मिश्रित स्थल हैं

सांस्कृतिक( 33)-

1.आगरा का किला (1983)

2.अजंता गुफाएँ (1983)

3.नालन्दा, बिहार में नालन्दा महाविहार का पुरातात्विक स्थल (2016)

4.सांची में बौद्ध स्मारक (1989)

5.चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क (2004)

6.छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) (2004)

7.गोवा के चर्च और कॉन्वेंट (1986)

8.धौलावीरा: एक हड़प्पा शहर (2021)

9.एलीफेंटा गुफाएँ (1987)

10.एलोरा गुफाएँ (1983)

11.फ़तेहपुर सीकरी (1986)

12.महान जीवंत चोल मंदिर (1987, 2004)

13.हम्पी में स्मारकों का समूह (1986)

14.महाबलीपुरम में स्मारकों का समूह (1984)

15.पत्तदकल में स्मारकों का समूह (1987)

16.राजस्थान के पहाड़ी किले (2013)

17.अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर (2017)

18.हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली (1993)

19.जयपुर शहर, राजस्थान (2019)

20.काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना (2021)

21.खजुराहो स्मारक समूह (1986)

22.बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर (2002)

23.भारत की पर्वतीय रेलवे (1999, 2005, 2008)

24.कुतुब मीनार और उसके स्मारक, दिल्ली (1993)

25.रानी-की-वाव (रानी की बावड़ी), पाटन, गुजरात (2014)

26.लाल किला परिसर (2007)

27.भीमबेटका के रॉक शेल्टर (2003)

28.सूर्य मंदिर, कोणार्क (1984)

29.ताज महल (1983)

30.ले कोर्बुज़िए का वास्तुशिल्प कार्य, आधुनिक आंदोलन में एक उत्कृष्ट योगदान (2016)

31.जंतर मंतर, जयपुर (2010)

32.मुंबई के विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल्स (2018)

33.शांतिनिकेतन (2023)

प्राकृतिक (7)-

1.ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र (2014)

2.काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (1985)

3.केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1985)

4.मानस वन्यजीव अभयारण्य (1985)

5.नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (1988, 2005)

6.सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (1987)

7.पश्चिमी घाट (2012)

मिश्रित (1)-

1.कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (2016)

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- शांतिनिकेतन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इसकी स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी।
  2. 1901 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यहाँ  प्राचीन भारतीय गुरुकुल प्रणाली पर आधारित 'ब्रह्मचर्य आश्रम' पर एक स्कूल शुरू किया।
  3. 1921 में इसका नाम बदलकर ‘विश्व भारती’ कर दिया गया।

उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं

उत्तर- (b)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में किसी स्थल के शामिल होने की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए इसका महत्व बताएं।

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