प्रारंभिक परीक्षा – शुक्रयान-1
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी
सन्दर्भ
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार शुक्रयान-1 के लिए अभी तक भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिली है जिसके परिणामस्वरूप इस मिशन को 2031 तक के लिए स्थगित किया जा सकता है।
शुक्रयान-1
- इसे वीनस मिशन भी कहा जाता है।
- शुक्रयान-1 मिशन एक ऑर्बिटर मिशन होगा।
- शुक्रयान-1 के पेलोड में वर्तमान में एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन सिंथेटिक एपर्चर रडार और एक ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार शामिल हैं।
- इस मिशन में शुक्र की भूगर्भीय और ज्वालामुखीय गतिविधि, सतह पर उत्सर्जन, हवा की गति, बादलों के आवरण का अध्ययन किया जायेगा।
- पृथ्वी से शुक्र की इष्टतम लॉन्च विंडो प्रत्येक 19 महीने में एक बार आती है।
शुक्र ग्रह
- शुक्र को पृथ्वी का जुड़वां बहन कहा जाता है क्योंकि यह आकार और संरचना में पृथ्वी के समान है।
- शुक्र ग्रह (Venus Planet) सौरमंडल का सबसे चमकीला ग्रह है।
- यह बुद्ध के बाद सूर्य से दूसरा सबसे निकटतम ग्रह तथा पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है।
- यह अपनी धुरी पर बहुत धीरे-धीरे घूमता है, शुक्र पर एक दिन पृथ्वी के लगभग 243 दिनों के बराबर होता है।
- माइक्रोबियल जीवन के एक संभावित संकेतक फॉस्फीन गैस का पता शुक्र के वायुमंडल में लगाया गया है।
- शुक्र ग्रह को भोर का तारा (Morning Star) और सांझ का तारा (Evening Star) भी कहा जाता है।
- शुक्र ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है।
- शुक्र का अधिकांश वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड से बना है इसीलिए इसका तापमान बहुत अधिक है।
- शुक्र का बहुत अधिक तापमान तथा इसका अत्यधिक अम्लीय वातावरण इस ग्रह पर जीवन को लगभग असंभव बना देता है।
- यह सौर मंडल के अन्य सभी ग्रहों के विपरीत तथा यूरेनस के समान पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है।