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सिलिका खनन : संबंधित चुनौतियाँ एवं समाधान

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तर प्रदेश में अवैध सिलिका रेत खनन पर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को तीन महीने के भीतर सिलिका रेत खनन एवं सिलिका धुलाई संयंत्रों के लिए विस्तृत अखिल भारतीय दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश जारी किया है। ये दिशानिर्देश सिलिका खनन से संबंधित क्षेत्रों में पाई गई अनियमितताओं के संदर्भ में दिए गए है। 

सिलिका के बारे में 

  • यह सिलिकॉन डाइऑक्साइड का एक प्रमुख घटक है। इसका रासायनिक सूत्र SiO2 है। यह प्रकृति में सामान्यत: क्वार्ट्ज के रूप में उपलब्ध होता है जिसे खनन से प्राप्त किया जाता है। 
  • सिलिका से अशुद्धियाँ एवं संदूषक निकालने के लिए सिलिका रेत धुलाई संयंत्र का उपयोग किया जाता है। 

सिलिका के अनुप्रयोग 

  • निर्माण एवं खनन : सिलिका का लगभग 95% व्यावसायिक उपयोग निर्माण उद्योग एवं खनन क्षेत्र में किया जाता है। इसका प्रयोग टाइल्स (Tiles), ग्राउट (Grout), सिमेंटिंग (Adhesives), कांच उद्योग (Glass Industry) और पोर्टलैंड सीमेंट कंक्रीट (Portland Cement Concrete) आदि के निर्माण में किया जाता है। 
    • इसके अलावा इसका उपयोग ड्रिलिंग एवं सैंड ब्लास्टिंग (Drilling and Sand Blasting) में भी किया जाता है।
    • सिलिका का उपयोग चीनी मिट्टी के बर्तन एवं अन्य सिरेमिक उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में भी किया जाता है।
  • खाद्य पदार्थों में : इसका उपयोग मुख्यत: मसालों एवं गैर-डेयरी कॉफी क्रीमर जैसे पाउडर तथा खाद्य पदार्थों में एंटी-फोमिंग एवं एंटी-केकिंग एजेंट (Anti-foaming and Anti-caking Agent) के रूप में किया जाता है।
    • इसे पेय पदार्थों को साफ करने और चिपचिपाहट को नियंत्रित करने के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। 
    • इसके अलावा इसका प्रयोग खाद्य परिरक्षक (Food Preservative) के रूप में भी किया जाता है। यह खाद्य पदार्थों में फफूंद के विकास के विरुद्ध एक अवरोधक के रूप में कार्य करता है उसे ताज़ा बनाए रखता है। 
  • सौंदर्य प्रसाधन में : सिलिका का उपयोग विभिन्न सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियों में किया जाता है। इसे फेसवाश, त्वचा देखभाल उत्पादों, टैल्कम पाउडर, टूथपेस्ट आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है।
    • इसके अलावा कोलेजन नामक प्रोटीन के निर्माण में भी सिलिका मदद कर सकता है, जो स्वस्थ त्वचा एवं त्वचा की लोचशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
      • त्वचा की लोचशीलता (Skin Elasticity) को त्वचा का खिंचाव (Skin Turgor) भी कहा जाता है। यह त्वचा की अपने मूल आकार में वापस आने की क्षमता है। यह स्वस्थ एवं युवा दिखने वाली त्वचा का एक महत्वपूर्ण कारक है। 
  • धातुकर्म उद्योग में : सिलिका का गलनांक उच्च होता है, जिससे इसका उपयोग लौह एवं अलौह ढलाई उद्योगों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। उच्च गलनांक के कारण सिलिका रेत से बने सांचों से ढलाई किया जा सकता है।
    • इसके अलावा इसका उपयोग धातुओं से अतिरिक्त नमी को अवशोषित करके उनमें जंग लगने से बचाने के लिए किया जा सकता है। 
  • बायोमेडिसिन : सिलिका-आधारित सामग्रियों का उपयोग दवा वितरण प्रणालियों के लिए उपकरणों व कृत्रिम अनुप्रयोगों में जैवसक्रिय सामग्रियों (Bioactive Materials) को डिजाइन करने में किया जा सकता है।   
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में : सिलिका उच्च रक्तचाप, हृदय रोग एवं धमनीकाठिन्य (Arteriosclerosis) के उपचार में उपयोगी हो सकता है। यह स्मृति हानि व एकाग्रता की कमी की रोकथाम में भी मदद कर सकता है। 
    • इसके अलावा इसका उपयोग डी.एनए. और आर.एन.ए. के निष्कर्षण में किया जाता है क्योंकि इसमें कैओट्रोप्स की उपस्थिति में न्यूक्लिक एसिड से बंधने की क्षमता होती है।  
  • दूरसंचार एवं सेमीकंडक्टर : सिलिका का प्रयोग दूरसंचार के लिए ऑप्टिकल फाइबर के निर्माण एवं व्यापक रूप से सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में उपयोग किया जाता है। 

सिलिका खनन के प्रभाव 

  • पर्यावरणीय प्रभाव : सिलिका खनन गतिविधियों के दौरान वनस्पतियों की सफाई (कटाई) एवं मिट्टी के कटाव के परिणामस्वरूप आवास की क्षति, जैव विविधता की हानि और पारिस्थितिकी तंत्र में व्यापक व्यवधान हो सकता है। इसके अलावा वनस्पतियों की कटाई से अपवाह व मृदा क्षरण में भी वृद्धि हो सकती है। 
    • खदानों में खनन और अपशिष्ट पदार्थों के निक्षेप से क्षेत्र की स्थलाकृति तथा जल विज्ञान में परिवर्तन हो सकता है जिससे प्राकृतिक जल निकासी पैटर्न एवं पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
  • वायु प्रदूषण और श्वसन स्वास्थ्य जोखिम : सिलिका खनन से महीन सिलिका कण का निर्माण एक प्रमुख चिंता है। इसे श्वसन में प्रवेश कर सकने वाली क्रिस्टलीय सिलिका (Respiratory Crystalline Silica : RCS) के रूप में जाना जाता है। 
    • RCS के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सिलिकोसिस (Silicosis), फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease : COPD) जैसी गंभीर श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • जल संसाधन प्रदूषण : सिलिका खनन गतिविधियों से जल संसाधनों का संदूषण हो सकता है। निष्कर्षण प्रक्रिया में प्राय: सिलिका अयस्क की धुलाई और प्रसंस्करण के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इससे रसायनों एवं निलंबित ठोस पदार्थों वाले अपशिष्ट जल का अनुचित संचलन और निर्वहन, सतही व भूजल स्रोतों को प्रदूषित कर सकता है। 
  • यह संदूषण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र, जल गुणवत्ता एवं आसपास के समुदायों के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • सामाजिक-आर्थिक बी निहितार्थ : सिलिका खनन से आस-पास के समुदायों पर सामाजिक-आर्थिक परिणाम पड़ सकते हैं। इससे स्थानीय समुदायों का विस्थापन हो सकता है तथा उनकी पारंपरिक आजीविका, जैसे- कृषि व मत्स्य पालन नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। 
    • इसके अतिरिक्त, खनन गतिविधियाँ सामाजिक व्यवधान पैदा कर सकती हैं, जिनमें प्रवास में वृद्धि, सामुदायिक गतिशीलता में परिवर्तन और संसाधनों तक पहुँच तथा भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष आदि शामिल हैं।

संबंधित सुझाव  

  • विनियमन उपाय : सिलिका खनन के प्रभावों को कम करने के लिए विनियामक उपाय एवं जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार आवश्यक हैं। इस संदर्भ में कठोर पर्यावरणीय नियमों को लागू करने से अपशिष्ट पदार्थों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित हो सकेगा, जिसमें अपशिष्टों का सुरक्षित निपटान और जल प्रदूषण की रोकथाम शामिल है। 
  • धूल नियंत्रण उपाय : RCS से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए श्रमिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए पर्याप्त वेंटिलेशन सिस्टम और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए। इसके अलावा धूल नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपायों को शामिल किया जा सकता है- 
    • गीला करने या ढकने की गतिविधियां (Wetting or Covering Operations)    
    • जल का स्प्रे और मिस्टिंग प्रणाली (Water Sprays and Misting Systems)  
    • शुष्क कोहरा प्रौद्योगिकी  (Dry Fog Technology)
    • वेंटिलेशन एवं निकास प्रणाली (Ventilation and Exhaust Systems)
    • धूल संग्राहक, जैसे- बैगहाउस सिस्टम और साइक्लोन संग्राहक (Dust Collectors- Baghouse Systems and Cyclone Collectors)  
    • वायवीय परिवहन प्रणालियाँ (Pneumatic Conveyance Systems)
    • नम इलेक्ट्रोस्टेटिक अवक्षेपक (Wet Electrostatic Precipitators)
    • सामुदायिक सहभागिता और टिकाऊ खनन प्रथाएँ : सतत सिलिका खनन के लिए स्थानीय समुदायों के साथ जोड़ना और निर्णय लेने में उनके दृष्टिकोण को शामिल करना महत्वपूर्ण है। 
    • इस संदर्भ में शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण जैसे सामुदायिक विकास कार्यक्रमों से प्रभावित समुदायों की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। 
    • भूमि सुधार एवं जैव-विविधता बहाली सहित टिकाऊ खनन प्रथाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करने से सिलिका खनन के दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।
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