(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – आधार कार्ड, आधार अधिनियम 2016, यूआईडीएआई)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)
संदर्भ
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया, कि जेल अधिकारियों द्वारा जारी कैदी प्रवेश दस्तावेज (पीआईडी) को आधार डेटा के नामांकन या अद्यतन के लिए एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य
- देश भर में जेल के कैदियों को नामांकित करने के लिए एक विशेष उपाय के रूप में, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार के नामांकन या अद्यतन के लिए एक वैध दस्तावेज के रूप में कैदी प्रवेश दस्तावेज (पीआईडी) को स्वीकार करने पर सहमत हो गया है।
- गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है, कि यूआईडीएआई द्वारा उपलब्ध कराई गई छूट के तहत विशेष कैंप आयोजित करके जेल के कैदियों के लिए आधार कार्ड के नामांकन/अद्यतन की सुविधा प्रदान की जाये ।
- कैदियों को आधार सुविधा देने का अभियान 2017 में शुरू किया गया था, लेकिन योजना में नामांकन के लिए यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित वैध सहायक दस्तावेजों की आवश्यकता होने के कारण, यह प्रक्रिया अपेक्षित तर्ज पर शुरू नहीं हो पायी थी।
- प्रक्रिया को सरल बनाने और आधार को सभी कैदियों के लिए उपलब्ध कराने के लिए, यूआईडीएआई ने अधिकृत जेल अधिकारी द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुहर के साथ प्रमाणित ई-जेल मॉड्यूल से उत्पन्न पीआईडी को आधार के नामांकन/अद्यतन के लिए एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया है।
- इस संबंध में यूआईडीएआई द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में कहा गया है, कि यदि कैदी के जेल दस्तावेज़ में कई उपनाम हैं, तो पहला नाम दर्ज किया जाना चाहिए और जन्म तिथि घोषित/अनुमानित दर्ज की जाएगी।
- यदि वर्तमान पता और स्थायी पता दस्तावेज़ (पीआईडी) में उपलब्ध है, तो स्थायी दस्तावेज़ को निवासी के पते के रूप में लिया जाएगा।
- कैदियों को आधार से जोड़ना बहुत उपयोगी होगा, इससे न केवल कैदियों के कुशल संचालन में मदद मिलेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सुविधा का दुरुपयोग ना हो और जेलों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया गया है।
- इससे जेल प्रशासन के दिन-प्रतिदिन के विभिन्न पहलुओं जैसे अदालत में पेशी, जेल में वापसी, परिवहन, स्वास्थ्य सुविधाएं, परिसर के बाहर अस्पताल में स्थानांतरण, साक्षात्कार, मुफ्त कानूनी सहायता, पैरोल, अस्थायी रिलीज तंत्र, शिक्षा /व्यावसायिक प्रशिक्षण, जेलों से रिहाई आदि को विनियमित किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2021 रिपोर्ट के अनुसार, देश में 1,319 जेल हैं, जिनमें पिछले वर्ष 31 दिसंबर तक लगभग 5.5 लाख कैदी थे।
- भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 की प्रविष्टि 4 के तहत कारागार/ उसमें हिरासत में लिए गए व्यक्ति राज्य का विषय है, जेलों का प्रशासन और प्रबंधन संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
- हालाँकि गृह मंत्रालय जेलों और जेल में कैदियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नियमित मार्गदर्शन और परामर्श देता है।
- आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 57 के अंतर्गत, अधिनियम की धारा 8 और अध्याय VI के तहत प्रक्रिया और दायित्व के अधीन किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या के उपयोग की अनुमति देता है।
आधार
- आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला पहचान पत्र है, इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
- कोई भी व्यक्ति आधार के लिए नामांकन करवा सकता है, यदि वह भारत का निवासी हो और यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करता हो, चाहे उसकी उम्र, लिंग, जाति, धर्म कुछ भी हो।
- आधार कार्ड में व्यक्तियों के पते और जन्म तिथि सहित जनसांख्यिकीय जानकारी के साथ-साथ उंगलियों के निशान और आईरिस स्कैन जैसी बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल होती है।
- आधार कार्ड का यूआईडी नंबर प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होता है और जीवन भर के लिए उनके लिए मान्य रहता है।
- प्रत्येक व्यक्ति आधार के लिए केवल एक बार नामांकन करवा सकता है।
- अवयस्क भी आधार कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नीले रंग का आधार मिलता है , जिसे 5 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद अपडेट कराना होता है।
- आधार कार्ड एक पहचान पत्र मात्र है, यह नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है।
- वैध भारतीय पासपोर्ट के साथ एक एनआरआई, किसी भी आधार केंद्र से आधार के लिए आवेदन कर सकता है, हालाँकि, आधार अधिनियम 2016 के अनुसार , किसी भी व्यक्ति को नामांकन आवेदन की तारीख से ठीक पहले के वर्ष में 182 दिनों या उससे अधिक समय तक भारत में रहना अनिवार्य है।
- विशिष्टता, प्रमाणीकरण, वित्तीय पता और ई-केवाईसी की अपनी अंतर्निहित विशेषताओं के साथ आधार पहचान मंच , भारत सरकार को केवल निवासी के आधार नंबर का उपयोग करके विभिन्न सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के वितरण में सीधे देश के निवासियों तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई)
- यूआईडीएआई की स्थापना 2009 में योजना आयोग (अब नीति आयोग) के एक संबद्ध कार्यालय के रूप में की गयी थी।
- आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 द्वारा इसे वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- अब यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में कार्य करता है।
- आधार अधिनियम 2016 के तहत, यूआईडीएआई के प्रमुख कार्य हैं -
- आधार नामांकन और प्रमाणीकरण।
- आधार जीवन चक्र के सभी चरणों का संचालन और प्रबंधन।
- व्यक्तियों को आधार संख्या जारी करने के लिए नीति, प्रक्रिया और प्रणाली का विकास करना।
- पहचान की जानकारी और व्यक्तियों के रिकॉर्ड का प्रमाणीकरण।