
- SMRs यानी स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स छोटे, सुरक्षित और लचीले (Flexible) नाभिकीय रिएक्टर होते हैं जिन्हें प्रति यूनिट 300 मेगावाट (MW(e)) तक बिजली पैदा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- ये पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों (Traditional Nuclear Reactors) से छोटे होते हैं, जिनकी क्षमता आमतौर पर 700 मेगावाट या उससे अधिक होती है।
मुख्य विशेषताएं (Key Features):
- आकार और क्षमता (Size & Capacity): ये रिएक्टर छोटे होते हैं और दूरदराज़ (Remote) क्षेत्रों तथा छोटी विद्युत ग्रिड्स (Smaller Grids) के लिए उपयुक्त होते हैं।
- मॉड्यूलर डिज़ाइन (Modular Design): ये फैक्ट्रियों में पूर्व-निर्मित (Pre-assembled) किए जाते हैं और फिर स्थापना स्थल (Installation Site) पर लाकर जोड़े जाते हैं।इससे निर्माण का समय कम होता है।
- सुरक्षा (Safety): इनमें नैसर्गिक परिसंचरण (Natural Circulation) जैसी निष्क्रिय सुरक्षा तकनीकें (Passive Safety Features) होती हैं जो बिना बाहरी ऊर्जा स्रोत के भी रिएक्टर को ठंडा कर सकती हैं।इनमें मजबूत आवरण प्रणाली (Robust Containment Systems) भी होती हैं।
- लचीलापन (Flexibility): SMRs का उपयोग न केवल बिजली उत्पादन (Power Generation), बल्कि समुद्री जल को मीठा करने (Desalination) और स्थानीय ताप आपूर्ति (District Heating) के लिए भी किया जा सकता है।
- ईंधन प्रकार (Fuel Types): ये विभिन्न प्रकार के नाभिकीय ईंधनों का उपयोग करते हैं जैसे:
- यूरेनियम-235 (Uranium-235)
- यूरेनियम-233 (Uranium-233)
- थोरियम (Thorium)
- कम पूंजी लागत (Lower Capital Costs): इनकी प्रारंभिक लागत (Upfront Cost) पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में कम होती है, क्योंकि ये छोटे और मॉड्यूलर होते हैं।
- तेज़ निर्माण (Faster Construction): फैक्ट्री में बनने और आसानी से जोड़े जाने के कारण इनका निर्माण कम समय (Shorter Build Time) में संभव होता है।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) के लाभ (Benefits):
- बेहतर सुरक्षा (Enhanced Safety): SMRs में निष्क्रिय सुरक्षा प्रणाली (Passive Safety Systems) होती है, जो दुर्घटनाओं (Accidents) की संभावना को बहुत कम कर देती है।
- पर्यावरणीय लाभ (Environmental): ये कम-कार्बन बिजली (Low-Carbon Electricity) का उत्पादन करते हैं, जो जलवायु लक्ष्यों (Climate Goals) को पूरा करने में सहायक है।
- ऊर्जा पहुँच (Energy Access): ये दूरदराज़ या बिजली से वंचित क्षेत्रों (Remote or Off-grid Areas) के लिए बहुत उपयुक्त हैं।
- आर्थिक व्यवहार्यता (Economic Feasibility): इनकी प्रारंभिक लागत (Capital Investment) कम होती है, जिससे परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) अधिक सुलभ बनती है।
- वृद्धि की संभावना (Scalability): जैसे-जैसे मांग बढ़े, वैसे-वैसे अतिरिक्त यूनिट (Additional Units) जोड़ना आसान होता है।
SMRs की चुनौतियाँ (Challenges):
- नियामक अनुमोदन (Regulatory Approval): नाभिकीय विनियामक प्रक्रियाएँ (Nuclear Regulatory Processes) लंबी होती हैं, जिससे अनुमोदन में देरी हो सकती है।
- अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management): परमाणु कचरे का दीर्घकालिक निपटान (Long-term Disposal of Nuclear Waste) आज भी एक बड़ी चिंता है।
- जन-धारणा (Public Perception): सुरक्षा से संबंधित चिंताओं (Safety Concerns) को दूर कर जनता का विश्वास (Public Acceptance) हासिल करना चुनौती है।
- आर्थिक स्थायित्व (Economic Viability): बिना भारी सब्सिडी (Heavy Subsidies) के लागत को किफायती (Cost-effective) बनाए रखना ज़रूरी है।
रिएक्टरों के प्रकार (Types of Nuclear Reactors):
रिएक्टर का प्रकार
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क्षमता (Capacity)
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उपयोगिता
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बड़े पारंपरिक रिएक्टर (Large Conventional Reactors)
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700+ मेगावाट (MW(e))
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बड़े शहरों या औद्योगिक उपयोग के लिए
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स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (Small Modular Reactors - SMRs)
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300 मेगावाट (MW(e)) तक
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मध्यम शहरों और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के लिए
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माइक्रो-रिएक्टर (Microreactors)
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लगभग 10 मेगावाट (MW(e))
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दूरस्थ सैन्य ठिकानों, अनुसंधान स्टेशनों के लिए
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Small Modular Reactors (SMRs) का महत्व (Significance):
कम आवृत्ति पर ईंधन भरना (Less Frequent Refuelling):
- पारंपरिक रिएक्टरों (Conventional Reactors) को हर 1-2 साल में ईंधन भरना (Refuelling) पड़ता है।
- SMRs को केवल हर 3-7 साल में ही ईंधन भरने की आवश्यकता होती है (IAEA के अनुसार)।
- इससे ऑपरेशन में रुकावट (Operational Downtime) कम होती है और दक्षता (Efficiency) बढ़ती है।
- पूर्वनिर्मित इकाइयाँ (Prefabricated Units):
- SMRs को फैक्टरी में तैयार (Factory-built) किया जाता है और बाद में स्थल पर स्थापित (On-site Installation) किया जाता है।
- यह मॉड्यूलर दृष्टिकोण (Modular Approach) निर्माण लागत और समय को घटाता है, तथा तैनाती (Deployment) को सरल बनाता है।
- सुधारित सुरक्षा (Improved Safety):
- SMRs इस प्रकार डिज़ाइन किए गए हैं कि रेडियोधर्मिता (Radioactivity) के हानिकारक रिसाव (Unsafe Releases) की संभावना को या तो समाप्त कर दें या बहुत कम कर दें।
- इनमें निष्क्रिय सुरक्षा तंत्र (Passive Safety Features) और मज़बूत बंदीकरण प्रणाली (Robust Containment Systems) होती है, जिससे पारंपरिक रिएक्टरों की तुलना में ये अधिक सुरक्षित होते हैं।
- भारत स्मॉल रिएक्टर्स (Bharat Small Reactors – BSRs):
- प्रौद्योगिकी आधार (Technology Base):BSRs, SMRs पर आधारित होंगे लेकिन इनमें भारत की Pressurized Heavy Water Reactor (PHWR) तकनीक का उपयोग होगा।यह उन्हें पारंपरिक SMRs से अलग बनाता है, जो आमतौर पर पूर्व-निर्मित और तुरंत जोड़े जा सकने वाले (Factory-built and Easily Assembled) होते हैं।
- ऊर्जा में योगदान (Energy Contribution):भारत में परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) का वर्तमान योगदान मात्र 1.6% है।BSRs इसे बढ़ाने और स्थायी बनाने (Scalable & Sustainable) में मदद करेंगे।
- उद्देश्य (Purpose):-BSRs का विकास भारत की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) और पर्यावरणीय लक्ष्यों (Environmental Goals) को समर्थन देने के लिए किया जा रहा है।यह भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता (Nuclear Energy Capacity) बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।