(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 : कृषि उत्पादन का परिवहन और विपणन)
चर्चा में क्यों?
फल और सब्ज़ियाँ जल्दी खराब होने वाले सामान (पेरिशेबल) होते हैं, इन्हें एक निश्चित समय पर खेत से तोड़ना होता अन्यथा फसल खराब हो जाती है। साथ ही खेत से निकली फसल को मंडी तक पहुँचाना भी होता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण किसानों की फल और सब्ज़ियाँ काफी समय तक मंडी नहीं पहुँच पा रही हैं। और शहरों में लोगों को दोगुनी-तीन गुनी कीमतों पर खरीदनी पड़ रही हैं। दूसरे राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन में मुश्किल हो रही है तो दूसरे देशों तक माल भेजना भी मुश्किल है।
अतः केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS) को लागू करें जिससे खराब होने वाली फसलों के लिये पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
क्या है बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS)?
- यह एक मूल्य समर्थन तंत्र है। यह योजना राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सरकार के अनुरोध पर क्रियान्वित की जाती है।
- इस योजना का क्रियान्वयन कृषि एवं सहकारिता विभाग करता है।
- इसके क्रियान्वयन पर राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सरकार मैदानी राज्यों में होने वाले नुकसान का 50 प्रतिशत तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में होने वाले नुकसान का 25 प्रतिशत वहन करते हैं।
- योजना के अंतर्गत, MIS दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कृषि उत्पादों का मूल्य, बाज़ार मूल्य से 10 प्रतिशत कम हो या फिर उत्पादन 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जाए तो राज्य सरकारें इस योजना का लाभ उठा सकती हैं।
- राज्यों की खरीद एजेंसियों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिये तय बाजार हस्तक्षेप मूल्य (MIP) पर निर्धारित की गई मात्रा केंद्रीय एजेंसी के रूप में NAFED द्वारा खरीदी जाती है, या फिर इसके तहत खरीद तब तक की जाती है जब तक दाम MIP से ऊपर स्थिर नहीं होता।
- जिन सामग्रियों के लिये MIS का प्रावधान है, वे हैं – सेब, कीनू/माल्टा, लहसुन, नारंगी, गलगल, अंगूर, कुकुरमुत्ता, लौंग, काली मिर्च, अनानास, अदरक, लाल मिर्च, धनिया आदि।
MIS का वित्तपोषण
- MIS योजना के अंतर्गत राज्यों को धनराशि आवंटित नहीं की जाती है।
- इसके विपरीत राज्यों से प्राप्त विशेष प्रस्तावों के आधार पर नुकसान का केंद्र सरकार का अंश राज्य सरकारों को निर्गत कर दिया जाता है। इसके लियेयोजना के अंतर्गत दिशा-निर्देश निर्धारित रहते हैं।
- सभी कृषि और बागवानी वस्तुएँ जिनके लियेन्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय नहीं हैं और आमतौर पर प्रकृति में खराब होती हैं, बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के अंतर्गत आती हैं।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक कृषि मूल्य नीति (APP) है।
- किसानों को उनकी फसल लागत से ज्यादा मूल्य प्राप्त हो, इसलियेभारत सरकार देशभर में एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है। खरीदार नहीं मिलने पर सरकार MSP पर किसान से फसल खरीद लेती है।
- अगर देश में फसल का उत्पादन बढ़ता है तो बिक्री मूल्य कम हो जाता है। कृषि उत्पादों के मूल्यों में गिरावट को रोकने के लियेसरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है, जो एक सत्र के लियेमान्य होता है।
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