चर्चा में क्यों
हाल ही में, अमेरिका ने कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिये कार्बन की सामाजिक लागत के रूप में ‘कार्बन कर’ का प्रस्ताव रखा है। यह प्रतिवर्ष प्रतिटन कार्बन उत्सर्जन पर आधारित है।
प्रमुख बिंदु
- ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से बाढ़, सूखा और अन्य आपदाओं में वृद्धि हुई है। इसलिये, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये कई देश और स्थानीय सरकारें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन पर एक मूल्य कर लगा रही हैं।
- वर्तमान स्थिति को देखते हुए अमेरिका ने कार्बन मूल्य निर्धारण नीति का प्रस्ताव रखा है। अमेरिकी सरकार ने कार्बन उत्सर्जन की सामाजिक लागत लगभग 51 डॉलर निर्धारित की है, जिसका तात्पर्य यह है कि विद्युत संयंत्र या टेल पाइप से निकलने वाले प्रत्येक टन कार्बन डाइऑक्साइड को आगामी वर्षों में आर्थिक नुकसान के रूप में 51 डॉलर का योगदान करना होगा।
- उल्लेखनीय है कि पेंसिल्वेनिया कार्बन मूल्य निर्धारण नीति अपनाने वाला अमेरिका का पहला प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक राज्य बन गया है। यह अमेरिका के उन 11 राज्यों में शामिल है जहाँ कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस विद्युत संयंत्रों को उनके द्वारा उत्सर्जित प्रत्येक टन कार्बन डाइऑक्साइड के लिये क्रेडिट खरीदने की आवश्यकता है।
कार्बन मूल्य निर्धारण (Carbon Pricing)
- कार्बन मूल्य निर्धारण, कार्बन उत्सर्जन पर एक मूल्य निर्धारित कर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये एक बाज़ार आधारित रणनीति है। यह दर्शाता है कि नीलामी में प्रस्तुत किये जाने वाले उत्सर्जन क्रेडिट की सीमित मात्रा के लिये कंपनियाँ कितना भुगतान करने को तैयार हैं।
- यह आर्थिक संकेतक है जिसके आधार पर प्रदूषक स्वयं निर्धारित करते हैं कि क्या अपनी प्रदूषणकारी गतिविधियों को बंद करना है, उत्सर्जन को कम करना है या प्रदूषण को जारी रख कर इसके लिये भुगतान करना है।
कार्बन कर (Carbon Tax)
कार्बन कर, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर कर की दर को परिभाषित करके कार्बन (विशेषकर जीवाश्म ईंधन की कार्बन सामग्री) पर एक मूल्य निर्धारित करता है।