(प्रारम्भिक परीक्षा- सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: पूँजी बाज़ार- वृद्धि एवं विकास)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, सेबी (SEBI) द्वारा सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (Social stock exchange- SSE) पर गठित कार्य समूह (Working group) ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
- सेबी द्वारा इस पैनल का गठन इशात हुसैन (एस.बी.आई. फाउंडेशन के संचालक तथा टाटा संस के पूर्व वित्त संचालक) की अध्यक्षता में सितम्बर 2019 में किया गया था।
- सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज के विचार की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2019-20 के दौरान की गई थी।
पैनल की मुख्य अनुशंसाएँ
- सामाजिक संस्थाओं और गैर लाभकारी संगठनों (एन.पी.ओ.) को बॉन्ड जारी करके कोष जुटाने हेतु सीधे सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की सुविधा प्रदान किया जाए।
- वित्तपोषण तंत्र में वैकल्पिक निवेश फण्ड (Alternative Investment Fund/AIF) के अंतर्गत सामाजिक वेंचर फण्ड (Social Venture Fund/SVF) को भी शामिल किया जाना चाहिये।
- सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज के अंतर्गत संस्थाओं के लिये न्यूनतम रिपोर्टिंग मानक (Minimum Reporting Standard) सुनिश्चित किये जाएँ।
- लाभकारी सामाजिक संस्थाओं को भी कुछ रिपोर्टिंग प्रावधानों के साथ सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाना चाहिये, जिससे उन्हें कर में छूट के लिये प्रोत्सहित किया जा सके।
सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज
- सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज भारत में एक नया विचार है। इसके माध्यम से सामाजिक उद्यमों में निवेश किया जा सकेगा। इसका उद्देश्य निजी एवं गैर लाभकारी क्षेत्र को पूंजी की उपलब्धता में सुगमता प्रदान करने के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र को विकास करना है।
- सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज को पहले से स्थापित स्टॉक एक्सचेंज बी.एस.ई. अथवा एन.एस.ई. के अंतर्गत ही संचालित किया जाएगा, जिससे सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज मौजूदा स्टॉक एक्सचेंज की अवसंरचना के साथ-साथ इनके ग्राहक सम्बंध, निवेशक, परोपकारी दानदाताओं तथा लाभकारी व गैर-लाभकारी संस्थाओं का लाभ प्राप्त हो सके।
- ज्ञात हो कि सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, जमैका और केन्या में पहले से ही कार्य कर रहे हैं।
सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज का महत्त्व
- इससे गैर-लाभकारी संस्थाएँ तथा सामाजिक कल्याण संस्थाएँ एक पारदर्शी इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म पर सामाजिक पूँजी का लाभ प्राप्त कर सकेंगी।
- सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज के कार्यरत होने से गैर लाभकारी क्षेत्र को एक अनुकूल वातावरण के साथ-साथ अपनी क्षमताओं का पूर्ण रूप से उपयोग करने का अवसर प्राप्त होगा।
- इससे कोरोना वायरस महामारी के दौरान कमजोर होती सामाजिक संरचना को मजबूत करने में सहायता प्राप्त हो सकेगी।
- भारत में सामाजिक पूंजी के निर्मित होने से लोग आत्मनिर्भर होंगे, जिससे सरकार पर रोजगार तथा अन्य सुविधाओं की उपलब्धता के लिये दबाव कम होगा।
सामाजिक संस्थाएँ
ये ऐसी संस्थाएँ होती हैं, जिनका प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक कल्याण तथा समाज सेवा करना होता है, लाभ कमाना नहीं। जैसे: स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करवाना, शिक्षा प्रदान करना, अक्षय उर्जा के क्षेत्र में कार्य करना आदि।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम,1992 के अंतर्गत 12 अप्रैल 1992 को की गई थी।
- इसके मुख्य कार्य निवेशकों के हितों को संरक्षण प्रदान करना, प्रतिभूति बाज़ार को विनियमित करना, स्टॉक एक्सचेंज तथा स्टॉक ब्रोकर्स का नियमन करना एवं भेदिया कारोबार पर रोक लगाना आदि हैं।
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आगे की राह
- भारत में बड़ी संख्या में सामाजिक उपक्रम कार्यशील हैं जोकि बड़े स्तर पर सामाजिक कल्याण के कार्य में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं किंतु इन संस्थाओं में कुप्रबंधन तथा अपारदर्शिता एक बड़ी समस्या है।
- समाज सेवी संस्थाओं द्वारा सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज के साथ दस्तावजों को साझा करने में पारदर्शिता के साथ-साथ उनकी जवाबदेही को सुनिश्चित करने का प्रावधान किया जाना आवश्यक है ताकि निवेशकों के अधिकार और हितों को संरक्षित किया जा सके।
- गैर-लाभकारी क्षेत्र को इक्विटी, बॉन्ड और म्यूच्यूअल फण्ड के माध्यम से कोष जुटाने तथा सामाजिक क्षेत्र को विकसित करने की दिशा में सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज का विचार एक सराहनीय पहल है।