प्रारम्भिक परीक्षा – “साफ्ट स्टोन अंडर कट जाली वर्क” कला मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
संदर्भ
पत्थरों को तराश कर जालीदार आकृति बनाना और बिना किसी जोड़ के उसके अंदर हुबहु वैसी ही आकृति गढ़ना काशी के कलाकारों की नायाब कलाकारी है।
प्रमुख बिंदु
- इस कला का संबंध उत्तर प्रदेश के वाराणसी से है,जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं।
- हाल के वर्षों (वर्ष 2014 से अब तक)में ट्रेनिंग, टूल किट, प्रमोशन, ब्रांडिंग आदि में सरकार के प्रयासों ने काशी की इस कला में फिर से जान डाल दी है।
- सरकार द्वारा ब्रांडिंग और विदेशी मेहमानों को इसे उपहार स्वरूप भेंट करने से इसकी ख्याति विदेश तक पहुंच गई है। जिससे इस कला के कलाकार एक बार फिर जुड़ने लगे हैं।
“साफ्ट स्टोन अंडर कट जाली वर्क” कला:-
- इसमें एक ही पत्थर के टुकड़े पर बिना किसी जोड़ के पाइप के सहारे अंडर कट वर्क करके आकृतियां गढ़ी जाती हैं। उदहरण : एक ही पत्थर से बने हाथी के अंदर दूसरा हाथी, उसके भी अंदर एक हाथी।
विशेषता :-
- इस कला में हाथी, अन्य पशु-पक्षी या कोई अन्य आकृति गढ़ी जाती है।
- यह कलाकृति काशी के अतिरिक्त आगरा में भी बनाई जाती है।
- वर्तमान में इस कला की मांग अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, ब्राजील, कतर, थाइलैंड, श्रीलंका के साथ ही बौद्ध सर्किट के अन्य देशों में काफी बढ़ रही है।
- इसके उद्योग को 'साफ्ट स्टोन अंडर कट जाली वर्क' को एक जिला एक उत्पाद (ODOP) में शामिल करने की योजना है, जिससे इस कला को एक विशेष पहचान मिलेगी।
- एक कलाकृति की कीमत 50 रुपये से 25,000 तक होती है।
- इस कलाकृति का सालाना कारोबार 12 करोड़ रुपये से अधिक है।
- इस कला से काशी के लगभग 700 पारंपरिक कारीगर जुड़े हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- उत्तर प्रदेश के किस जिले में “साफ्ट स्टोन अंडर कट जाली वर्क” कला
बनायी जाती है?
(a) गोरखपुर
(b) आज़मगढ़
(c) जौनपुर
(d) वाराणसी
उत्तर: (d)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- “साफ्ट स्टोन अंडर कट जाली वर्क” क्या है? इसके महत्व की व्याख्या कीजिए।
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