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सौर ऊर्जा: ऊर्जा सुरक्षा का बढ़ता महत्त्व

(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, पर्यावरण व पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनयादी ढ़ाँचा- ऊर्जा)

पृष्ठभूमि

कोविड-19 महामारी ने सभी क्षेत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। इस महामारी के बाद चीन से सौर उपकरणों तथा मॉड्यूल की आपूर्ति बाधित होने से भारत के समक्ष वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट क्षमता के महत्त्वाकांक्षी ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने में कई प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न हो गई हैं।

सौर ऊर्जा

  • सीधे सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ‘सौर ऊर्जा’ कहते हैं। सौर ऊर्जा ही मौसम व जलवायु में परिवर्तन के लिये ज़िम्मेदार है। यह ऊर्जा ही पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़ पौधे और जीव जंतु) का सहारा है।
  • सौर ऊर्जा तकनीक का प्रयोग करके सूर्य से प्राप्त उर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को दो प्रकार से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।

I. प्रकाश विद्युत सेल की सहायता से
II. जल को सूर्य की ऊष्मा से वाष्प में परिवर्तित कर विद्युत जेनेरेटर चलाकर (स्टीम टरबाइन)।

सौर ऊर्जा क्षेत्र से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैश्विक ऊर्जा माँग में वर्ष 2040 तक 11 % तक की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2016 में 5 % थी।
  • भारत में ऊर्जा की खपत वर्ष 2035 तक 4.2 % प्रतिवर्ष की दर से बढ़ने की सम्भावना है।
  • वर्ष 2030 तक ग़ैर जीवाश्म ईंधन स्त्रोतों जैसे, कोयला व तेल पर निर्भरता घटने का अनुमान है। साथ ही, कम मात्रा में कार्बन उत्सर्जित करने वाले स्त्रोत- सौर फोटोवोल्टिक (पी.वी.) के द्वारा बढ़ी हुई ऊर्जा की माँग का 50 % से भी अधिक प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • भारत जलवायु कार्यवाही प्रतिबद्धता(Climate Action Commitment) के तहत वर्ष 2030 तक ग़ैर-जीवाश्म स्त्रोतों से कुल शक्ति (Power) का 40 % तक उत्पादन करने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • सौर सेल के निर्माण के लिये भारत की वार्षिक माँग 20 गीगावॉट की है जबकि भारत की वर्तमान औसत वार्षिक क्षमता केवल 3 गीगावॉट है।

सौर ऊर्जा से लाभ

  • सौर ऊर्जा के प्रयोग से वातावरण में प्रदूषण कम होने के साथ-साथ थर्मल ऊर्जा तथा अन्य ऊर्जा स्त्रोतों, जिनका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, की आवश्यकताओं पर भी निर्भरता कम होगी।
  • इस क्षेत्र में शुरुआत में तो अधिक निवेश की ज़रुरत होती है किंतु एक बार निवेश करने के पश्चात इसका लाभ लम्बे समय तक प्राप्त होता है।
  • सौर ऊर्जा की शक्ति अतुलनीय है। भारत जैसे ऊर्जा की कमी वाले देश में जहाँ बिजली का उत्पादन अत्यधिक महँगा है, वहीं सौर ऊर्जा विद्युत उत्पादन के लिये एक सर्वोत्तम विकल्प माना जाता है।

सौर ऊर्जा क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ

  • देश में चल रही सौर ऊर्जा परियोजनाओं को लॉकडाउन सम्बंधी नियमों के कारण रोक दिया गया है। साथ ही, सौर ऊर्जा के उत्पादन में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों के आयात में रूकावट के कारण इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलम्ब हो रहा है।
  • भारत सौर ऊर्जा के 80 % उपकरणों के आयात हेतु चीन पर निर्भर है जोकि भारत के लिये आर्थिक और सामरिक दृष्टि से उचित नहीं है।
  • सौर पार्कों में लगभग 85 % श्रमिक प्रवासी हैं। सरकार द्वारा अक्षय ऊर्जा उत्पादन को आवश्यक सेवा के रूप में वर्गीकृत किये जाने के बावजूद भी ये श्रमिक कोविड-19 महामारी के कारण अपने गाँव लौट गए हैं और इनके जल्द वापस आने की कोई सम्भावना नहीं दिख रही है।
  • सौर ऊर्जा उपकरणों (सौर पैनल, इन्वर्टर, वोल्टेज रेगुलेटर आदि) के मूल्य काफी अधिक होते हैं। इसके आलावा बैटरी बदलने या अन्य रख-रखाव का खर्च भी ज़्यादा है।

सौर ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति हेतु सुझाव

  • वर्तमान समय में सौर उद्योग सरकार से कुछ आर्थिक राहत की माँग कर रहा है ताकि वे इस वित्तीय संकट से उबर पाएँ और देश के दीर्घकालिक अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में कार्य कर सकें।
  • सौर ऊर्जा को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किये जाने के साथ ही क्राउड फंडिंग के ज़रिये कोष जुटाने हेतु नीति निर्माण किया जाना चाहिये।
  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के हस्तांतरण एवं रियायती कर्ज़ व्यवस्था का निर्माण किया जाना चाहिये, जिससे सौर ऊर्जा का उत्पादन तीव्र, सुगम एवं पारदर्शी तरीके से हो सके।
  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • भारत में 80 % ऊर्जा का उपयोग उद्योग एवं परिवहन क्षेत्र में किया जाता है इसलिये ऊर्जा नीति का निर्माण करते समय इन क्षेत्रों को केंद्र में रखा जाना चाहिये।
  • ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई और जलापूर्ति के लिये सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित किये जाने के साथ ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में सौर ऊर्जा द्वारा आसानी से तथा उचित मूल्य पर विद्युतीकरण किया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी शुरुआत भारत और फ्रांस द्वारा सयुंक्त रूप से वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु सम्मलेन के दौरान की गई थी।
  • इस संगठन का मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित है तथा इसकी पहली बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
  • यह कर्क एवं मकर रेखा के मध्य स्थित 121 सौर संसाधन संपन्न देशों का समूह है। ये सभी देश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने पर सहमत हुए हैं।
  • इस संगठन का उद्देश्य सदस्य देशों में सस्ती, साफ़ और अक्षय ऊर्जा मुहैया कराने के साथ-साथ ग्रीन, क्लीन और सतत ऊर्जा को सुनिश्चित करना है।

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार की पहल

  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नवम्बर 2015 में भारत और फ्रांस के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा समझौता किया गया था। समझौते के तहत दोनों देश सौर ऊर्जा की कीमतों में कमी करने, तकनीकी हस्तांतरण को प्रोत्साहन देने और शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।
  • भारत सरकार द्वारा विश्व बैंक के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा समझौता किया गया है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश किया जाएगा।
  • अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और नवीकरणीय खरीद दायित्वों को निर्धारित करने हेतु राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा नीति की शुरुआत, देश की कार्बन कटौती से सम्बंधित प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
  • हाल ही में, विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधयेक का मसौदा इस दिशा में आवश्यक सुधार हेतु एक सकारात्मक कदम है।

आगे की राह

  • देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने हेतु न केवल बुनयादी ढ़ाँचे को मज़बूत करने की आवश्यकता है, बल्कि ऊर्जा के नए तथा वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज भी ज़रूरी है। सौर ऊर्जा क्षेत्र भारत के ऊर्जा उत्पादन और माँग के बीच की असमानता को काफी हद तक कम कर सकता है।
  • कोविड-19 महामारी ने विश्व की आर्थिक गतिविधियों में ठहराव ला दिया है तथा सामाजिक और आर्थिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। भारत द्वारा रूफटॉप सौर परियोजनाओं, सौर सेल्स और अन्य उपकरण के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु एक लक्षित नीति का निर्माण किया जाना चाहिये। जिससे और अधिक रोज़गार के अवसर भी पैदा हो सकेंगे।
  • कोविड-19 संकट ने भारत सरकार को सम्पूर्ण विश्व के लिये एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में नेतृत्व प्रदान करने तथा एक हरित, कुशल और प्रगतिशील प्रोत्साहन योजना बनाने का अवसर प्रदान किया है।
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