प्रारंभिक परीक्षा- पीएलआई योजना, राष्ट्रीय सौर मिशन मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3, ऊर्जा |
संदर्भ-
हाल ही में केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा ने PLI योजना के तहत देश में लगभग 48.3 गीगावॉट एकीकृत उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
मुख्य बिंदु-
- केंद्र सरकार ने हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के तहत लगभग 48.3 गीगावॉट एकीकृत उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
- इसके तहत घरेलू स्तर पर निर्मित सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा।
- इसके लिए सरकारी कंपनियों द्वारा 12,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़े सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) बिजली परियोजनाओं की स्थपाना की जाएगी।
- इसकी स्थापना के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसयू) योजना चरण- II के साथ भारत निर्मित सौर पीवी मॉड्यूल की मांग को बढ़ावा दिया जाएगा।
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS)-
- सरकार ने 4,000 मेगावाट घंटे की क्षमता वाली BESS के विकास के लिए VGF को मंजूरी दी है।
- योजना के तहत BESS के लिए पूंजीगत लागत का 40 प्रतिशत तक VGF केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं का चयन BESS के विकास के लिए योजना और नीलामी दिशा-निर्देशों के अनुसार, कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा किया जाएगा।
- योजना के तहत परियोजनाओं को तीन साल (2023-24 से 2025-26) की अवधि के लिए मंजूरी दी जाएगी
राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्य-
- राष्ट्रीय सौर मिशन को ‘जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन’ के नाम से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 11 जनवरी, 2010 को शुरू किया गया था।
- मिशन ने वर्ष, 2022 तक 20,000 मेगावाट ग्रिड संयोजित सौर विद्युत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इसका उद्देश्य है-
- दीर्घावधि नीति
- बड़े पैमाने पर प्रसार के लक्ष्य
- उद्यमशील अनुसंधान एवं विकास
- महत्वपूर्ण कच्ची सामग्री, घटकों और उत्पादों के घरेलू उत्पादन के जरिए देश में सौर विद्युत उत्पादन की लागत कम करना।
- इस प्रयोजन के लिए मिशन ने तीन चरण की संकल्पना की गई है।
क्र.सं.
|
खण्ड
|
चरण-I के लिए लक्ष्य
|
चरण-II के लिए संचयी लक्ष्य
|
चरण- III के लिए संचयी लक्ष्य
|
1
|
रूफटाप सहित यूटिलिटी ग्रिड पावर
|
1,000-2000 मेगावाट
|
4,000-10,000 मेगावाट
|
20,000 मेगावाट
|
2
|
ऑफ ग्रिड सौर अनुप्रयोग
|
200 मेगावाट
|
1000 मेगावाट
|
2000 मेगावाट
|
3
|
सौर एकत्रक
|
7 मिलियन वर्ग मी.
|
15 मिलियन वर्ग मी.
|
20 मिलियन वर्ग मी.
|
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास-
- स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति।
- 30 जून, 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन ऊर्जा की अंतर-राज्य बिक्री के लिए अंतर राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम शुल्क की छूट।
- वर्ष 2029-30 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व के लिए प्रक्षेप पथ की घोषणा।
- नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर योजना के तहत नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना और नई सब-स्टेशन क्षमता बनाना।
- सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली/उपकरणों को लगाने के लिए मानकों की अधिसूचना।
- निवेश को आकर्षित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए परियोजना विकास सेल की स्थापना।
- ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी और पवन परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए मानक नीलामी दिशा-निर्देश।
- सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि आरई जनरेटरों को वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट या अग्रिम भुगतान के आधार पर बिजली भेजी जाएगी।
- ‘हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस नियम 2022’ के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की अधिसूचना।
- विद्युत (देर से भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियम (LPS नियम) की अधिसूचना।
- एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा बिजली की बिक्री की सुविधा के लिए ‘ग्रीन टर्म अहेड मार्केट’ (GTAM) का शुभारंभ।
- भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी गई।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2027-28 तक नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा आरई बिजली बोलियों के लिए निर्धारित प्रक्षेप पथ की अधिसूचना जारी की जाएगी।
- प्रक्षेप पथ के तहत 50 गीगावॉट/वर्ष की RE नीलामी जारी की जाएंगी।
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं-
- 40,000 मेगावाट क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य के साथ सौर पार्क और अल्ट्रा-मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास की योजना।
- योजना के तहत, भूमि, सड़क, बिजली निकासी प्रणाली जल सुविधाओं जैसे बुनियादी ढांचे को सभी वैधानिक मंजूरी/अनुमोदन के साथ विकसित किया जाता है।
- यह योजना देश में उपयोगिता-स्तरीय सौर परियोजनाओं के शीघ्र विकास में मदद करती है।
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPCU) योजना चरण- II (सरकारी उत्पादक योजना)-
- इसके तहत सरकारी उत्पादकों द्वारा 12,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़े सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) बिजली परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी।
- इसके लिए घरेलू स्तर पर निर्मित सौर पीवी कोशिकाओं और मॉड्यूल का उपयोग करके, व्यवहार्यता गैप फंडिंग (VGF) के साथ स्व-उपयोग या सरकार/सरकारी संस्थाओं द्वारा सीधे या वितरण कंपनियों (DISCOMS) के माध्यम से उपयोग के लिए समर्थन।
- उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल (ट्रेंच- I और II) में गीगावाट पैमाने की विनिर्माण क्षमता प्राप्त करने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 'उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम'।
- ‘पीएम-कुसुम योजना’ छोटे ग्रिड कनेक्टेड सौर ऊर्जा बिजली संयंत्रों, स्टैंडअलोन सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंपों और मौजूदा ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सौर्यीकरण को बढ़ावा देने के लिए है।
- यह योजना न केवल किसानों के लिए बल्कि राज्यों और DISCOMS के लिए भी फायदेमंद है।
- राज्य कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के लिए प्रदान की जाने वाली सब्सिडी पर बचत करेंगे और DISCOMS को ट्रांसमिशन और वितरण घाटे को बचाने के लिए सस्ती सौर ऊर्जा मिलेगी।
- ग्रिड से जुड़े सौर रूफ बिजली संयंत्रों के लिए रूफ सौर कार्यक्रम चरण II-
- इस चरण के तहत आवासीय क्षेत्र के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- बेसलाइन से ऊपर रूफटॉप सोलर में क्षमता वृद्धि हासिल करने के लिए DISCOMS को प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन दिए जाते हैं।
- हरित ऊर्जा गलियारे(GEC)-
- नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अंतर-राज्य पारेषण प्रणाली बनाना।
- कुल दस राज्यों (GEC के दोनों चरणों को ध्यान में रखते हुए) में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली उत्पादन के लिए ट्रांसमिशन बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- दो कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है-
(i) इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण- I
(ii) इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण- II
- जैव-ऊर्जा कार्यक्रम-
- अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम- शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा पर कार्यक्रम।
- बायोमास कार्यक्रम- ब्रिकेट और छर्रों के विनिर्माण को समर्थन देने और उद्योगों में बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह-उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना।
- बायोगैस कार्यक्रम- पारिवारिक बायोगैस संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए।
- नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास (RE-RTD) सहायता कार्यक्रम।
- अल्पावधि प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, फेलोशिप, इंटर्नशिप, आरई और नवीकरणीय ऊर्जा चेयर के लिए प्रयोगशाला उन्नयन के लिए समर्थन जैसे घटकों के साथ मानव संसाधन विकास योजना।
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से 19,744 करोड़ रुपये रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया।
उपलब्धियां-
- 30 नवंबर, 2023 तक भारत में लगभग 72.31 गीगावॉट की सौर क्षमता स्थापित की गई है, जिसमें
- भूमि पर स्थापित सौर परियोजनाओं से 58.53 गीगावॉट
- रूफ सौर क्षमता से 11.08 गीगावॉट
- ऑफ-ग्रिड सौर क्षमता से 2.70 गीगावॉट
- इसमें 11.12 मिलियन सौर लाइटें शामिल हैं।
- लगभग 11 मिलियन वर्ग मीटर के सौर तापीय कलेक्टर क्षेत्र को 2016-17 तक स्थापित किया गया था।
- उस समय से ही इसे सरकार से किसी भी वित्तीय सहायता के बिना बाजार मोड में लागू किया गया है।
- देश में घरेलू सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता लगभग 22 गीगावॉट प्रति वर्ष है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- राष्ट्रीय सौर मिशन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसे जनवरी, 2010 को शुरू किया गया था।
- प्रारंभ में इसका नाम जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन था।
- इसका लक्ष्य वर्ष, 2030 तक 10,000 मेगावाट ग्रिड संयोजित सौर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करना है।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर- (a)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- भारत सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों और उपलब्धियों की विवेवेचना कीजिए।
|