(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य संबंधित विषय, भारत एवं इसके पड़ोसी देशों से संबंधित मुद्दे)
संदर्भ
विगत माह 18 मई को भारत ने कोविड-19 महामारी से सर्वाधिक मौतें दर्ज कीं, यह सख्या जनवरी में अमेरिका द्वारा दर्ज की गईं विश्व में सर्वाधिक दैनिक मौतों के बाद सबसे अधिक थी।
भारत एवं पड़ोसी देशों की स्वास्थ्य स्थिति
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1% से थोड़ा अधिक के मामूली स्वास्थ्य व्यय पर चलने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है, जबकि निजी चिकित्सा क्षेत्र फलफूल रहा है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र प्रति 1,000 लोगों पर डॉक्टर की बहुत ही कम (प्रति 1,000 लोगों पर 0.08 डॉक्टर) उपलब्धता है, जो ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (WHO) के 1:1000 के निर्धारित मानक से काफी कम है।
- भारत में प्रति 1,000 लोगों पर केवल आधी बिस्तर उपलब्ध हैं, जो सामान्य दिनों के लिये भी कम है।
- हालाँकि, इस मामले में भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी कोई बेहतर स्थिति नहीं है। यहाँ क्रमशः प्रति 1,000 रोगियों पर 0.8 बिस्तर और प्रति 1,000 रोगी पर 0.6 डॉक्टर की उपलब्धता के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत दयनीय है।
- ग्रामीण भारत, जहाँ लोग मुख्य रूप से जीर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं पर निर्भर हैं, वहाँ तो स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।
- बिस्तरों की कमी के कारण अस्पताल के फर्श पर इलाज करवा रहे मरीजों से लेकर अस्पताल पहुँचने के लिये सैकड़ों मील पैदल चलने वाले मरीज़ों को ऑक्सीजन या दवा की आपूर्ति के साथ अकेला छोड़ दे दिया जाता है
- इसके अलावा, तथ्य यह है कि सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मियों ने कोविड -19 के कारण दम तोड़ दिया। विडंबना यह है कि वे जिन अस्पतालों में सेवा करते हैं उनमें भी बिस्तर प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं।
भारत एवं पड़ोसी देशों का स्वास्थ्य बजट
- जहाँ भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च है, वहीं इसका स्वास्थ्य बजट चौथा सबसे कम है। पाकिस्तान में, महामारी के बीच भी, वित्त वर्ष 2020-21 में रक्षा बजट को 12% बढ़ाकर 7.85 बिलियन डॉलर कर दिया गया, जबकि स्वास्थ्य पर खर्च लगभग 151 मिलियन डॉलर रहा।
- इस मामले में बांग्लादेश भी बहुत पीछे नहीं है, जहाँ दशकों से चली आ रही अंडरफंडिंग की परिणति एक चरमराती सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में हुई है। जो लोगों को निजी चिकित्सा देखभाल का विकल्प चुनने के लिये प्रेरित करती है, भले ही इसका मतलब अत्यधिक स्वास्थ्य भुगतान हो।
- दक्षिण एशिया के 'बिग थ्री' अर्थात भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश बुनियादी ढाँचे और रक्षा क्षेत्र में प्रमुख हैं, लेकिन ये देश स्वास्थ्य क्षेत्र में पीछे हट रहे हैं।
- हालाँकि, इस वर्ष के ‘बजट’ में भारत सरकार द्वारा ‘स्वास्थ्य और कल्याण’ व्यय में 137 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई गई है, लेकिन करीब से देखने पर तथ्यों और आँकड़ों के बेमेल होने का पता चलता है।
जी.डी.पी. के प्रतिशत के रूप में विभिन्न क्षेत्रों का खर्च |
देश |
स्वास्थ्य |
शिक्षा |
सैन्य खर्च |
अवसंरचना |
भारत |
1.28 |
3 |
2.4 |
5.38 |
बांग्लादेश |
1 से कम |
1.3 |
1.3 |
1.79 |
पाकिस्तान |
1.1 |
2.3 |
4 |
2.14 |
दक्षिण-पूर्व एशिया से सबक
- दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया से स्वास्थ्य नीति में व्यावहारिक सबक ले सकता है। यहाँ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं के माध्यम से समान पहुँच का विस्तार करते हुए स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में निवेश को प्राथमिकता दी गई है।
- रोग निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र में निवेश पर केंद्रित वियतनाम के निवारक उपायों से लेकर लाओस और कंबोडिया जैसे देशों तक स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।
- इन सभी देशों ने अपने दक्षिण एशियाई साथियों की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है।
देश
|
जी.डी.पी. के प्रतिशत के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र का खर्च
|
भारत
|
1.28
|
पाकिस्तान
|
1.1
|
बांग्लादेश
|
1 से कम
|
देश
|
जी.डी.पी. के प्रतिशत के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र का खर्च
|
वियतनाम
|
6.6
|
कम्बोडिया
|
6
|
लाओस
|
2.25
|
आगे की राह
- महामारी से हुई तबाही से सीखते हुए दक्षिण एशियाई देशों को अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश बढ़ाना चाहिये ताकि उन्हें टिकाऊ, अद्यतन और गरीब समर्थक बनाया जा सके।
- सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सिस्टम को नागरिकों से मुँह नहीं मोड़ना चाहिये।
- एक और लहर या जलवायु परिवर्तन के आसन्न संकट की उच्च संभावना को देखते हुए, अस्थाई उपायों को एक सुविचारित दृष्टि और दीर्घकालिक उपचार के लिये राजनीतिक प्रतिबद्धता द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत बनाने की दिशा में विशेष ध्यान और संसाधनों को निर्देशित दक्षिण एशियाई नीति निर्माताओं पर इस वैश्विक महामारी ने नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। अतः दक्षिण एशियाई देशों को भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिये अपने स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढाँचे का भी शुद्रण करने पर भी ज़ोर देना चाहिये।
अन्य स्मरणीय तथ्य
- भारतीय संविधान में ‘बजट’ शब्द का वर्णन नहीं किया गया है।
- अनुच्छेद 112 के अंतर्गत भारत सरकार के ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ का उल्लेख किया गया है।