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सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड

(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय)

संदर्भ 

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पहली बार सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड (SgrBs) जारी करने की घोषणा की है। 9 नवंबर, 2022 को सरकार ने सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड के लिये रूपरेखा जारी की थी।

प्रमुख बिंदु

  • आर.बी.आई. मौजूदा वित्त वर्ष में 16,000 करोड़ रुपए के सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड जारी करेगा। इसे 8,000 करोड़ रुपए की दो किस्तों में जारी किया जाएगा।  
  • आर.बी.आई. 25 जनवरी एवं 9 फरवरी को 4,000 करोड़ रुपए के 5 वर्ष तथा 10 वर्ष के लिये ग्रीन बॉण्ड जारी करेगा।

ग्रीन बॉण्ड

  • ग्रीन बॉण्ड किसी भी संप्रभु इकाई, अंतर-सरकारी समूहों या गठबंधनों एवं निगमों द्वारा जारी किये गए ऐसे बॉण्ड होते हैं, जिनसे प्राप्त आय का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय परियोजनाओं के लिये किया जाता है। 
  • इनका उपयोग हरित परियोजनाओं, जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, स्थायी जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण तथा हरित भवनों के वित्तीयन के लिये किया जाएगा। 

जारी करने की क्रियाविधि

  • ग्रीन बॉण्ड को एकसमान मूल्य नीलामी के माध्यम से जारी किया जाएगा। बिक्री की अधिसूचित राशि का 5% खुदरा निवेशकों के लिये आरक्षित होगा। इन बॉण्ड्स को वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) उद्देश्यों के लिये एक योग्य निवेश माना जाएगा।
  • ये बॉण्ड्स पुनर्खरीद लेनदेन (Repurchase Transactions : Repo) के लिये पात्र होंगे और द्वितीयक बाजार में इन बॉण्ड्स का व्यापार किया जा सकता है।

ग्रीन बॉण्ड का महत्त्व

  • विगत कुछ वर्षों में ग्रीन बॉण्ड जलवायु परिवर्तन एवं संबंधित चुनौतियों के खतरों से निपटने के लिये एक महत्त्वपूर्ण वित्तीय साधन के रूप में उभरा है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से समुदायों एवं अर्थव्यवस्थाओं को खतरा है। यह कृषि, खाद्य व जल की आपूर्ति के लिये जोखिम पैदा करता है।
    • आई.एफ.सी. विश्व बैंक समूह की एक संस्था है।
  • ऐसे में पर्यावरणीय परियोजनाओं को पूँजी बाज़ार एवं निवेशकों के साथ जोड़ने तथा पूँजी को सतत् विकास की ओर ले जाने में ग्रीन बॉण्ड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

प्रभाव

  • ग्रीन बॉन्ड्स इनको जारी करने वालों की कारोबारी रणनीति को प्रभावित करते हुए निवेशकों को बेहतर प्रथाओं में संलग्न होने के लिये एक मंच प्रदान करते हैं। 
  • ये निवेशकों के लिये अपने निवेश पर लगभग समान प्रतिफल के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से बचाव का साधन प्रदान करते हैं। 
  • इस प्रकार आई.एफ.सी. के अनुसार, ग्रीन बॉन्ड (हरित बॉन्ड) एवं ग्रीन फाइनेंस (हरित वित्त) में वृद्धि भी अप्रत्यक्ष रूप से उच्च कार्बन उत्सर्जक परियोजनाओं को हतोत्साहित करती है।
  • सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से भारत सरकार को अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये संभावित निवेशकों से अपेक्षित वित्त प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

अन्य बिंदु

  • सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड जारी करने की घोषणा की थी। 
  • सरकार वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने एवं गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध है। 
  • ग्रीन बांड से प्राप्त आय का उपयोग जीवाश्म ईंधन के निष्कर्षण, उत्पादन एवं वितरण के लिये या जहां मुख्य ऊर्जा स्रोत जीवाश्म ईंधन आधारित है, के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के लिये नहीं किया जा सकता है।
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