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अंतरिक्ष-आधारित क्वांटम सेंसर

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स)

संदर्भ 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का अत्यधिक सटीकता से मानचित्रण करने के लिए पहला अंतरिक्ष-आधारित क्वांटम सेंसर विकसित किया है। 

अंतरिक्ष-आधारित क्वांटम सेंसर के बारे में 

  • नाम : क्वांटम ग्रेविटी ग्रेडियोमीटर पैथफाइंडर (QGGPf) 
  • विकास : नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) द्वारा निजी कंपनियों एवं शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से विकसित तथा मिशन नासा के अर्थ साइंस टेक्नोलॉजी ऑफिस (ESTO) द्वारा समर्थित 

प्रमुख विशेषताएँ

  • क्वांटम तकनीक का उपयोग : QGGPf में अत्यधिक ठंडे रुबिडियम परमाणुओं का उपयोग किया गया है जो क्वांटम इंटरफेरोमेट्री के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण के सूक्ष्म परिवर्तनों को मापते हैं। ​

रुबिडियम परमाणु (Rb)

  • रुबिडियम परमाणु (Rb) एक क्षारीय धातु (Alkali Metal) है जो आवर्त सारणी के समूह 1 में आता है। 
  • इसका परमाणु क्रमांक 37 है।
  • रुबिडियम,  वायु एवं जल से बहुत तीव्र प्रतिक्रिया करता है। यह पृथ्वी में दुर्लभ नहीं है किंतु शुद्ध रूप में मुश्किल से मिलता है।
    • जल के साथ प्रतिक्रिया करके यह हाइड्रोजन गैस के साथ-साथ ऊष्मा उत्पन्न करता है। 
  • अन्य उपयोग 
    • प्रयोगशाला में अणुओं के स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन में उपयोग
    • इसके आइसोटोप Rb-87 का परमाणु घड़ी में प्रयोग 

क्वांटम इंटरफेरोमेट्री

  • क्वांटम इंटरफेरोमेट्री तकनीक में क्वांटम कणों (जैसे- फोटॉन, इलेक्ट्रॉन, परमाणु आदि) की तरंग-स्वभाव (Wave Nature) का उपयोग करके अत्यंत सूक्ष्म बदलावों को मापा जाता है।
  • यह परंपरागत ‘इंटरफेरोमेट्री’ का ही एक उन्नत रूप है किंतु इसमें क्लासिकल तरंगों के बजाय क्वांटम तरंगों का उपयोग होता है।
  • उच्च संवेदनशीलता : यह सेंसर पारंपरिक गुरुत्वाकर्षण सेंसरों की तुलना में दस गुना अधिक संवेदनशीलता प्रदान करता है जिससे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में सूक्ष्मतम बदलावों का पता लगाया जा सकता है। ​
  • दीर्घकालिक सटीकता : अत्यधिक ठंडे परमाणुओं का उपयोग सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष-आधारित गुरुत्वाकर्षण माप लंबे समय तक सटीक बनी रहें। ​
  • विविध अनुप्रयोग : इस तकनीक का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जा सकता है : 
    • जलवायु परिवर्तन
    • जल संसाधन प्रबंधन
    • भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी 
    • भूगर्भीय संरचनाओं का अध्ययन 
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