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अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (SPADEX)

  • अंतरिक्ष डॉकिंग (Space Docking) वह प्रक्रिया है जिसमें दो अंतरिक्ष यान—चाहे वे मानव-सहित (crewed) हों या बिना मानव-सहित (uncrewed)—अंतरिक्ष में सटीकता (precision) के साथ आपस में जुड़ते हैं।
  • इस कनेक्शन से वे एकल इकाई (single unit) के रूप में कार्य कर सकते हैं।

उद्देश्य (Purpose):-

  • ईंधन भरना (Refuelling) – एक अंतरिक्ष यान दूसरे को अंतरिक्ष में ईंधन (fuel) की आपूर्ति कर सकता है।
  • मरम्मत (Repair) – क्षतिग्रस्त (damaged) अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ही ठीक किया जा सकता है।
  • क्रू स्थानांतरण (Crew Transfer) – अंतरिक्ष यात्रियों (astronauts) का एक अंतरिक्ष यान से दूसरे में स्थानांतरण संभव हो सकता है।
  • अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे का निर्माण (Construction of space infrastructure) – जैसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station - ISS) के विभिन्न मॉड्यूल (modules) को जोड़ना।

महत्व (Use):-

  • आधुनिक अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे (modern space infrastructure) के निर्माण, रखरखाव (maintenance), और संचालन (operation) के लिए महत्वपूर्ण।
  • यह विभिन्न अंतरिक्ष यानों और मॉड्यूल को जोड़ने की अनुमति देता है, जिससे बड़े अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे (large space infrastructure) का निर्माण संभव हो पाता है।
  • दीर्घकालिक मिशन सहायता (Long-term mission support) – डॉकिंग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को नियमित रूप से क्रू, उपकरण (equipment), और संसाधन (resources) भेजे जा सकते हैं।
  • यह तकनीक वैज्ञानिक अनुसंधान (scientific research), अंतरिक्ष पर्यटन (space tourism), और मानव उपस्थिति के विस्तार (expanding human presence) के लिए भी अनिवार्य (indispensable) है।

डॉकिंग और बर्थिंग में अंतर (Difference between Docking and Berthing):

डॉकिंग (Docking):

  • अंतरिक्ष यान (spacecraft) खुद को लक्ष्य (target) से जोड़ता है, अपनी मैन्युवरिंग (manoeuvring) क्षमता का उपयोग करके।
  • यह प्रक्रिया स्वायत्त (autonomous) या मैनुअल (manual) हो सकती है।
  • इसमें उच्च तकनीकी जटिलता (high technical complexity) होती है – सटीक संरेखण (precise alignment) और नियंत्रण (control) की आवश्यकता होती है।
  • जैसे SpaceX Dragon 2 अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से डॉक करता है।
  • इसमें जोखिम (risk) अधिक होता है क्योंकि कोई बाहरी सहायता (external assistance) नहीं मिलती।
  • यह प्रक्रिया तेज (fast joining process) होती है।

बर्थिंग (Berthing):-

  • अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन (space station) के रोबोटिक आर्म (robotic arm) द्वारा पकड़कर जोड़ा जाता है।
  • इसे ग्राउंड कंट्रोल (ground control) और स्टेशन क्रू (station crew) की सहायता से संचालित किया जाता है।
  • यह तुलनात्मक रूप से सरल और सुरक्षित प्रक्रिया (relatively simple and safe process) है।
  • Dragon 1 कैप्सूल (capsule) को ISS से जोड़ने के लिए बर्थिंग तकनीक का उपयोग किया गया था।
  • यह प्रक्रिया धीमी (slow joining process) होती है क्योंकि इसे चरणबद्ध तरीके (phased process) से किया जाता है।

मुख्य अंतर (Main Difference):

  • डॉकिंग (Docking) – अंतरिक्ष यान स्वयं लक्ष्य से जुड़ता है।
  • बर्थिंग (Berthing) – अंतरिक्ष यान को रोबोटिक आर्म की मदद से जोड़ा जाता है।
  • डॉकिंग स्वायत्त (autonomous) होती है, जबकि बर्थिंग नियंत्रित (controlled) और सहायता प्राप्त (assisted) प्रक्रिया होती है।

इसरो का SPADEX मिशन (ISRO's SPADEX Mission):

  • SPADEX (Space Docking Experiment) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक आधुनिक तकनीकी प्रदर्शन मिशन (cutting-edge technology demonstration mission) है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में स्वायत्त डॉकिंग क्षमता (autonomous docking capability) विकसित करना है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य गगनयान (Gaganyaan), चंद्र नमूना वापसी (Lunar Sample Return) और भारत के अंतरिक्ष स्टेशन (India Space Station - BAS) जैसी भविष्य की योजनाओं के लिए तकनीकी आधार तैयार करना है।
  • यह अंतरिक्ष में ईंधन भरने (refuelling), मरम्मत (repair work) और वैज्ञानिक उपकरणों के स्थानांतरण (transfer of scientific equipment) को संभव बनाएगा।

मिशन की संरचना (Mission Structure):

  • इसमें दो उपग्रह (satellites) होंगे:
    चेसर सैटेलाइट (Chaser Satellite) – जो डॉकिंग की प्रक्रिया शुरू करेगा।
  • टारगेट सैटेलाइट (Target Satellite) – जो डॉकिंग के लिए लक्ष्य के रूप में कार्य करेगा।
  • ये दोनों उपग्रह लगभग 700 किमी की कक्षा (orbit of about 700 km) में स्थापित किए जाएंगे और स्वायत्त रूप से (autonomously) एक-दूसरे से जुड़ेंगे।
  • वर्तमान में केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास पूर्ण स्वायत्त डॉकिंग क्षमता (full autonomous docking capability) है।
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