बिहार के यूनाइटेड जनता दल और आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी की मदद से केंद्र सरकार का गठन होने जा रहा है
आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग बहुत अधिक समय से की जा रही है.
अब ये राज्य फिर से यह मांग कर सकते हैं
विशेष राज्य का दर्जा
भारत के संविधान में किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है.
वर्ष 1969 में पांचवें वित्त आयोग द्वारा जम्मू और कश्मीर असम तथा नगालैंड को विशेष श्रेणी के राज्यों का दर्जा दिया गया था।
गाडगिल कमेटी ने विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्य के लिए केंद्र सरकार की सहायता और टैक्स छूट में प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया था.
ऐसे राज्यों के लिए एक्साइज ड्यूटी में भी महत्वपूर्ण छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया ताकि वहां बड़ी संख्या में कंपनियां मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटीज़ स्थापित कर सकें.
विशेष राज्य का दर्जा, सामाजिक और आर्थिक, भौगोलिक कठिनाइयों वाले राज्यों को विकास में मदद के लिए दिया जाता है.
इसके लिए अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं, जैसे -
पहाड़ी और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्र
कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र
पर्याप्त जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र
अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगने वाले राज्य
आर्थिक एवं ढांचागत दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ क्षेत्र
ख़राब वित्तीय स्थिति वाले राज्य
विशेष राज्य का दर्जा मिलने से क्या फायदा होता है?
अन्य राज्यों की तुलना में विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र से मिलने वाली सहायता में कई लाभ मिलते हैं.
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के मामले में विशेष दर्जा रखने वाले राज्यों को 90 फ़ीसदी धनराशि मिलती है जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह अनुपात 60 से 70 फीसदी है.
इन राज्यों द्वारा एक वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं किया गया धन समाप्त नहीं होता है और आगामी वर्ष के लिये संरक्षित कर लिया जाता है ।
इसके अलावा विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में छूट मिलती हैं.
वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को इस तरह की विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है.
इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं.
प्रश्न - निम्नलिखित में से किस राज्य को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा नहीं प्राप्त है?