New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

जटामांसी पौधा

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

हिमालयी क्षेत्र के पौधे एवं वनस्पतियाँ विश्व की अमूल्य धरोहर हैं। हिमालयी जटामांसी पौधे के औषधीय गुणों और बहुमूल्य उपयोगिताओं के कारण आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अनेक अनुसंधान किए जा रहे हैं। 

जटामांसी पौधे के बारे में 

  • क्या है : एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा 
  • अन्य नाम : तपस्विनी, इंडियन नार्ड आदि 
  • वंश (Genus) : नार्डोस्टैचिस (Nardostachys)
  • कुल (Family) : कैप्रीफोलिएसिएसी (Caprifoliaceae) 
  • उपकुल (Subfamily) : वेलेरियनोइडिया (Valerianoideae)
  • वितरण : मुख्यत: हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में 3,000 से 5,000 मीटर की ऊँचाई पर भारत, नेपाल तथा तिब्बत में 
  • भारत में वितरण : हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश आदि। 
  • IUCN स्थिति : अति संकटग्रस्त (CR)
  • जोखिम : अनियंत्रित संग्रह, अत्यधिक चराई, आवास क्षति और वन क्षति के कारण जोखिम 
  • अनुकूल दशाएँ : नमी वाली ठंडी जलवायु में विकास और पहाड़ी ढलानों, चट्टानी क्षेत्रों व जंगलों में मिलता है। 

जटामांसी से प्राप्त रसायन 

  • इसमें टेरपेनोइड्स (Terpenoids), एस्टर (Esters), एल्कोहल्स (Alcohols) और कुछ महत्वपूर्ण एल्कलॉइड्स (Alkaloids) पाए जाते हैं। 
  • इसके प्रकंदों में सुगंधित तेल नार्डोस्टैचिस जटामांसी होता है जिसमें सेस्क्यूटरपेन्स एवं कीमारिन्स जैसे यौगिक होते हैं। 
  • इनमें वैलेरानोन (Valeranone), जटामांसीन (Jatamansin), वैलेरिक एसिड (Valericacid) जैसे रासायनिक यौगिक प्रमुख रूप से शामिल हैं।

जटामांसी के उपयोग 

  • आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में 
  • आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में भी इसके औषधीय गुणों पर विभिन्न अनुसंधान 
  • न्यूरोप्रोटेक्टिव, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंलेमेटरी जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, कीटनाशक, एंटीडिप्रेसेंट एवं हृदय को सुरक्षा प्रदान करने वाले गुण
  • मानसिक विकार एवं मस्तिष्क के तंत्रिका संचारण के संतुलन में सहायक
  •  स्मरण शक्ति सुधारने में उपयोगी
  • पाचन तंत्र, हृदय स्वास्थ्य एवं संतुलित रक्तचाप में सहायक

जटामांसी का महत्व 

  • ऐतिहासिक महत्व : यूनान, मिस्र, रोमन एवं अरब की सभ्यताओं में भी इसका औषधीय महत्व था। 
    • जटामांसी के औषधीय गुणों का वर्णन 'सुश्रुत संहिता', 'निघंटु चिकित्सा ग्रंथ' और 'चरक संहिता' जैसे आयुर्वेद ग्रंथों में भी है।  
  • धार्मिक महत्व : ईसाई धर्म में बाइबल के पुराने और नए नियम में भी इसका उल्लेख मिलता है। 
    • यहूदी धर्म में इसे पवित्र मंदिर की ग्यारह जड़ी-बूटियों में गिना जाता है। 
    • प्राचीन मिस्र एवं रोम में इससे इत्र व मलहम बनाए जाते थे।
  • आर्थिक एवं पर्यावरणीय महत्व : इसके व्यवसायिक उपयोग में आयुर्वेदिक दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधन और सुगंधित तेल शामिल हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X