(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध) |
संदर्भ
श्रीलंका को अपनी स्वतंत्रता के बाद वर्ष 2022-2023 में सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पडा। यद्यपि अर्थव्यवस्था में अब स्थिरता आ रही है किंतु चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में स्थिर के कारण
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का 3 बिलियन डॉलर कार्यक्रम
- भारत द्वारा 4 बिलियन डॉलर की सहायता
- निजी बॉन्ड धारकों और चीन के साथ ऋण पुनर्गठन सौदा ($17.5 बिलियन)
- देश में पर्यटन में सुधार
श्रीलंका के समक्ष आंतरिक चुनौतियाँ
- प्रतिभा पलायन : केवल वर्ष 2024 में ही श्रीलंका से 3,00,000 लोगों का ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) होना।
- अनुभवहीन संसद : 225 सांसदों में से लगभग 150 पहली बार चुनकर आए हैं जिनमें से अधिकतर नेशनल पीपुल्स पावर (NNP) दल से हैं।
- सार्वजनिक नीति विकास : सिविल सेवकों और सांसदों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक नीति स्कूल स्थापित करने की आवश्यकता है।
- बाजारोन्मुख नीतियों, सेवाओं के डिजिटलीकरण और विधायी प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक होगा।
- पर्यटन : वर्ष 2024 में 2 मिलियन से अधिक पर्यटक श्रीलंका आए, जो वर्ष 2023 की तुलना में 38% अधिक है। हालाँकि, टिकाऊ पर्यटन और विदेशी समुदायों के लिए उन्नत माहौल व सुरक्षा प्रदान करना चुनौती बनी हुई है।
- राजकोषीय स्थिरता : यद्यपि राजस्व में वृद्धि हुई है किंतु अर्थव्यवस्था में राज्य की व्यापक भूमिका के कारण सरकारी व्यय अभी भी उच्च बना हुआ है।
- विश्व बैंक ने वर्ष 2024 में 4.4% का विकास पूर्वानुमान लगाया है जो वर्ष 2025 में घटकर 3.5% तक हो जाएगी।
- विदेश नीति : अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प के दुबारा निर्वाचित होने के बाद भू-राजनीतिक परिवर्तन, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में।
भारत के लिए निहितार्थ
- व्यापार एवं निवेश में वृद्धि : श्रीलंका और भारत के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने से व्यापार एवं निवेश के अधिक अवसर पैदा हो सकते हैं।
- श्रीलंका में, विशेषकर बुनियादी ढांचे, ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारतीय निवेश इस क्षेत्र में भारत की आर्थिक उपस्थिति को बढ़ावा दे सकता है।
- भारतीय व्यवसायों को भी श्रीलंका के बाजार तक पहुंच से लाभ हो सकता है, विशेष रूप से पर्यटन, खुदरा एवं सेवा क्षेत्रों में।
- क्षेत्रीय स्थिरता एवं सामरिक सहयोग : श्रीलंका की स्थिरता भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत एवं श्रीलंका के बीच सीमा पार ऊर्जा परियोजनाएं (जैसे- बिजली, प्राकृतिक गैस) दोनों देशों को लाभान्वित कर सकती हैं।
- चीन के साथ सामरिक प्रतिस्पर्धा : भारतीय सहायता से निवेश एवं राजनीतिक संबंधों के लिए श्रीलंका की चीन पर निर्भरता कम हो सकती है, विशेष रूप से रणनीतिक बंदरगाहों व परियोजनाओं (जैसे- चीन का जासूसी जहाज या हंबनटोटा बंदरगाह) के संबंध में।
- सुरक्षा चिंताएं : श्रीलंका में अस्थिरता का प्रभाव हिंद महासागर क्षेत्र पर भी पड़ सकता है, जो अंतर्राष्ट्रीय नौवहन एवं व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।
- प्रवासन एवं प्रतिभा पलायन : श्रीलंका से दूसरे देशों में प्रतिभा का पलायन और प्रवास अप्रत्यक्ष रूप से भारत को प्रभावित कर सकता है। इससे भारत की सामाजिक व आर्थिक प्रणालियों पर दबाव बढ़ सकता है, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।
- शरणार्थी एवं सामाजिक सहायता : श्रीलंका में अस्थिरता के परिणामस्वरूप भारत में सुरक्षा और बेहतर अवसरों की तलाश में शरणार्थियों की बाढ़ आ सकती है, विशेष रूप से तमिलनाडु में।
भारत के लिए जोखिम
- ऋण भुगतान जोखिम : यदि श्रीलंका वर्ष 2027 के मध्य से शुरू होने वाले पुनर्भुगतान को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसके बाह्य ऋण दायित्व (विशेष रूप से भारत एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाताओं के प्रति) जोखिम पैदा कर सकते हैं।
- श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता : श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता भारत की विदेश नीति को प्रभावित करेगा।
भारत के लिए आगे की राह
आर्थिक सहयोग एवं व्यापार
- निवेश संबंधों को मजबूत करना
- द्विपक्षीय लाभ के लिए बुनियादी ढांचा में संयुक्त विकास परियोजनाएँ स्थापित करना
सुरक्षा और भू-राजनीतिक सहयोग
- समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद एवं अंतरराष्ट्रीय अपराध जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए रक्षा व सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना
- भारत श्रीलंकाई सुरक्षा बलों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान कर सकता है।
- श्रीलंका की भू-राजनीतिक स्थिति पर विचार करते हुए निर्णय लेना
- श्रीलंका की रणनीतिक तटस्थता बनाए रखने के लिए चीन के प्रभाव का मुकाबला करना
मानवीय और सामाजिक सहयोग
- प्रवासन एवं प्रतिभा प्रतिधारण को संबोधित करना
- भारत, श्रीलंका के कुशल पेशेवरों को अस्थायी या स्थायी रूप से भारत में प्रवास करने के लिए अवसर और युवाओं के लिए शैक्षिक छात्रवृत्ति एवं कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान कर सकता है।
- संकट की स्थिति में मानवीय सहायता प्रदान करना
- भारत में तत्काल राहत प्रदान करने की क्षमता है।
स्थिरता और जलवायु परिवर्तन सहयोग
- नवीकरणीय ऊर्जा पर संयुक्त पहल को बढ़ावा देना और भारत द्वारा श्रीलंका को मदद प्रदान करना
- जलवायु लचीलापन एवं आपदा प्रबंधन के लिए श्रीलंका के साथ सहयोग करना
- क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए ज्ञान व संसाधनों को साझा करना चाहिए।
क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना
- दोनों देशों को सार्क एवं बिम्सटेक जैसे क्षेत्रीय संगठनों के भीतर सहयोग को बढ़ाना
- बहुपक्षीय कूटनीति के लिए संयुक्त राष्ट्र, जी-20 एवं राष्ट्रमंडल जैसे बहुपक्षीय मंचों पर श्रीलंका के साथ संपर्क बनाए रखना
- सतत विकास, व्यापार एवं शांति स्थापना जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा देना
लोक कूटनीति और लोगों के बीच संबंध
- साझा इतिहास एवं भविष्य की चुनौतियों की गहन समझ के लिए सांस्कृतिक व शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना
- हवाई, समुद्री एवं डिजिटल संपर्कों के ज़रिए कनेक्टिविटी बढ़ाना
- इससे पर्यटन, व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान में मदद मिलेगी।