चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक से श्रीलंका के लिये निम्न आय वाले राष्ट्र के दर्जे की मांग की है।
प्रमुख बिंदु
- कोविड-19 की शुरुआत में श्रीलंका को एक मध्यम आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था। जबकि श्रीलंका की वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे एक निम्न-आय वाले देश के रूप में अस्थायी वर्गीकरण दिया जाना चाहिये।
- भारत ने यह मांग आई.एम.एफ. और विश्व बैंक द्वारा यूक्रेन को दी गई आपातकालीन निधि के संदर्भ में की है।
- विदित है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की प्रकृति, पर्यटन क्षेत्र से आय पर निर्भरता तथा कोविड-19 के कारण इसके राजस्व में भारी गिरावट आई है।
- निम्न आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत होने से श्रीलंका को अपने ऋण के पुनर्गठन में मदद मिलेगी तथा आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
मिलने वाले लाभ
- निम्न आय वाले देश के रूप में पुनर्वर्गीकरण से श्रीलंका को ‘ऋण सेवा निलंबन पहल से इतर ऋण उपचार के लिये साझा ढाँचे’ (Common Framework for debt treatment beyond DSSI) के अंतर्गत अपने ऋण के पुनर्गठन करने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि नवंबर 2021 में आई.एम.एफ. और विश्व बैंक ने एक साझा ढाँचा तैयार किया, जिसके पात्र निम्न आय वाले देश हैं जिनके पास स्थायी ऋण नहीं है।
- विदित है कि डी.एस.एस.आई. ने विभिन्न देशों को कोविड-19 से लड़ने और लाखों सबसे कमजोर लोगों के जीवन व आजीविका की सुरक्षा पर अपने संसाधनों को केंद्रित करने में मदद की। इसे आई.एम.एफ. और विश्व बैंक द्वारा मई 2020 में स्थापित किया गया और दिसंबर 2021 में समाप्त कर दिया गया था।
रैपिड फाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट (RFI)
- हाल ही में आई.एम.एफ. ने रैपिड फाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट (RFI) नामक एक आपातकालीन सहायता कार्यक्रम के तहत यूक्रेन को 1.4 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त वित्तपोषण प्रदान किया है। भारत का मानना है कि इस प्रावधान के तहत श्रीलंका को भी सहायता दी जा सकती है।
- आर.एफ.आई उन देशों के लिये त्वरित वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिन्हें अपने भुगतान संतुलन में व्याप्त अनियमितता को समाप्त करना है। इसे विशेष रूप से उन मामलों के लिये तैयार किया गया है जहाँ आर्थिक सुधारों का एक पूर्ण कार्यक्रम शुरू करना असंभव है।