(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)
संदर्भ
हाल ही में, श्रीलंका सरकार ने 51 अरब डॉलर के अपने सभी विदेशी ऋण को कुछ समय के लिये डिफ़ॉल्ट (Default) करने का निर्णय लिया है अर्थात् वह विदेशी ऋण को चुकाने में असमर्थ रहेगा। साथ ही, श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से वित्तीय सहायता की प्रतीक्षा कर रहा है। श्रीलंका सरकार ने आवश्यक वस्तुओं के आयात के भुगतान के लिये अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करने का निर्णय लिया है। फिच और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स जैसी रेटिंग एजेंसियों ने श्रीलंका के सॉवरेन ऋण को कम कर दिया है।
सॉवरेन ऋण
- सॉवरेन ऋण किसी भी सरकार द्वारा निर्गत या संचित किये गए ऋण को संदर्भित करता है। सरकारें उन विभिन्न खर्चों को वित्तपोषित करने के लिये धन उधार लेती हैं, जिन्हें वे अपने नियमित कर राजस्व के माध्यम से पूरा नहीं कर सकती हैं।
- सामान्यत: ऐसे ऋण को निर्धारित समय में ब्याज सहित मूल राशि के भुगतान करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि, कई सरकारें मौजूदा ऋण को चुकाने के लिये नए ऋण लेने का विकल्प चुनती हैं।
- सरकारें या तो अपनी स्थानीय मुद्रा में या यू.एस. डॉलर जैसी विदेशी मुद्रा में ऋण ले सकती हैं। सरकारों को आमतौर पर अपनी स्थानीय मुद्रा में उधार लेना और चुकाना सरल लगता है, क्योंकि सरकारें अपने केंद्रीय बैंकों की सहायता से स्थानीय मुद्रा में ऋण चुकाने के लिये सरलता से नई स्थानीय मुद्रा निर्मित कर सकती हैं। इसे ‘ऋण मुद्रीकरण’ कहते हैं। इससे मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि के कारण कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है।
- इसके विपरीत, अपने विदेशी ऋण को विदेशी मुद्रा मूल्यवर्ग में चुकाना सरकारों के लिये एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि सरकारें अपने विदेशी ऋण के भुगतान के लिये विदेशी मुद्रा के प्रवाह पर निर्भर होती हैं।
विदेशी ऋण के डिफ़ॉल्ट होने के कारण
- भोजन और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिये आवश्यक विदेशी मुद्रा हेतु श्रीलंका अपने पर्यटन क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है। श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 10% है।
- कोविड-19 के कारण श्रीलंका का पर्यटन क्षेत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित और श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर के प्रवाह में कमी आई।
- श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी 2022 में घटकर 2.3 बिलियन डॉलर हो गया। इस प्रकार, श्रीलंका को विदेशी ऋण चुकाने के लिये आवश्यक अमेरिकी डॉलर प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
- इसके लिये श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष के साथ-साथ भारत और चीन जैसे देशों से मदद मांगी है।
- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये की विनिमय दर को संतुलित करने के श्रीलंका के प्रयासों ने भी विदेशी ऋण संकट में भूमिका निभाई है।
- कोविड-19 के दौरान श्रीलंकाई मुद्रा के मूल्य में कमी आई और विभिन्न कारणों से अवैध विदेशी मुद्रा विनिमय बाज़ार को बढ़ावा मिला।
श्रीलंका पर प्रभाव
- डिफ़ॉल्ट होने पर अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाता भविष्य में श्रीलंका को ऋण देने में अनिच्छा व्यक्त कर सकते हैं, जब तक कि ऐसा ऋण किसी पुनर्गठन समझौते का हिस्सा न हो।
- श्रीलंका सरकार के ऋण डिफ़ॉल्ट होने पर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा श्रीलंका के सॉवरेन रेटिंग को कम किया जा सकता है, जिससे सरकार के लिये नए उधार की लागत अधिक होने की संभावना है क्योंकि उधारदाताओं को ऋण देते समय अधिक जोखिम उठाना होगा।
- आई.एम.एफ. द्वारा श्रीलंका को एक बेलआउट पैकेज दिया जा सकता है किंतु इसके लिये श्रीलंका सरकार को एक पूर्व शर्त के रूप में संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के लिये सहमत होना होगा।
- आई.एम.एफ. की शर्तों के अधीन श्रीलंका सरकार को 100% जैविक कृषि के अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य पर भी रोक लगानी पड़ सकती है। जिससे खाद्य आपूर्ति प्रभावित होने के कारण खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है।
- आई.एम.एफ. भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर मूल्य नियंत्रण को समाप्त करने की भी सिफारिश कर सकता है। विदित है कि किसी भी वस्तु पर मूल्य नियंत्रण से उत्पादकों द्वारा बाजार में ताजा आपूर्ति प्रभावित होती है।
- अमेरिकी डॉलर को पुन: आकर्षित करने के लिये श्रीलंकाई रुपए की विनिमय दर पर लगाए गए नियंत्रणों को भी समाप्त करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
मूल्य नियंत्रण की समाप्ति और गैर-जैविक खेती पर प्रतिबंध हटाने से घरेलू अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में लौटने में मदद मिल सकती है। वर्तमान में तेजी से बढ़ती कीमतों के कारण बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के कारण कई पर्यटक श्रीलंका जाने से बच रहे हैं, जिससे देश का विदेशी ऋण संकट और गहराता जा रहा है।