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सेंट मार्टिन द्वीप संबंधी विवाद

प्रारंभिक परीक्षा 

(भौगोलिक स्थिति)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ 

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के पीछे अमेरिका की भूमिका की संभावना होने का दावा किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि शेख हसीना ने ने बंगाल की खाड़ी में सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका को सौंप दी होती और बंगाल की खाड़ी में उसे बेस बनाने की अनुमति दे देतीं तो वह सत्ता में बनी रह सकती थीं।
सेंट मार्टिन द्वीप के बारे में 

  • परिचय : सेंट मार्टिन द्वीप बांग्लादेश का एकमात्र प्रवाल भित्ति द्वीप है। इसे लोकप्रिय रूप से बंगाली में ‘नारिकेल ज़िन्ज़िरा’ भी कहते हैं, जिसका हिंदी अर्थ ‘नारियल द्वीप’ होता है।
    • इसे 'दारुचिनी द्वीप' या दालचीनी द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।
  • अवस्थिति : यह बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित यह द्वीप केवल 3 किमी. वर्ग क्षेत्र में फैला एक छोटा आइलैंड हैबांग्लादेश के कॉक्स बाजार-टेकनाफ प्रायद्वीप के सिरे से लगभग 9 किमी. दक्षिण में और म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी तट से 8 किमी. पश्चिम में स्थित है। यह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 429 किमी. दूर अवस्थित है।
  • उपयोगिता : यह पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा स्थल और स्थानीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
  • द्वीप की अर्थव्यवस्था : यह मुख्यत: मछली पकड़ने, धान एवं नारियल की खेती और पर्यटन पर निर्भर करती है, जो इसके लगभग 5,500 निवासियों को आजीविका प्रदान करती है। 
  • समुद्री सीमाएँ : यह द्वीप समुद्री सीमा विवादों के केंद्र में है, जिसका विशेष आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) और महाद्वीपीय शेल्फों के सीमांकन पर प्रभाव पड़ता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून : म्यांमार के नौसैनिक बलों से जुड़ी घटनाएं अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के पालन के बारे में सवाल उठाती हैं।
  • समुद्री मार्ग : इस द्वीप से समुद्री मार्ग के माध्यम से दुनिया के किसी भी हिस्से में जाया जा सकता है।  

बांग्लादेश के लिए महत्व

  • रणनीतिक स्थान : सेंट मार्टिन द्वीप बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेश-म्यांमार समुद्री सीमा के निकट स्थित है। यह बांग्लादेश का सबसे दक्षिणी बिंदु है। यह बांग्लादेश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) संबंधी समुद्री दावों को पुष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • आर्थिक क्षमता : सेंट मार्टिन द्वीप के आसपास का जल समुद्री संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें मछली व संभावित रूप से हाइड्रोकार्बन शामिल हैं। इस द्वीप में पर्यटन की भी अत्यधिक क्षमता है। यह घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देता है।
  • पर्यावरणीय महत्व : यह द्वीप पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, जो प्रवाल भित्तियों, समुद्री कछुओं एवं विभिन्न मत्स्य प्रजातियों सहित विविध समुद्री जीवों का आवास है। जैव-विविधता संरक्षण और द्वीप के प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने के लिए इसका पर्यावरणीय संरक्षण महत्वपूर्ण है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए महत्व

  • भू-राजनीतिक हित : सेंट मार्टिन द्वीप रणनीतिक रूप से बंगाल की खाड़ी में स्थित होने और प्रमुख समुद्री मार्गों, अंडमान सागर एवं मलक्का जलडमरूमध्य के निकट होने के कारण भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। 
    • अमेरिका का तर्क है कि वह इस क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने का इच्छुक है, जो वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा : अमेरिका को अपनी व्यापक हिंद-प्रशांत रणनीति के हिस्से के रूप में दक्षिण एशिया, विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी में स्थिरता बनाए रखने में रुचि है। सेंट मार्टिन द्वीप अपनी अवस्थिति के आधार पर क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता में प्रमुख भूमिका निभाता है। 
    • यह भूमिका विशेष रूप से हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के संबंध में महत्त्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ : वैश्विक पर्यावरण संरक्षण में अमेरिका का निहित स्वार्थ है, विशेष रूप से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में। सेंट मार्टिन द्वीप की प्रवाल भित्तियाँ और समुद्री जीवन अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय हित के अनुरूप हैं और अमेरिका इन पारितंत्रों को संरक्षित करने के उद्देश्य से पहल का समर्थन कर सकता है।

अमेरिका द्वारा सेंट मार्टिन द्वीप पर प्रभाव का कारण    

  • अमेरिका इस पर सैन्य अड्डा स्थापित करना चाहता है। इसके लिए कथित तौर पर अमेरिका द्वारा सेंट-मार्टिन द्वीप को अधिगृहीत करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है।
    • हालाँकि, अमेरिकी सेंट-मार्टिन द्वीप पर नियंत्रण करने या सैन्य अड्डा स्थापित करने से इनकार करता रहा है।
  • संभावित सैन्य अड्डा बांग्लादेश की संप्रभुता और रणनीतिक हितों के लिए सीधा खतरा पैदा कर सकता हैइससे क्षेत्रीय तनाव, विशेषकर पड़ोसी देश भारत के साथ, भी बढ़ सकता है।

भारत पर प्रभाव 

  • यदि यह द्वीप बांग्लादेश के अलावा किसी अन्य शक्ति (जैसे- अमेरिका या चीन) द्वारा नियंत्रित होता है तो यह भारत के लिए एक चेक पोस्ट के रूप में काम करेगा। इससे बंगाल की खाड़ी एवं आसपास के पूरे समुद्री इलाके पर नजर रखी जा सकती है।  
  • इससे भारत के पूर्वी तट से होने वाला व्यापार भी प्रभावित हो सकता है। साथ ही, भारत के सैन्य अभियानों व सैन्य गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ेगा। 
  • इस द्वीप पर अमेरिका या चीन के प्रभाव से भारत के क्षेत्रीय एकीकरण के प्रयासों को झटका लग सकता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग किसी रणनीतिक मामले में भारत को संतुलित व नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है। 
  • इस द्वीप का प्रयोग भारत के पूर्वोत्तर सीमावर्ती क्षेत्रों को प्रभावित करने के लिए भी किया जा सकता है। अन्य देशों के प्रवेश से बंगाल की खाड़ी में भारत के प्रभुत्त्व को कम किया जा सकता है।
  • सेंट मार्टिन द्वीप से भारत की सैन्य एवं अंतरिक्ष गतिविधियों की भी निगरानी की जा सकती है।

भारत की भूमिका और प्रतिक्रिया

  • क्षेत्रीय सहयोग : वर्तमान परिस्थिति में बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता : विवादों में मध्यस्थता करने और विवादों को बढ़ने से रोकने में आसियान या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका हो सकती है।
  • कूटनीतिक प्रयास : द्वीपीय देशों सहित हिंद महासागर में भारत के कूटनीतिक प्रयासों का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना है।
  • आर्थिक सहायता : भारत द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को आर्थिक सहायता और चिकित्सा सहायता का प्रावधान एक जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति होने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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