संदर्भ
हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा 6वां राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (State Food Safety Index) जारी किया गया। सूचकांक को वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन (GFRS) 2024 के दूसरे संस्करण के दौरान प्रदर्शित किया गया।
राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक
- परिचय : FSSAI द्वारा जारी यह सूचकांक भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
- इसे पहली बार वर्ष 2018-19 में जारी किया गया था।
- प्रमुख मानदंड : सूचकांक की गणना पांच मापदंडों के आधार पर तय की जाती है:
- मानव संसाधन और संस्थागत डाटा
- अनुपालन
- खाद्य परीक्षण बुनियादी ढांचा और निगरानी
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
- उपभोक्ता सशक्तिकरण।
- महत्व : सूचकांक देश में सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए भारत के खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक बदलाव को प्रेरित करता है।
- यह केंद्रीय प्राधिकरण एवं राज्यों तथा सभी संबंधित हितधारकों के बीच एक मजबूत और पारदर्शी संचार प्रक्रिया स्थापित करता है, जिससे खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में प्रमुख चुनौतियों की पहचान करके नई योजनाओं और दिशानिर्देशों को शुरू करने में सहायक है।
- सूचकांक खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रोत्साहित करता है।
- इसके अलावा संबंधित राज्यों के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए, राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को केंद्रीय स्तर पर FSSAI द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मंचों में साझा किया जाता है।
सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष
- राज्यों का प्रदर्शन : सूचकांक के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केरल ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है यह लगातार दूसरा वर्ष है जब केरल ने सूचकांक में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
- तमिलनाडु दूसरे और जम्मू एवं कश्मीर तीसरे स्थान पर है।
- पूर्वोत्तर राज्यों में नागालैंड को विशेष स्थान दिया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने में समग्र प्रगति को दर्शाता है।
- प्रमुख सुझाव : यद्यपि समग्र खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त प्रयास किए गए हैं फिर भी सूचकांक में प्रमुख चुनौतियों और कमियों के संदर्भ में सुधार पर बल दिया गया है।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण : किसानों से लेकर खाद्य संचालकों और विनियामकों तक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सभी हितधारकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। इससे खाद्य सुरक्षा मानकों और प्रथाओं और गुणवत्ता पर समग्र प्रभाव के साथ खाद्य आपूर्ति की समग्र गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
- खाद्य परीक्षण क्षमताओं को बढ़ाना : खाद्य सुरक्षा मानकों की प्रभावी निगरानी और प्रवर्तन एवं संदूषकों का शीघ्र पता लगाने के लिए उन्नत परीक्षण सुविधाओं के निर्माण पर बल दिया गया है।
- आधुनिकीकरण एवं एकीकरण : खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों के प्रयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
- बुनियादी ढांचे को मजबूत करना : बेहतर बुनियादी ढांचे जिसमें आधुनिक भंडारण सुविधाओं, कुशल परिवहन नेटवर्क और मजबूत कोल्ड चेन सिस्टम में अधिक निवेश संबंधी सुझाव दिया गया है।
- उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षा : उपभोक्ताओं को उचित खाद्य हैंडलिंग, भंडारण और तैयारी के बारे में शिक्षित करना एवं खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में जागरूकता आदि शामिल है।
निष्कर्ष
खाद्य सुरक्षा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदा और संभावित चुनौतियों की गतिशील प्रकृति को संबोधित करने के लिए एक सतत प्रयास है जो राज्य और केंद्र के बीच लगातार समन्वय की मांग करती है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( FSSAI )
- FSSAI भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रशासन के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है।
- इसकी स्थापना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 द्वारा की गई थी, इस अधिनियम के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा से संबंधित सभी पूर्व अधिनियमों को समेकित किया गया।
- यह खाद्य पदार्थों के निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को नियंत्रित करने के साथ ही खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानक भी स्थापित करता है।
- मुख्यालय : नई दिल्ली
- इसके आलावा गाजियाबाद, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
- प्रमुख शक्तियां :
- खाद्य सुरक्षा मानक निर्धारित करने के लिए विनियमों का निर्माण।
- खाद्य परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं की मान्यता हेतु दिशानिर्देश निर्धारित करना।
- केंद्र सरकार को वैज्ञानिक सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- खाद्य क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी मानकों के विकास में योगदान देना।
- खाद्य उपभोग, संदूषण, उभरते जोखिम आदि के संबंध में डेटा एकत्र करना और उनका मिलान करना।
- भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण के बारे में जानकारी का प्रसार करना तथा जागरूकता को बढ़ावा देना।
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