New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

क्रिप्टोग्राफी अनुसंधान की स्थिति

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता)

संदर्भ 

भारत में क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) अनुसंधान तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह प्रणाली सुरक्षा में वृद्धि, क्वांटम-प्रतिरोधी एन्क्रिप्शन विकसित करने तथा तेजी से डिजिटल होती दुनिया में संवेदनशील डाटा की सुरक्षा के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग एवं होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन जैसी उभरती चुनौतियों का समाधान करने पर केंद्रित है।

क्रिप्टोग्राफी के बारे में 

  • क्रिप्टोग्राफी एक ऐसी पद्धति है जिसमें जानकारी को गुप्त कोड (सिफरटेक्स्ट) में बदलकर सुरक्षित रखा जाता है। यह संदेशों के एन्क्रिप्शन एवं उपयोग से संबंधित है जिसे केवल प्रेषक व प्राप्तकर्ता ही समझ सकते हैं। 
    • इस प्रकार सूचना तक अनधिकृत पहुँच को रोका जाता है और डाटा की गोपनीयता, अखंडता एवं प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है।

ऐतिहासिक संदर्भ

  • क्रिप्टोग्राफी का इतिहास बहुत पुराना है, जिसकी शुरुआत प्राचीन मेसोपोटामिया से हुई, जहाँ चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए गुप्त सूत्र लिखे थे।
  • सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक रोमन तानाशाह जूलियस सीज़र का सीज़र सिफर (Caesar Cipher) है जिसका प्रयोग सैन्य संदेशों को सुरक्षित रूप से भेजने के लिए किया जाता था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलिश कोडब्रेकर्स और एलन ट्यूरिंग ने जर्मन एनिग्मा क्रिप्टोसिस्टम को क्रैक किया था। 
    • ट्यूरिंग के कार्य ने विशेष रूप से आधुनिक एल्गोरिथम कंप्यूटिंग के लिए बहुत से आधारभूत सिद्धांत स्थापित किए। 

क्रिप्टोग्राफी के मुख्य उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य डाटा को सुरक्षित रखना है जिसके लिए अपनाए जाने वाले उपाय है-

  • गोपनीयता (केवल सही लोग ही इसे पढ़ या देख सके) 
  • सत्यनिष्ठा (डाटा में कोई बदलाव न किया गया हो) 
  • प्रामाणिकता (आप जानते हो कि इसे किसने भेजा है) और 
  • गैर-अस्वीकृति (प्रेषक इसे भेजने से इनकार न कर सके) 

क्रिप्टोग्राफी के अनुप्रयोग

  • सुरक्षित संचार : क्रिप्टोग्राफी ईमेल, चैट एवं फ़ोन कॉल में संदेशों को एन्क्रिप्ट करती है। यह सुनिश्चित करती है कि केवल इच्छित प्राप्तकर्ता ही उन तक पहुँच सकें। उदाहरण, WhatsApp और Telegram जैसे प्लेटफ़ॉर्म।
  • ऑनलाइन बैंकिंग एवं ई-कॉमर्स : क्रिप्टोग्राफी ऑनलाइन लेनदेन और भुगतान विवरणों को सुरक्षित करता है। यह SSL/TLS जैसे प्रोटोकॉल के साथ सुरक्षित ऑनलाइन शॉपिंग व बैंकिंग सुनिश्चित करता है।
  • डिजिटल हस्ताक्षर एवं प्रमाणीकरण : क्रिप्टोग्राफ़िक तकनीक दस्तावेज़ों (जैसे- अनुबंध) की प्रामाणिकता को सत्यापित करती है और पहचान सत्यापन के लिए पब्लिक-की क्रिप्टोग्राफी (PKC) जैसे सुरक्षित लॉगिन सिस्टम सुनिश्चित करती है।
    • पब्लिक-की क्रिप्टोग्राफी डाटा को एन्क्रिप्ट व डिक्रिप्ट करने की एक विधि है।
  • ब्लॉकचेन एवं क्रिप्टोकरेंसी : क्रिप्टोग्राफी ब्लॉकचेन तकनीक का आधार है। यह क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को सुरक्षित करती है, धोखाधड़ी को रोकती है और लेनदेन रिकॉर्ड की सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करती है।
  • डाटा एन्क्रिप्शन : डिवाइस या क्लाउड सेवाओं पर संग्रहीत फ़ाइलें एन्क्रिप्ट की जाती हैं। यह संवेदनशील डाटा को अनधिकृत पहुँच या चोरी से बचाती हैं और गोपनीयता व सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
  • नेटवर्क एवं Wi-Fi सुरक्षा : क्रिप्टोग्राफी Wi-Fi नेटवर्क (जैसे- WPA) को सुरक्षित करती है, अनधिकृत पहुँच को रोकती है और नेटवर्क पर सुरक्षित डाटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित करती है।

क्रिप्टोग्राफी में वैश्विक और भारतीय शोध प्रयास

  • क्वांटम-प्रतिरोधी क्रिप्टोग्राफी (QRC) : वर्ष 2006 से दुनिया भर के शोधकर्ता QRC पर कार्यरत हैं जिसमें यूरोपीय संघ और जापान में सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित शोध परियोजनाएं शामिल हैं।
  • होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन : शोधकर्ता इस तकनीक की खोज कर रहे हैं जो बिना डिक्रिप्शन के एन्क्रिप्टेड डाटा पर गणना करने की अनुमति देता है। इसे संवेदनशील डाटा को संसाधित करते समय सुरक्षा को अधिक मज़बूत करने के तरीके के रूप में देखा जाता है।
  • क्वांटम संचार : भारत, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन जैसी पहलों के साथ सुरक्षित क्वांटम संचार तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसका उद्देश्य लंबी दूरी की क्वांटम संचार प्रणाली एवं क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन का निर्माण करना है।
  • रैंडम नंबर जनरेशन : जुलाई 2024 में भारतीय शोधकर्ताओं ने रैंडम नंबर जनरेशन का तरीका बताया, जो ‘सिक्योर प्राइवेट की’ और लगभग हैक न किए जा सकने वाले पासवर्ड बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • सरकारी सहायता : इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग जैसी एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार, विशेष रूप से क्वांटम संचार व डाटा सुरक्षा में क्रिप्टोग्राफ़िक शोध को वित्तपोषित कर रही है।

क्रिप्टोग्राफी में चुनौतियाँ

  • एल्गोरिदम की जटिलता : सुरक्षित एवं कुशल क्रिप्टोग्राफ़िक एल्गोरिदम का निर्माण एक कठिन संतुलन है।
    • वर्तमान में शोधकर्ताओं का लक्ष्य ऐसा एल्गोरिदम विकसित करना है जिन्हें क्वांटम कंप्यूटर भी हल न कर सके।
  • कम्प्यूटेशनल लागत में वृद्धि : क्रिप्टोग्राफ़िक सिस्टम को प्राय: एन्क्रिप्शन एवं डिक्रिप्शन प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण कम्प्यूटेशनल शक्ति की आवश्यकता होती है। डाटा बढ़ने के साथ-साथ सिस्टम को सुरक्षित बनाए रखने की कम्प्यूटेशनल लागत अधिक होती जाती है।
    • कम्प्यूटेशनल लागत से तात्पर्य किसी कंप्यूटिंग अनुप्रयोग में डाटा के प्रसंस्करण एवं स्थानांतरण के लिए आवश्यक समय व संसाधनों की कुल मात्रा से है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग का खतरा : क्वांटम कंप्यूटर में कई मौजूदा एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम को क्रैक करने की क्षमता है। क्वांटम कंप्यूटिंग के विकास के साथ-साथ क्वांटम हमलों के खिलाफ सुरक्षित क्रिप्टोग्राफ़िक तरीके (Quantum-resistant Cryptography : QRC) विकसित करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। 
  • गति बनाम सुरक्षा : कुछ क्रिप्टोग्राफ़िक प्रणाली बहुत सुरक्षित होते हैं किंतु संदेशों को डिक्रिप्ट करने में अधिक समय लेते हैं। गति व सुरक्षा को संतुलित करना एक सतत चुनौती है।
    • उदाहरण के लिए, बिटकॉइन माइनिंग एक जटिल वन-वे फ़ंक्शन का उपयोग करता है जिसके लिए डिक्रिप्ट करने के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों व समय की आवश्यकता होती है। 
  • डाटा उल्लंघन : एन्क्रिप्शन में प्रगति के बावजूद कमज़ोर या अनुचित तरीके क्रिप्टोग्राफी के कारण डाटा उल्लंघन अभी भी आम हैं। सभी प्रणालियों में मज़बूत एन्क्रिप्शन सुनिश्चित करना एक सतत चुनौती है।
  • होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन : होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन एन्क्रिप्ट किए गए डाटा पर बिना डिक्रिप्ट किए गणना करने की अनुमति देता है जोकि एक आशाजनक क्षेत्र है किंतु अभी भी अपने शुरुआती चरण में है। 
    • सुरक्षा से समझौता किए बिना इसे वास्तविक दुनिया के उपयोग के लिए अधिक व्यावहारिक बनाना एक चुनौती है।
  • प्रामाणिकता एवं विश्वास : AI जैसी उभरती हुई तकनीकों के साथ डाटा की प्रामाणिकता को सत्यापित करना और त्रुटिरहित गणना को सुनिश्चित करना एक नई चुनौती है। 
  • विकसित होते खतरे : साइबर खतरों के परिदृश्य में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। इस प्रकार क्रिप्टोग्राफ़िक सिस्टम को तेज़ी से अनुकूलित करने की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • दक्षता अनुकूलन : हालिया संदर्भ में अधिक कुशल क्रिप्टोग्राफ़िक एल्गोरिदम की आवश्यकता है जो उच्च सुरक्षा और निम्न कम्प्यूटेशनल लागत के बीच संतुलन रखते हैं। 
  • डाटा उल्लंघन की रोकथाम : कमज़ोर एन्क्रिप्शन या निम्न स्तर के सिस्टम डिज़ाइन के कारण डाटा उल्लंघनों की आवृत्ति में वृद्धि होती है। इसे कम करने के लिए उन्नत प्रशिक्षण, सर्वोत्तम अभ्यास एवं मजबूत क्रिप्टोग्राफ़िक कार्यान्वयन महत्वपूर्ण हैं।
  • होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन उन्नति : प्रदर्शन से समझौता किए बिना सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड डाटा प्रोसेसिंग को सक्षम करने के लिए होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन की व्यावहारिकता में सुधार करने से बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकता है।
  • AI में विश्वास एवं प्रामाणिकता : एक क्रिप्टोग्राफ़िक प्रोटोकॉल लागू किया जाना चाहिए, जो डाटा की सत्यनिष्ठा व प्रामाणिकता सुनिश्चित करते हैं, विशेषकर जब AI तकनीकें निर्णयन क्षमता को तेज़ी से प्रभावित करती हैं।
  • अनुकूली सुरक्षा : क्रिप्टोग्राफ़िक सिस्टम, वास्तविक समय सुरक्षा अपडेट और उत्तरदायी रणनीतियों को शामिल करके तेज़ी से विकसित होने वाले साइबर खतरों के अनुकूल होना चाहिए।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR