वैश्विक वायु स्थिति रिपोर्ट (State of Global Air Report)
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
हाल ही में आई वैश्विक वायु स्थिति रिपोर्ट (SoGA 2020) के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण 1 लाख 16 हज़ार से अधिक शिशुओं की मृत्यु हुई है।
यह नवजात शिशुओं पर वायु प्रदूषण के वैश्विक प्रभाव का पहला व्यापक विश्लेषण है तथा पहली बार वायु प्रदुषण के कारण एक माह से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु का अनुमान लगाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्रदूषण स्तर सर्वाधिक (83.2 μg/घन मीटर) है जिसके बाद क्रमश: नेपाल (83.1 μg/घन मीटर) तथा नाइज़र (80.1 μg/घन मीटर) का स्थान है। भारत में पिछले तीन वर्षों में प्रदूषण का स्तर औसत से कम रहा है, लेकिन इंडो-गंगा के मैदानी इलाकों में विशेष रूप से सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर अत्यधिक उच्च (Extremely High Particulate Matter pollution)होता है।
कार्यान्वयन
इस रिपोर्ट को वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME2) के सहयोग से हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट द्वारा इंटरेक्टिव वेबसाइट के साथ डिज़ाइन और कार्यान्वित किया जाता है।
यह एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी अनुसंधान संस्थान है। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी और अन्य द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाता है।
इसके निष्कर्ष हालिया ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ (GBD3) के अध्ययन पर आधारित हैं, जिन्हें 15 अक्तूबर, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका, द लैंसेट में प्रकाशित किया गया है।
कारण
रिपोर्ट के अनुसार बायोमास ईंधन के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण को इस आयु वर्ग में होने वाली लगभग दो तिहाई मौतों के लिये ज़िम्मेदार ठहराया गया है। वायु प्रदूषण के प्रतिकूल परिणामों का गर्भावस्था और नवजात स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के संदर्भ में आकलन करना मध्यम आय वाले देशों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
यद्यपि उज्ज्वला योजना के पश्चात् ग्रामीण स्तर पर खराब गुणवत्ता वाले ईंधन पर घरेलू निर्भरता में धीमी और स्थिर कमी आई है, परंतु इस ईंधन से होने वाला वायु प्रदूषण नवजात शिशुओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारक बना हुआ है।
हाल ही में, भारत में ICMR द्वारा किये गये अध्ययन तथा कई अन्य देशों के वैज्ञानिक अध्ययनों से यह भी पता चला है कि जन्म के समय बच्चों का वजन कम होना व उनके समय से पूर्व-जन्म लेने के पीछे भी वायु प्रदूषण एक मुख्य कारक है।
SoGA, 2020 में किये गए विश्लेषण के अनुसार सभी कारणों से होने वाली नवजात बच्चों की मृत्यु का लगभग 21% बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के कारण है।
वर्ष 2019 में स्ट्रोक, दिल का दौरा, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर, फेफड़ों की पुरानी बीमारियों आदि के कारण 1.67 मिलियन से अधिक वार्षिक मृत्यु वायु प्रदुषण के लंबे समय तक बने रहने के कारण हुई है।
कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान प्रदूषणके स्तर में कमी आई थी, परंतु अब प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ रहा है और कुछ शहरों में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में आ गई है।