(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - स्टेच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी, कैंपेगोड़ा)
संदर्भ
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा, स्टेच्यू ऑफ प्रास्पेरिटी के रूप में वर्णित, कैंपेगोड़ा की एक कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- कैंपेगौड़ा की मूर्ति के लिए, कर्नाटक राज्य के 31 जिलों से मिट्टी लाई गई थी।
- यह प्रतिमा, बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के परिसर में स्थित है।
कैंपेगोड़ा
- कैंपेगौड़ा, विजयनगर साम्राज्य के अधीन एक सामंत थे, इन्हे बैंगलोर शहर का संस्थापक माना जाता है।
- कैंपेगौड़ा का जन्म 1510 ई. में येलहांका में हुआ था, इनका शासन काल 1513 से 1569 के बीच था।
- कैंपेगौड़ा के बारे में जानकारी, पुरालेखों की तुलना में लोककथाओं में ज्यादा मिलती है।
- कैंपेगौड़ा ने, दुश्मनों पर दूर से नजर रखने के लिए किलों को ऊंचाई पर बनवाना शुरू किया, उन्होंने दुश्मनों की किसी भी पहलकदमी से चेतावनी देने का सिस्टम भी तैयार किया था।
- उन्होंने शहर में निगरानी के लिए कई बुर्ज बनवाए थे, जो शहर के परिसीमन के प्रतीक थे।
- केम्पेगौड़ा को, अपने सामाजिक सुधारों और बेंगलुरु में मंदिरों और जलाशयों के निर्माण में योगदान के लिए भी जाना जाता है।
- उनके सामाजिक सुधारों में से एक मोरासु वोक्कालिगास के एक महत्वपूर्ण रिवाज "बंदी देवारू" के दौरान अविवाहित महिलाओं के बाएं हाथ की अंतिम दो उंगलियों को काटने की प्रथा को प्रतिबंधित करना था।
- केम्पेगौड़ा ने शहर में पानी की आपूर्ति के लिए, किले के चारों ओर खाई के लिए और फसलों की सिंचाई के लिए टैंक बनबाये थे, तथा किले के अंदर, ग्रेनाइट पत्थरों की चिनाई से घिरा एक बड़ा तालाब बनाया गया था।
- वे कला और विद्या के संरक्षक थे, विशुद्ध रूप से कन्नड़ भाषी समुदाय से होने के बावजूद वे बहुभाषी थे, और उन्होंने तेलुगु भाषा में एक यक्षगान नाटक गंगागौरीविलास लिखा, जो उस समय की दरबारी भाषा थी।
- केम्पेगौड़ा ने अपने नाम से सिक्के भी ढलवाए थे।
- कर्नाटक सरकार द्वारा, प्रति वर्ष 27 जून को, केम्पेगौड़ा की जयंती का पूरे कर्नाटक में आयोजन किया जाता है।