(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय) |
संदर्भ
कुवैत के दक्षिणी जिले अल-मंगफ की एक इमारत में आग लगने से लगभग 40 भारतीयों की मृत्यु हो गई। इस घटना से खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों की स्थिति को लेकर चर्चा आवश्यक है।
कुवैत में भारतीय प्रवासी
- कुवैत में भारतीयों की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। वर्ष 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में वैध मुद्रा के रूप में प्रचलित था।
- वर्तमान में लगभग दस लाख भारतीय प्रवासी कुवैत में रहते हैं, जो इसे देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बनाता है।
- भारतीय दूतावास के अनुसार कुवैत की कुल आबादी में 21% भारतीय और कुल कार्यबल में 30% भारतीय हैं।
- 1990 के दशक की शुरुआत में खाड़ी युद्ध ने कुवैत में भारतीय आबादी पर काफी प्रभाव डाला था, जिसमें 1.7 लाख से अधिक भारतीय वापस भारत आ गए थे।
- हालाँकि, युद्ध के पश्चात कुवैत जाने वाले भारतीयों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हुई।
- वर्ष 1991 में मुक्ति संग्राम से पहले कुवैत में फिलिस्तीनी समुदाय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय था किंतु उनकी संख्या कम हो गई और भारतीयों ने उन्हें पीछे छोड़ दिया।
- जनशक्ति के दृष्टिकोण से कुवैत, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है। फिर भी जुलाई 2023 तक भारत एवं कुवैत के मध्य कोई रणनीतिक साझेदारी मौजूद नहीं थी।
भारत एवं कुवैत के मध्य समझौते
- भारत ने कुवैत के साथ कई द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। कुवैत में भारतीय दूतावास के अनुसार करीब 15 समझौते/एम.ओ.यू. अंतिम रूप दिए जाने के विभिन्न चरणों में हैं।
- कुवैत के साथ 15 वर्षीय द्विपक्षीय निवेश संवर्धन समझौता 28 जून, 2003 को लागू हुआ और 27 जून, 2018 को समाप्त हो गया।
क्या है खाड़ी सहयोग परिषद
- खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council : GCC) छह देशों का समूह है। वर्तमान में इन देशों के राजस्व का मुख्य स्रोत तेल निर्यात है।
- इस समूह में शामिल देश हैं :
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात
- ओमान
- कुवैत
- कतर
- बहरीन
- इसकी स्थापना वर्ष 1981 में क्षेत्रीय एवं सांस्कृतिक निकटता के आधार पर सदस्य देशों के बीच समन्वय, एकीकरण व अंतर-संबंध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
- 25% प्रवासी भारतीय 6 जी.सी.सी. देशों में निवास करते हैं और 56% एन.आर.आई. (Non-Resident Indians) इन देशों में रहते हैं
जी.सी.सी. देशों का भारत के लिए महत्त्व
- भारत और खाड़ी सहयोग परिषद के बीच सहयोग पर विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार यह क्षेत्र भारत में धन प्रेषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- भारतीय प्रवासियों से प्राप्त धन देश के आर्थिक विकास का एक अत्यंत महत्वपूर्ण आयाम है।
- प्रवासी भारतीयों एवं समग्र भारतीयों द्वारा विदेशों से भेजे जाने वाले कुल धन के अंतिम आंकड़े $120 बिलियन से अधिक रहे हैं। भारत को कुल विदेशी धन-प्रेषण में से 28.6% GCC से प्राप्त हुआ। इसमें से कुवैत से प्राप्त प्रेषण 2.4% रहा।
- भारत वर्ष 2022 में विदेशों से प्रेषण का उच्चतम प्राप्तकर्ता था। इसके बाद प्रेषण प्राप्तकर्ता देश हैं : मेक्सिको > चीन > फिलीपींस > फ़्रांस।
- एक समिति ने धन प्रेषण में और वृद्धि की संभावना को देखते हुए विदेश मंत्रालय से भारतीय प्रवासियों के कल्याण एवं संरक्षण के लिए खाड़ी क्षेत्र पर केंद्रित प्रवासी-केंद्रित नीति बनाने की सिफारिश की है।
भारत एवं खाड़ी देशों के मध्य व्यापार
- विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, जी.सी.सी. क्षेत्र भारत के कुल व्यापार के लगभग छठे हिस्से के लिए उतरदायी है।
- वित्त वर्ष 2022-23 में इन देशों के साथ भारत का व्यापार लगभग 184 बिलियन डॉलर था जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20% की वृद्धि दर्शाता है।
- वर्तमान में भारत सरकार जी.सी.सी. देशों के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement : FTA) पर भी चर्चा कर रही है।
- विदेश मंत्रालय के अनुसार वह भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार में भागीदारी को प्रोत्साहित करके, दीर्घकालिक गैस आपूर्ति व्यवस्था पर बातचीत करके, तेल क्षेत्रों में रियायतें प्राप्त करके और नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग के माध्यम से ऊर्जा सहयोग के संदर्भ में जी.सी.सी. देशों के साथ व्यापक संबंध की ओर बढ़ रहा है।
भारत और प्रवासी सुरक्षा
- भारत व कुवैत के मध्य श्रम, रोजगार एवं जनशक्ति विकास पर समझौता ज्ञापन पर अप्रैल 2007 में हस्ताक्षर किए गए।
- भारत 40 वर्ष से अधिक पुराने उत्प्रवास अधिनियम, 1983 (The Emigration Act) से प्रवास को नियंत्रित करता है, जो प्रवासी श्रमिकों को जोखिम में डालता है। हालाँकि, उत्प्रवास प्रबंधन विधेयक, 2022 अभी लंबित है।
- उत्प्रवास (संशोधन) अधिनियम, 2023 में प्रवासी कल्याण खंड को जोड़ा गया है।
- इसी तरह, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन 189 या ‘ILO C189’ (घरेलू कामगार अभिसमय) पर हस्ताक्षर या अनुसमर्थन नहीं किया है, जो घरेलू कामगारों को सवेतन छुट्टी, न्यूनतम वेतन एवं रोजगार अनुबंध जैसे अधिकार प्रदान करता है।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन 87 या ‘ILO C87’ (संघ बनाने की स्वतंत्रता और सम्मेलन आयोजित करने के अधिकार का संरक्षण) पर भी हस्ताक्षर या अनुसमर्थन नहीं किया है। C87 संघ बनाने की स्वतंत्रता और संगठित होने के अधिकार की सुरक्षा की गारंटी देता है।
- यद्यपि भारत ने ग्लोबल कॉम्पैक्ट फॉर माइग्रेशन, 2018 को अपनाया है किंतु भारत सरकार के पास यह तय करने का संप्रभु अधिकार है कि कौन नियमित प्रवासी है और कौन अनियमित प्रवासी है।
क्या आप जानते हैं?
- खाड़ी में भारतीय कामगार प्रतिदिन औसतन 1 श्रम शिकायत दर्ज कराते हैं और इनमें से लगभग सभी मुद्दे ILO द्वारा परिभाषित जबरन श्रम या बंधुवा मजदूरी को दर्शाते हैं।
- खाड़ी देशों में श्रमिकों को अधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे कफाला नामक एक शोषणकारी नियोक्ता-कर्मचारी श्रम अनुबंध प्रणाली का पालन करते हैं। इसे आधुनिक गुलामी के समान माना जाता है।
- न्याय तक सीमित पहुंच, कमजोर एवं अक्षम विवाद निपटान तंत्र और मुआवजा योजनाओं का न होने से भी प्रवासी श्रमिकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी विभाग (UN DESA) के अनुसार, जुलाई 2023 तक पूरी दुनिया में 281 मिलियन प्रवासी हैं, जो दुनिया की आबादी का 3.6% है।
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