नई दिल्ली में आयोजित पहले अंतर्राष्ट्रीय स्टील स्लैग रोड सम्मेलन में सड़क निर्माण में प्रसंस्कृत स्टील स्लैग एग्रीगेट के रूप में स्टील स्लैग के उपयोग एवं प्रसंस्करण के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
स्टील स्लैग के बारे में
- स्टील स्लैग एक ठोस अवशेष है जो स्टील निर्माण प्रक्रिया के दौरान एक उपोत्पाद के रूप में उत्पन्न होता है। इसकी जटिल रासायनिक संरचना और उच्च परिवर्तनशीलता इसकी विशेषता है।
- स्टील स्लैग का निर्माण बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस (BOF) या इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) में पिघले हुए स्टील से अशुद्धियों को अलग करके किया जाता है। इसकी उपयोगिता दर आयरन स्लैग की तुलना में काफी कम है।
- कच्चे माल या उत्पादन प्रक्रिया के आधार पर स्टील स्लैग को ‘बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस स्लैग’, ‘इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस स्लैग’ और ‘लैडल फर्नेस स्लैग’ में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- मुख्यत: स्लैग में विभिन्न संयोजनों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज एवं एल्यूमीनियम सिलिकेट व ऑक्साइड होते हैं।
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- इसका उपयोग तटबंधों, सड़क निर्माण एवं डामर में किया जाता है। आयरन स्लैग के विपरीत स्टील स्लैग का उपयोग कार्बन खनिजीकरण के लिए किया जा सकता है, इसलिए कार्बिक्रेट प्रौद्योगिकी (सीमेंट रहित कंक्रीट तकनीक) में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
- कार्बन खनिजीकरण (Carbon Mineralization) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड एक ठोस खनिज बन जाता है, जैसे कार्बोनेट।
- सीमेंट की तुलना में स्टील स्लैग में सीमित हाइड्रोलिक गुण होते हैं। इसलिए स्टील स्लैग में CO2 के साथ खनिजीकरण प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।
इसे भी जानिए!
- आम तौर पर ‘स्लैग’ शब्द का उपयोग लोहे या इस्पात निर्माण प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न उपोत्पाद को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
- यह धातु ऑक्साइड और अन्य उपयोगी खनिजों से समृद्ध होता है जिन्हें अंतिम उत्पादों के रूप में पुनर्चक्रित किया जा सकता है और अपशिष्ट को कम किया जा सकता है।
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