New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

स्टेलेरिया बंगालेंसिस

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं  पारिस्थितिकी) 

चर्चा में क्यों 

हाल ही में शोधकर्ताओं द्वारा पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग जिले में स्टेलेरिया वंश की एक जड़ी-बूटी की प्रजाति की पहचान की गई। 

स्टेलेरिया बंगालेंसिस के बारे में 

  • इसी वर्ष मई में इस वंश की एक प्रजाति ‘स्टेलेरिया मैकक्लिंटॉकी’(Stellaria mcclintockiae) केरल की नेल्लियामपथी पहाड़ियों पर पाई गई थी। 
  • नामकरण :शोधकर्ताओं द्वारा इस वार्षिक जड़ी-बूटी का नाम पश्चिम बंगाल राज्य के नाम पर स्टेलेरिया बेंगालेंसिस रखा गयाहै।
  • खोज स्थल : इसकी खोज पश्चिम बंगाल कालिम्पोंग के संगसेर जंगल में 2,245-2,450 मीटर की ऊंचाई पर किया गया। 
  • विशेषताएँ
    • स्टेलेरिया बंगालेंसिस एक जड़ी बूटी है जो 8 से 10.5 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ती है। 
    • इसकी प्रमुख विशेषताओं में सफेद फूल, ब्रैक्ट की अनुपस्थिति, छोटी पंखुड़ियाँ (या सीपल के भीतर शामिल) और नुकीले बीज शामिल हैं। 
    • इसमें मई से सितंबर के दौरान फूल और फल लगते हैं।
    • भारत में लगभग 22 स्टेलेरिया (Stellaria) प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से अधिकाशतः हिमालय क्षेत्र में उपस्थित हैं।
  • पश्चिमी हिमालय में स्टेलेरिया बंगालेंसिस की अधिक आबादी होने की संभावना को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने नई प्रजाति का मूल्यांकन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के मानदंडों के तहत 'डाटा की कमी'(data deficient) के रूप में किया है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X