चर्चा में क्यों
हाल ही में केरल के पलक्कड़ जिले में नेलियामपैथी पहाड़ियों की ऊंची, कीचड़ भरी ढलानों पर पाई जाने वाली एक पौधे की नई प्रजाति की खोज की गई है।

- नामकरण : इसका नाम अमेरिकी वैज्ञानिक बारबरा मैक्लिंटॉक के नाम पर ‘स्टेलारिया मैक्लिंटॉकिया’ रखा गया है।
- वंश (genus) : स्टेलारिया (Stellaria) से संबंधित और परिवार - कैरियोफिलेसी (Caryophyllaceae) से संबंधित।
- दक्षिण भारत से रिपोर्ट की गई स्टेलारिया वंश की यह पहली प्रजाति है।
- विशेषताएं :
- वर्तमान में स्टेलारिया मैक्लिंटॉकिया प्रजाति केवल नेलियामपैथी पहाड़ियों में 1,250-1,400 मीटर की ऊंचाई पर पायी जाती है।
- यह एक वार्षिक पौधा है जिसकी ऊंचाई 15 सेमी तक होती है।
- यह अपनी पंखुड़ियों, पराग आकारिकी, ब्रैक्ट्स, सेपल्स की विशेषताओं और बीज की बनावट के संबंध में इस वंश की अन्य प्रजातियों से भिन्न है।
- स्टेलारिया वंश की प्रजाति के पुष्पीय भाग अति सूक्ष्म होते हैं और उनकी विशेषताओं को पहचानना कठिन है।
- चिंताएं :
- स्टेलारिया मैक्लिंटॉकिया पौधों की संख्या बहुत कम है और इसके परिवेश को हाथियों के चरने और कुचलने का भी गंभीर खतरा है।
- शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि स्टेलारिया मैक्लिंटॉकिया को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के मानदंडों के तहत गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया जाए।
बारबरा मैक्लिंटॉक के बारे में
- बारबरा मैक्लिंटॉक एक अमेरिकी वैज्ञानिक और साइटोजेनेटिकिस्ट थीं।
- इन्हें वर्ष 1983 में "मोबाइल आनुवंशिक तत्वों की खोज के लिए" फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- मक्के के साइटोजेनेटिक्स का अध्ययन करने वाली डॉ. मैक्लिंटॉक ने साबित किया कि आनुवंशिक तत्व कभी-कभी गुणसूत्र पर स्थिति बदल सकते (जंपिंग जीन) हैं, जिससे आस-पास के जीन सक्रिय या निष्क्रिय हो जाते हैं।

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