चर्चा में क्यों
हाल ही में, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा वैश्विक हथियारों पर रिपोर्ट जारी की गई है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में विश्व के शीर्ष 25 निर्माताओं में अमेरिका के हथियारों की बिक्री सर्वाधिक 61% थी तो वहीं चीन की बिक्री 15.7% रही। शीर्ष 25 कम्पनियों की कुल बिक्री वर्ष 2018 की तुलना में 8.5% बढ़कर $ 361 बिलियन हो गई, जो संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के वार्षिक बजट का 50 गुना है।
- वर्ष 2019 में वैश्विक हथियारों के बाज़ार में अमेरिकी और चीनी कम्पनियों का वर्चस्व बना हुआ है। वहीं पश्चिम एशिया ने पहली बार 25 सबसे बड़े हथियार निर्माताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज की है। शीर्ष 10 हथियार निर्माता कम्पनियों में 6 अमेरिकी, 3 चीनी तथा 1 ब्रिटेन की कम्पनी शामिल है।
- यूरोपीय कम्पनियों के अलग-अलग होने के कारण हथियार बाज़ार में उनकी उपस्थिति पिछड़ी हुई है, यदि यूरोपीय कम्पनियों को एक साथ जोड़ दिया जाए तो यूरोपीय कम्पनियों का आकार यू.एस. और चीनी निर्माताओं के समान हो सकता है। यूरोपीय कम्पनियों में एयरबस (रैंक 13) और थेल्स (रैंक 14) सबसे मजबूत अंतर्राष्ट्रीय स्थिति का दावा कर सकते हैं, जो यू.एस. की बोइंग कम्पनी से आगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दूसरों की तुलना में यूरोपीय कम्पनियाँ अधिक अंतर्राष्ट्रीयकृत हैं। पहली बार पश्चिम एशिया की एक कम्पंनी को शीर्ष 25 कम्पनियों में शामिल किया गया।
- रिपोर्ट में 22 वें स्थान पर रही ई.डी.जी.ई. (EDGE) कम्पनी इस बात का अच्छा उदाहरण है कि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर कम निर्भरता के साथ सैन्य उत्पादों के लिये उच्च राष्ट्रीय माँग का संयोजन मध्य पूर्व में हथियार कम्पनियों की वृद्धि को कैसे बढ़ा रहा है।
- फ्रांसीसी समूह डसॉल्ट ने वर्ष 2019 में अपने राफेल लड़ाकू जेट के निर्यात के कारण 38वें से 17वें स्थान पर छलांग लगाई है।
भारत की स्थिति
- भारत सऊदी अरब के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है। हालाँकि भारत घरेलू रक्षा उत्पादन क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है।
- भारत में पिछले छह वर्षों में मेक इन इंडिया परियोजना के तहत लड़ाकू विमान, डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन, लाइट-यूटिलिटी हेलिकॉप्टर, या इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स बनाने की प्रक्रिया चल रही है।