संदर्भ
हम्पी एवं तुंगभद्रा नदी के निकट पत्थर की बढ़ती हुई खदाने सुरक्षा संबंधी चिंताएं उत्पन्न करती है क्योंकि इससे विश्व धरोहर स्थल की अद्वितीय चट्टान संरचनाओं और परिदृश्य को खतरा पैदा हो सकता है।
पत्थर उत्खनन गतिविधि से जुडी चिंताएं
- धरोहरों को नुकसान : यह प्राचीन चट्टान संरचनाओं और स्मारकों को नुकसान पहुँचाता है, जिससे हम्पी का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक मूल्य प्रभावित होता है।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ : बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़ने के लिए विस्फोटकों का उपयोग किया जाता है जिससे स्मारकों की संरचनात्मक अखंडता और पर्यटकों के लिए जोखिम की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है।
- पर्यावरणीय ह्रास : यह क्षेत्र तुंगभद्रा ऊदबिलाव संरक्षण रिजर्व के अंतर्गत आता है। इसके बावजूद भी यहाँ उत्खनन जारी है और इस स्थल की विरासत व प्राकृतिक सौंदर्य पर उत्खनन का प्रभाव चिंताजनक है।
- यह उत्खनन ऊदबिलाव के आवासों सहित प्राकृतिक परिदृश्य व पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है।
- पर्यटन प्रभाव : इस क्षेत्र में मौजूद विशाल पत्थर यहाँ के परिदृश्य को पर्यटकों के लिए अधिक आकर्षक बनाते हैं। इन विशाल पत्थरों का उत्खनन आगंतुकों के लिए सौंदर्य और मनोरंजन के अनुभव को कम करता है।
हम्पी
- हम्पी, कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- अशोक के शिलालेखों में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान इस क्षेत्र के मौर्य साम्राज्य का हिस्सा होने के प्रमाण मिलते हैं।
- हम्पी का संबंध दक्षिण के विभिन्न शासकों जैसे चालुक्य, होयसला एवं विजयनगर आदि से था।
- 14वीं शताब्दी में तुलुव वंश के शासक कृष्णदेवराय के समय विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत हम्पी का सर्वाधिक विकास हुआ।
- 1500 ई. तक हम्पी-विजयनगर, बीजिंग के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मध्ययुगीन शहर था।
- इस समय फारस व पुर्तगाल से इस शहर के व्यापारिक संबंध स्थापित हुए।
- 23 जनवरी, 1565 को तालीकोटा युद्ध के बाद हम्पी खंडहर में तब्दील हो गया।
- इस युद्ध में विजयनगर से शासक को बीजापुर, बीदर, अहमदनगर एवं गोलकोंडा के चार सहयोगी मुस्लिम सुल्तानों की सेनाओं ने मिलकर युद्ध किया।
- युद्ध में विजय नगर के शासक आलिया राम राय की मृत्यु हो गई थी।
- इस युद्ध में ‘मलिक-ए-मैदान’ नामक एक तोप का इस्तेमाल किया गया था जो दुनिया में कास्ट कांस्य आयुध का सबसे बड़ा टुकड़ा था।
- हम्पी के दर्शनीय स्थल :
- विट्ठल मंदिर (भगवान विट्ठल- भगवान विष्णु का रूप)
- विरुपाक्ष मंदिर (भगवान शिव)
- कदलेकालु गणेश प्रतिमा
- लक्ष्मी नरसिम्हा प्रतिमा
- लोटस महल
- हजारा राम मंदिर (रामायण विषयों को दर्शाते हुए)।
|