प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध) |
संदर्भ
ईरान में चाबहार बंदरगाह और म्यांमार में सित्तवे बंदरगाह के संचालन के लिए अपनी सफल बोलियों के बाद, भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह पर एक टर्मिनल के परिचालन अधिकार प्राप्त कर एक महत्वपूर्ण रणनीतिक जीत हासिल की है।
मोंगला बंदरगाह के बारे में
- मोंगला बंदरगाह, चटगाव के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे व्यस्त बंदरगाह है।
- इस बंदरगाह की स्थापना 1950 में पूर्वी बंगाल के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र की सेवा के लिए की गई थी ।
- इसे पहले ‘चालना पोर्ट’ के नाम से जाना जाता था। 1987 में इसका प्रबंधन मोंगला पोर्ट अथॉरिटी (MPA) को सौंपे जाने के बाद इसका नाम बदलकर मोंगला बंदरगाह कर दिया गया।
- अवस्थिति : यह बंदरगाह दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश में बागरघाट जिले में स्थित है।
- प्रशूर नदी पर निर्मित यह बंदरगाह खाड़ी तट से लगभग 62 किलोमीटर उत्तर में है।
- कारोबार क्षमता :
- MPA 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मोंगला बंदरगाह के पास 50 जहाज़ ठहरने का स्थान, 153 कार्गो हैंडलिंग उपकरणों और 38 सहायक जहाज़ों के साथ 1,00,000 TEU ((twenty-foot long containers)) का आवागमन संभालने की क्षमता है।
- वर्तमान में, मोंगल बंदरगाह के पास प्रति वर्ष 17.8 मिलियन टन कार्गो को संभालने की क्षमता है।
- मोंगला से होने वाले मुख्य निर्यात में जूट, चमड़ा, तम्बाकू और जमी हुई मछली एवं झींगा शामिल हैं।
- यहां से होने वाले प्रमुख आयात में अनाज, सीमेंट, उर्वरक, कोयला और वूड पल्प अर्थात लकड़ी का गूदा शामिल है।
मोंगला बंदरगाह समझौता
- भारत ने बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह पर एक टर्मिनल के परिचालन अधिकार प्राप्त करने के समझौते को 23 जुलाई, 2024 को अंतिम रूप दिया।
- यह समझौता बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हाल ही में भारत यात्रा के बाद हुआ है, जहाँ दोनों देशों ने समुद्री क्षेत्र सहित कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- हिंद महासागर में अपने प्रभाव बढ़ाने और चीन की समुद्री महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने की भारत की व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में इस समझौते का विशेष महत्त्व है।
- परिचालन नियंत्रण : इंडियन पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) द्वारा।
समझौते के लाभ
- मोंगला बंदरगाह टर्मिनल के प्रबंधन से भारत की व्यापारिक कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
- यह बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने में सहायक होगा।
- 2018 में, बांग्लादेश ने भारत को पारगमन और कार्गो शिपिंग के लिए चटगाँव और मोंगला दोनों बंदरगाहों तक पूरी पहुँच प्रदान की, जिसने पहले ही द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दिया है।
- यह संकीर्ण और भीड़भाड़ वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर को दरकिनार करते हुए कोलकाता बंदरगाह तक वैकल्पिक पहुंच के माध्यम से भारत के भू-आबद्ध पूर्वोत्तर को समुद्री व्यापार के अवसर प्रदान करेगा।
- कोलकाता के करीब मोंगला बंदरगाह शिपमेंट के समय को काफी कम कर सकता है और व्यापार दक्षता में सुधार कर सकता है।
- भारत द्वारा इस बंदरगाह के माध्यम से काफी मात्रा में सस्ता माल ले जाया जा सकता है, क्योंकि शिपिंग एक आसान और सस्ता विकल्प है।
हिंद महासागर में चीन का बढ़ता प्रभाव
- चीन अपनी समुद्री रेशम मार्ग पहल के तहत हिंद महासागर में अपने प्रभाव के सक्रिय रूप से विस्तार के लिए पाकिस्तान में ग्वादर से लेकर पूर्वी अफ्रीका में जिबूती तक बंदरगाहों में निवेश कर रहा है।
- चीन द्वारा जिबूती में 78 मिलियन अमेरिकी डॉलर और ग्वादर में 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है।
- चीनी कंपनियाँ हिंद महासागर में 17 बंदरगाहों में शामिल हैं, जिनमें से वह 13 का निर्माण कर रही हैं और आठ परियोजनाओं में उनकी हिस्सेदारी है।
- हिंद महासागर से परे, चीनी कंपनियों ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देशों में बंदरगाहों या टर्मिनलों के लिए पट्टे भी हासिल किए हैं।
- चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव मेगा-प्रोजेक्ट वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी नोड्स के कुशल प्रबंधन पर आधारित है और यह बीजिंग के लिए उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।
- चीन के ऊर्जा आयात का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हिंद महासागर से होकर गुजरता है, जो चीन के लिए इन बंदरगाहों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है।
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मोंगला समझौते के रणनीतिक निहितार्थ
- समुद्री शक्ति का प्रदर्शन: मोंगला बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन अधिकारों को सुरक्षित करके, भारत का लक्ष्य अपनी समुद्री शक्ति को प्रदर्शित करना तथा हिंद महासागर में अपने हितों को सुरक्षित करना है, जो इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- मोंगला बंदरगाह के परिचालन नियंत्रण से भारत की व्यापारिक कनेक्टिविटी बढ़ने और समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
- चीन का प्रतिउत्तर : मोंगला बंदरगाह में भारत की भागीदारी न केवल बांग्लादेश के साथ उसके आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि चीन के बढ़ते समुद्री प्रभाव का मुकाबला भी करेगी।
- मोंगला बंदरगाह सौदे को इस क्षेत्र में चीन के बड़े पैमाने पर निवेश की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो प्रमुख समुद्री स्थानों पर भारत के प्रभाव को बढ़ाएगा और क्षेत्रीय सुरक्षा में इसकी भूमिका को मजबूत करेगा।
- बंगाल की खाड़ी में मजबूत नियंत्रण : यह बंदरगाह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत को बंगाल की खाड़ी में पैर जमाने का मौका देता है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जो तेजी से भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बनता जा रहा है।
निष्कर्ष
आगामी 25 वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक रूप से स्थित बंदरगाह प्रमुख शक्तियों के लिए अधिक महत्व प्राप्त करेंगे। मालदीव, जिबूती, पाकिस्तान में ग्वादर और श्रीलंका में हंबनटोटा में अपने बंदरगाह निवेश के माध्यम से चीन का पहले से ही इस क्षेत्र में बहुत बड़ा प्रभाव है। चीन के इस बढ़ते प्रभाव को रोकने एवं अपनी समुद्री सुरक्षा के लिए भारत को तटीय देशों के बंदरगाहों में और अधिक निवेश बढाने एवं परिचालन अधिकार प्राप्त करने की आवश्यकता है।