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मशीन लर्निंग मॉडल के लिए एक नई भाषा ‘स्ट्रॉन्ग’

प्रारंभिक परीक्षा

 (सामान्य विज्ञान)

मुख्य परीक्षा

(प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी) 

संदर्भ 

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरू के शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग (ML) मॉडल के लिए एक नई भाषा विकसित की है जो नैनोपोर्स के आकार एवं संरचना को वर्णों के अनुक्रम के रूप में कोडित करती है।

Nanopore-Geometry

  • IISc ने इस नई भाषा को ‘स्ट्रॉन्ग’ (STring Representation Of Nanopore Geometry : STRONG) नाम दिया है।
  • ‘स्ट्रॉन्ग’ भिन्न-भिन्न परमाणु विन्यासों को अलग-अलग अक्षर प्रदान करती है और नैनोपोर के किनारे (Edge of Nanopore) पर सभी परमाणुओं का एक क्रम बनाती है जिससे उसका आकार निर्धारित होता है।
  • इस भाषा का उपयोग किसी भी मशीन लर्निंग मॉडल को विभिन्न प्रकार की सामग्रियों में नैनोपोर्स के गुणों की भविष्यवाणी करने के लिए प्रशिक्षित करने में किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए, चैटजीपीटी की तरह न्यूरल नेटवर्क (मशीन लर्निंग मॉडल) स्ट्रॉन्ग में अक्षरों को पढ़कर यह समझ सकते हैं कि नैनोपोर कैसा दिखेगा और इसकी विशेषताएँ क्या होंगी।
  • शोधकर्ताओं ने ज्ञात गुणों (जैसे- ऊर्जा निर्माण या गैस परिवहन में अवरोध) वाले अनेक नैनोपोर संरचनाओं का उपयोग तंत्रिका नेटवर्क को प्रशिक्षित करने के लिए किया।
    • तंत्रिका नेटवर्क इस प्रशिक्षण डाटा का उपयोग एक अनुमानित गणितीय फ़ंक्शन का पता लगाने के लिए करता है जिसका उपयोग तब नैनोपोर के गुणों का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है जब इसकी संरचना STRONG अक्षरों के रूप में दी गई हो।
  • महत्व : इससे रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए अपार संभावनाएँ भी खुलती हैं जिसमें विशिष्ट गुणों के साथ एक नैनोपोर संरचना का निर्माण करना भी शामिल है, जो कि गैस पृथक्करण में विशेष रूप से उपयोगी है।

इसे भी जानिए!

नैनोपोर (Nanopores) के बारे में 

  • क्या है : नैनोपोर (Nanopores) नैनोमीटर व्यास वाले नैनोस्केल छिद्र होते हैं जिनका उपयोग नैनोपोर अनुक्रमण तकनीक (Nanopore Sequencing Technology) में किया जा सकता है। ये पोर्टेबल है, जैव रासायनिक अभिकर्मकों से स्वतंत्र होते है तथा जिन्हें भौतिक विधियों का उपयोग करके सीधे पढ़ा जा सकता है।
  • आकार : नैनोपोर का आकार बेलनाकार, शंक्वाकार या दोनों का संयोजन हो सकता है। उदाहरण के लिए, एक नैनोपोर में एक संकीर्ण बेलनाकार छिद्र हो सकता है जो एक शंक्वाकार क्षेत्र में खुलता है। यह फिर एक चौड़े व लंबे सिलेंडर की ओर जाता है जिसे ‘वेस्टिब्यूल’ कहते हैं।
  • निर्माण : नैनोपोर्स का निर्माण सिलिकॉन या ग्रैफीन जैसे सिंथेटिक पदार्थों में किया जा सकता है या उन्हें जैविक सब्सट्रेट में छिद्र-निर्माण प्रोटीन द्वारा बनाया जा सकता है।
  • अनुप्रयोग : नैनोपोर्स का अनुप्रयोगों विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है जिनमें शामिल हैं :
    • एकल-अणु का पता लगाना : जब एक नैनोपोर को विद्युतरोधी झिल्ली में स्थापित किया जाता है तो इसका उपयोग एकल अणुओं का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
    • डी.एन.ए. श्रृंखला बनाना : डी.एन.ए. स्ट्रैंड पर प्रत्येक बेस के आकार एवं विद्युत गुणों का आकलन डी.एन.ए. को नैनोपोर से गुजार कर किया जा सकता है। इससे शोधकर्ताओं को जीन में त्रुटियों का पता लगाने में मदद मिल सकती है जो कैंसर का कारण बन सकती हैं।
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