New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

आहार तथा चारा विकास संबंधी उप-मिशन

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 :पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।)

संदर्भ

केंद्र सरकार ने ‘आहार तथा चारा विकास संबंधी उप-मिशन’ (Sub-Mission on Fodder and Feed) शुरू किया है।

मिशन की आवश्यकता

  • भारतीय किसानों के सामने एक बड़ी बाधा पशुओं के लिये किफायती व अच्छी गुणवत्ता वाले आहार और चारे की कमी है।
  • ‘भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान’ के एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में आवश्यक प्रत्येक 100 किग्रा. आहार में 23.4 किग्रा. सूखे चारे, 11.24 किग्रा. हरे चारे तथा 28.9 किग्रा. केंद्रित आहार की कमी है। यह एक प्रमुख कारण है, जिसकी वजह से भारतीय पशुधन की दुग्ध उत्पादकता वैश्विक औसत से 20 से 60 प्रतिशत तक कम है।
  • यदि ‘इनपुट लागत’ की गणना की जाए तो यह निष्कर्ष निकलता है कि दुग्ध उत्पादन में लागत का 60 से 70 प्रतिशत आहार पर व्यय होता है।

महत्त्व

  • भारत सरकार द्वारा हाल में घोषित ‘आहार तथा चारा विकास संबंधी उप-मिशन’ का महत्त्व इस तथ्य से रेखांकित होता है कि पशुधन लगभग 13 करोड़ सीमांत किसानों के लिये नकद आय का प्रमुख स्रोत है और फसल की विफलता की स्थिति में एक ‘बीमा’ है।
  • अच्छी गुणवत्ता-युक्त आहार और चारे की कमी से मवेशियों की उत्पादकता प्रभावित होती है।
  • चूँकि, लगभग 200 मिलियन भारतीय ‘डेयरी और पशुपालन’ के व्यवसाय में शामिल हैं, इसलिये यह योजना गरीबी उन्मूलन के दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है।
  • इसके अतिरिक्त, पशु चारा संसाधनों की कमी संबंधी समस्याओं का समाधान करेगा, ताकि पशुधन को प्रोत्साहन देते हुए इसे भारत के लिये एक प्रतिस्पर्द्धी उद्यम बनाया जा सके तथा इसकी निर्यात क्षमता का भी उपयोग किया जा सके।

संशोधित मिशन

  • वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन’ आरंभ किया गया था। उस समय इस योजना के तहत गैर-वन बंजर भूमि/घास भूमि से चारा उत्पादन तथा मोटे अनाजों की कृषि में किसानों की सहायता करने पर ध्यान केंद्रित किया था।
  • हालाँकि, मूल्य श्रृंखला में ‘बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज’ की कमी के कारण यह मॉडल चारे की उपलब्धता को बनाए नहीं रख सका। इसलिये मुख्य रूप से बीज उत्पादन, आहार और चारा उद्यमियों के विकास में सहायता करने के लिये इस मिशन को संशोधित किया गया है।
  • अब इस संशोधित मिशन में ‘आहार और चारा उद्यमिता कार्यक्रम’ के तहत लाभार्थियों को 50 प्रतिशत प्रत्यक्ष पूंजी सब्सिडी तथा चिन्हित लाभार्थियों को चारा बीज उत्पादन पर 100 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

विशेषताएँ

  • आहार और चारा पर उप-मिशन उद्यमियों का एक नेटवर्क बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो साइलेज (हब) बनाएगा और उन्हें सीधे किसानों (स्पोक) को बेचेगा।
  • यह इस विचार पर आधारित है कि हब के वित्त पोषण से स्पोक का विकास होगा।
  • साइलेज के बड़े पैमाने पर उत्पादन से किसानों की इनपुट लागत में कमी आएगी, क्योंकि साइलेज ‘कन्संट्रेट फीड’ की तुलना में काफी सस्ता है।
  • अध्ययनों से संकेत मिलता है कि चारे का उत्पादन करने वाला कोई भी व्यक्ति गेहूँ और चावल जैसे सामान्य अनाज में 1.20 की तुलना में 1 का निवेश करके 1.60 का लाभ प्राप्त कर सकता है।
  • इस योजना के तहत निजी उद्यमी, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन, डेयरी सहकारी समितियाँ और धारा 8 कंपनियाँ (एन.जी.ओ.) लाभ उठा सकती हैं।
  • यह योजना लाभार्थी को बुनियादी ढाँचे के विकास तथा चारा / साइलेज / कुल मिश्रित राशन जैसे आहार में मूल्यवर्द्धन से संबंधित मशीनरी की खरीद के लिये परियोजना लागत की 50 लाख तक की पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करेगी।
  • इस योजना का प्रयोग बुनियादी ढाँचे/मशीनरी जैसे बेलिंग यूनिट, हार्वेस्टर, चैफ कटर, शेड आदि की लागत को कवर करने के लिये किया जा सकता है।
  • संशोधित मिशन को उत्पादकता बढ़ाने, इनपुट लागत को कम करने तथा बिचौलियों को दूर करने के उद्देश्य के साथ डिज़ाइन किया गया है।

लाभ

  • चारा क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती यह है कि अच्छी गुणवत्ता वाला हरा चारा वर्ष के लगभग तीन महीनों में ही उपलब्ध होता है। इसलिये, चारा उद्यमिता कार्यक्रम के तहत किसानों को साल भर आहार की एक सतत् आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिये सब्सिडी और प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
  • इसका मुख्य लक्ष्य यह है कि किसानों को दो फसल मौसमों के मध्य हरा चारा उगाने में सक्षम बनाना है, जिसे उद्यमी इसे साइलेज में परिवर्तित कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, डेयरी किसानों के लिये गुणवत्ता-युक्त चारे को सुनिश्चित करने के लिये सूखे आहार की कीमत के दसवें हिस्से पर इसे निकट के बाज़ारों में बेचा जा सके।

निष्कर्ष

इस संदर्भ में, देश भर में कई स्टार्ट-अप द्वारा साइलेज उद्यमिता का मॉडल सफल रहा है। चूँकि, भारत में 535.78 मिलियन पशुओं की आबादी है, अतः इस योजना का प्रभावी क्रियान्वयन हमारे किसानों के लिये निवेश पर लाभ बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR