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इसरो द्वारा लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV- D2) का सफल प्रक्षेपण

प्रारंभिक परीक्षा – इसरो, लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)
मुख्य परीक्षा  : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 – अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी,  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ

सन्दर्भ 

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV- D2) का सफल प्रक्षेपण किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य

ISRO

  • SSLV- D2 द्वारा इसरो के ईओएस-07, Janus-1 और आजादीसैट-2 उपग्रहों को गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया। 
  • Janus-1 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित Antaris और उसके भारतीय भागीदारों XDLinks और Ananth Technologies द्वारा बनाया गया है।
  • आज़ादीसैट-2 को चेन्नई में स्पेस किड्ज़ इंडिया स्टार्ट-अप द्वारा निर्देशित भारत भर में लगभग 750 छात्राओं द्वारा विकसित किया गया है।
  • EOS-07 को इसरो द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है।
    • इसका उद्देश्य भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक माइक्रोसेटेलाइट और नई तकनीकों के साथ संगत पेलोड उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना है।

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV)

SSLV

  • एसएसएलवी 'लॉन्च-ऑन-डिमांड' के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकता है।
  • लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एक 3 चरण का प्रक्षेपण यान है, जिसे टर्मिनल चरण के रूप में तीन ठोस प्रणोदन चरणों और तरल प्रणोदन आधारित वेग ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) के साथ संरूपित किया गया है।
  • यह एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला रॉकेट है, जिसका उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है। 
  • एसएसएलवी की प्रमुख विशेषताएं -
    • कम लागत।
    • कम टर्न-अराउंड समय।
    • कई उपग्रहों को समायोजित करने का लचीलापन।
    • लॉन्च-ऑन-डिमांड व्यवहार्यता।
    • न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यकताएं।
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