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CE20 क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने CE20 क्रायोजेनिक इंजन का समुद्र तल पर गर्म परीक्षण सफलतापूर्वक किया है।

CE20-Cryogenic-Engine

CE20 क्रायोजेनिक इंजन

  • CE20 क्रायोजेनिक इंजन, लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) के लिए इसरो द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित इंजन है।
  • CE-20 इंजन के शामिल होने से अतिरिक्त प्रणोदक लोडिंग के साथ LVM3 की पेलोड क्षमता 450 किलोग्राम तक बढ़ जाएगी 
    • यह इंजन अधिक थ्रस्ट उत्पन्न करने में सक्षम है, और अंतरिक्ष में बहुत अधिक पेलोड द्रव्यमान उठा सकता है।
  • CE20 इंजन में प्रमुख संशोधनों में, 3D-मुद्रित LOX (लिक्विड ऑक्सीजन) और LH2 (लिक्विड हाइड्रोजन) टर्बाइन एग्जॉस्ट केसिंग और थ्रस्ट कंट्रोल वाल्व (TCV) शामिल है।
  • क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग रॉकेट लॉन्च के ऊपरी चरण में किया जाता है, क्योंकि वे लॉन्चर वाहन को अधिकतम थ्रस्ट प्रदान करते है।

क्रायोजेनिक इंजन

  • क्रायोजेनिक इंजन एक रॉकेट इंजन है, जो क्रायोजेनिक ईंधन या ऑक्सीडाइज़र का उपयोग करता है 
    • इसके ईंधन या ऑक्सीडाइज़र (या दोनों) गैसों को तरलीकृत किया जाता है, और बहुत कम तापमान पर संग्रहीत किया जाता है।
  • इसमे प्रणोदक के रूप में तरल गैसों का उपयोग किये जाने के कारण, क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन को तरल प्रणोदक रॉकेट इंजन भी कहा जाता है।
  • पारंपरिक ठोस और तरल प्रणोदक रॉकेट इंजनों की तुलना में, यह इंजन जलाए गए प्रत्येक किलोग्राम ईंधन के लिए अधिक थ्रस्ट प्रदान करते है।
  • यह इंजन, क्रायोजेनिक प्रणोदक का उपयोग करता है, अर्थात ईंधन के रूप में -265 डिग्री सेल्सियस पर तरल हाइड्रोजन और ऑक्सीकारक के रूप में -240 डिग्री सेल्सियस पर तरल ऑक्सीजन का प्रयोग करता है।
  • क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन के  प्रमुख घटक हैं - दहन कक्ष (थ्रस्ट चैंबर), पायरोटेक्निक इनिशिएटर, फ्यूल इंजेक्टर, फ्यूल क्रायोपंप, ऑक्सीडाइजर क्रायोपंप, गैस टर्बाइन, क्रायो वाल्व, रेगुलेटर, फ्यूल टैंक और रॉकेट इंजन नोजल।
  • अभी तक सिर्फ, छह देशों ने अपने क्रायोजेनिक इंजन विकसित किए हैं - अमेरिका, फ्रांस/यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, रूस, चीन, जापान और भारत।

क्रायोजेनिक तकनीक का भारत के लिए महत्व

  • क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग, इसरो द्वारा अपने जीएसएलवी कार्यक्रम के लिए किया जाता है, यह भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • इससे ईंधन के प्रति इकाई द्रव्यमान में उच्च ऊर्जा निकलती है, जो इसे अंतरिक्ष मिशनों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाती है।
  • क्रायोजेनिक तकनीक, ईंधन के रूप में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग करती है, और पानी को उप-उत्पाद के रूप में छोड़ती है, यह इसकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, क्योंकि इसके उपयोग से कोई प्रदूषण नहीं होता है।

प्रश्न  - क्रायोजेनिक इंजन में ऑक्सीकारक के रूप में किसका प्रयोग किया जाता है ?

(a) -265 डिग्री सेल्सियस पर तरल ऑक्सीजन

(b) -240 डिग्री सेल्सियस पर तरल हाइड्रोजन

(c) -265 डिग्री सेल्सियस पर तरल हाइड्रोजन 

(d) -240 डिग्री सेल्सियस पर तरल ऑक्सीजन

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