(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र :1 विज्ञान और प्रौद्योगिकी) |
चर्चा में क्यों
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और युगांडा सरकार द्वारा युगांडा में ‘सूडान वायरस रोग’ के प्रकोप की पुष्टि की गई है।
![](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images/SUDAN_VIRUS.jpg)
सूडान वायरस के बारे में
- क्या है : यह इबोला वायरस की तरह ‘ऑर्थोबोलावायरस परिवार’ (Orthoebolavirus family) से संबंधित है।
- रोग : इस वायरस से होने वाले रोग को ‘सूडान वायरस रोग’ (Sudan Virus Disease -SVD) कहा जाता है।
- इसे अक्सर रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है।
- खोज एवं नामकरण : पहली बार वर्ष 1976 में दक्षिणी सूडान में इस वायरस की पहचान की गई और वहीं के नाम पर इसका नामकरण किया गया।
- संक्रमण : इस वायरस का संक्रमण जंगली जानवरों से मनुष्यों में और फिर संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों में इसका प्रसार होता है।
- विशेषताएं : सूडान वायरस इबोला वायरस से बहुत निकट से संबंधित है, हालांकि दोनों वायरस की आनुवंशिक सामग्री और प्रोटीन भिन्न-भिन्न होते हैं।
- जिस कारण से उनमें प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने वाली एंटीजेनिक प्रोफाइल भी भिन्न-भिन्न होते हैं।
- इसका आशय यह है कि एक वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दूसरे वायरस से सुरक्षा नहीं देती है, इसलिए उस प्रजाति के लिए विशिष्ट टीके की आवश्यकता होती है।
लक्षण
- इसमें इबोला के समान लक्षण होते हैं जिसमें बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और गले में खराश आदि शामिल हैं।
- इसके अलावा उल्टी, दस्त, और आंतरिक एवं बाहरी रक्तस्राव भी होता है।
निदान परीक्षण
- सीरोलॉजिकल परीक्षण (Serological test)
- एंटीजन परीक्षण (Antigen test)
- आणविक परीक्षण(Molecular test)
क्या आप जानते हैं
- जलवायु परिवर्तन का नए और उभरते संक्रमणों जैसे इबोला, सूडान वायरस और क्रीमियन-कांगो वायरस रोग आदि के भौगोलिक वितरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
|