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आत्महत्या की चिंताजनक स्थिति

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे; भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव)

संदर्भ

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के स्वास्थ्य मैट्रिक्स एवं मूल्यांकन संस्थान (IHME) के शोधकर्ताओं ने वर्ष 1990 से 2021 तक क्षेत्र, देश, वर्ष, आयु, लिंग एवं आग्नेयास्त्रों से आत्महत्या के आधार पर वैश्विक रोग बोझ के आंकड़ों का गहन अध्ययन किया।

आत्महत्या पर प्रकाशित नवीनतम शोध के बारे में 

  • यह अध्ययन द लैंसेट पब्लिक हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। 
  • अध्ययन का शीर्षक : आत्महत्या का वैश्विक, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय बोझ, 1990–2021: वैश्विक रोग बोझ अध्ययन 2021 के लिए एक व्यवस्थित विश्लेषण
  • इस अध्ययन का उद्देश्य आत्महत्या के बोझ के वैश्विक, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय अनुमानों का एक व्यापक सेट प्रस्तुत करना था।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 

  • वार्षिक आत्महत्या रिपोर्ट : वैश्विक स्तर पर प्रत्येक वर्ष लगभग 740,000 आत्महत्याएँ रिपोर्ट की जाती हैं अर्थात हर 43 सेकंड में एक आत्महत्या होती है।
  • वैश्विक आत्महत्या दर में गिरावट : पिछले 30 वर्षों में वैश्विक आत्महत्या दर में लगभग 40% की कमी आई है, जो प्रति 100,000 लोगों पर लगभग 15 मौतों से घटकर प्रति 100,000 पर 9 हो गई है।
    • महिलाओं के लिए इस दर में 50% से अधिक की कमी आई है और पुरुषों के मामले में यह लगभग 34% कम हुई है।
    • पूर्वी एशिया में सबसे अधिक 66% की गिरावट देखी गई, जिसमें चीन सबसे आगे रहा है।
  • क्षेत्रीय भिन्नताएँ : 
    • मध्य लैटिन अमेरिका में सबसे अधिक 39% की वृद्धि हुई, जबकि मेक्सिको में महिलाओं के मामले में 123% की वृद्धि हुई है। 
    • एंडियन लैटिन अमेरिका में 13% की वृद्धि हुई, जिसमें इक्वाडोर सबसे आगे है। 
    • एंडियन देश दक्षिण अमेरिकी देशों के एक समूह को संदर्भित करता है जिसमें पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया एवं बोलीविया शामिल हैं। 
    • उष्णकटिबंधीय लैटिन अमेरिका में 9% की वृद्धि देखी गई, जिसमें पैराग्वे सबसे आगे रहा।
    • उच्च आय वाले उत्तरी अमेरिका में 7% की वृद्धि देखी गई, जबकि अमेरिका में महिलाओं के मामले में 23% की वृद्धि दर्ज की गई।
  • जोखिम कारक : हिंसा, यौन उत्पीड़न एवं बचपन के आघात के शिकार लोगों में आत्महत्या का जोखिम अधिक होता है। 
    • बंदूक एवं कीटनाशकों जैसे घातक साधनों तक पहुँच और गरीबी तथा सामाजिक अभाव जैसे कारक भी उच्च आत्महत्या दरों से संबंधित हैं।
  • लिंग भेद : पुरुषों में आत्महत्या से मरने की संभावना महिलाओं की तुलना में दोगुनी से भी ज़्यादा है लेकिन महिलाओं में आत्महत्या का प्रयास करने की संभावना 49% अधिक है।
    • वैश्विक आत्महत्या मृत्यु दर पुरुषों के लिए 100,000 में 12.8 और महिलाओं के लिए 100,000 में 5.4 है।
  • आयु प्रवृत्तियाँ : पुरुष एवं महिलाएँ दोनों ही जीवन के अंतिम चरण में आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या से मृत्यु की औसत आयु वर्ष 1990 से 2021 तक बढ़ रही है।
    • वर्ष 1990 में पुरुषों में आत्महत्या की औसत आयु 43 वर्ष थी जबकि महिलाओं के लिए यह लगभग 42 वर्ष थी। वर्ष 2021 तक यह दोनों के लिए 47 वर्ष हो गई।
  • वैश्विक रैंकिंग : वर्ष 2021 में वैश्विक मृत्यु के कारणों में आत्महत्या 21वें स्थान पर रही है, जो एच.आई.वी./एड्स से भी अधिक है।
    • सर्वाधिक आत्महत्या दरें पूर्वी यूरोप, दक्षिणी उप-सहारा अफ्रीका एवं मध्य उप-सहारा अफ्रीका में थीं।
    • पुरुषों के लिए आत्महत्या मृत्यु का 19वां प्रमुख कारण रहा है जबकि महिलाओं के लिए यह 27वें स्थान पर रहा है।

आगे की राह

मानसिक स्वास्थ्य सहायता

मानसिक चिकित्सकों द्वारा इस सामाजिक कलंक को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य सहायता तक पहुँच में सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है, विशेष रूप से संज्ञानात्मक एवं मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकारों वाले लोगों के लिए।

प्रभावी आत्महत्या रोकथाम

आत्महत्या के पैटर्न को समझने से दुनिया भर में आत्महत्या की रोकथाम के बेहतर तरीके विकसित करने में मदद मिल सकती है। प्रभावी रोकथाम में जागरूकता, हस्तक्षेप एवं सहायता प्रणालियों में सामुदायिक प्रयास शामिल हैं।

आत्महत्या के साधनों तक पहुँच कम करना

  • आत्महत्या से होने वाली मौत के जोखिम को कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है आत्महत्या के संकट में फंसे व्यक्तियों को आत्मक्षति के घातक तरीकों को प्राप्त करने और उनका उपयोग करने से रोकना। 
  • इसमें संकट में फंसे लोगों के परिवारों को दवाओं एवं आग्नेयास्त्रों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने, बंदूक सुरक्षा ताले वितरित करने, दवा की पैकेजिंग बदलने और पुलों पर अवरोध लगाने के बारे में शिक्षित करना शामिल है।

जीवन कौशल और लचीलापन बढ़ाना 

लोगों को जीवन कौशल (जैसे- आलोचनात्मक सोच, तनाव प्रबंधन) विकसित करने में मदद करके आर्थिक तनाव, तलाक, शारीरिक बीमारी और बुढ़ापे जैसी चुनौतियों का सुरक्षित तरीके से सामना करने के लिए तैयार कर सकते हैं। 

इसे भी जानिए!

भारत में आत्महत्या संबंधी मुद्दा 

  • भारत में आत्महत्या की व्यापकता वैश्विक औसत से अधिक हैवर्ष 2020 में प्रति 100000 जनसंख्या पर आत्महत्या दर 11.3 थी।
  • वर्ष 2017 के मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (MHCA 2017) ने भारत में आत्महत्या को अपराध मुक्त कर दिया है किंतु राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति की अनुपस्थिति प्रभावी आत्महत्या रोकथाम में एक बड़ी बाधा थी। 
  • भारत ने 21 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (NSPS) की शुरूआत की।

भारत की राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति

  • यह भारत में आत्महत्या की रोकथाम को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाने वाली पहली नीति है। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2020 की तुलना में 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर को 10% कम करना है।
  • NSPS का लक्ष्य प्रभावी निगरानी तंत्र (वर्ष 2025 तक) स्थापित करके सभी जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम सेवाएँ स्थापित करके (वर्ष 2027 तक) और सभी शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक कल्याण पाठ्यक्रम को एकीकृत करके (वर्ष 2030 तक) इस लक्ष्य को प्राप्त करना है।
  • रणनीति में इसके प्राथमिक लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों के लिए कार्यान्वयन रूपरेखा शामिल है, जिसमें बहुस्तरीय हितधारकों (राष्ट्रीय स्तर पर मंत्रिस्तरीय हितधारक, राज्य एवं जिला स्तर पर सरकारी हितधारक, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान व रणनीतिक सहयोगी) को शामिल किया गया है।
  • यह रणनीति आत्महत्या के बोझ को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कम करने में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा चलाए जा रहे मौजूदा कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देती है। 
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