चर्चा में क्यों
विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रे वाटर अर्थात् रसोई, स्नान और कपड़े धोने से निकलने वाले पानी के पुन: उपयोग के लिये एक देशव्यापी परियोजना ‘सुजलाम 2.0’ की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि अकेले ग्रामीण भारत द्वारा प्रतिदिन 31,000 मिलियन टन ग्रे वाटर छोड़ा जाता है। यह अनुपयोगी जल पूरे देश में समान रूप से संगृहीत करने पर सूखे से निपटने के लिये पर्याप्त है।
- आंकड़ों के अनुसार, भारत के 190 मिलियन ग्रामीण परिवारों में से 90 मिलियन घरों (लगभग 47.3%) में ही नल-जल कनेक्शन है।
ग्रे वाटर
घरों एवं कार्यालयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल (शौचालय को छोड़कर) को 'ग्रे वाटर' कहते हैं। ग्रे वाटर के स्रोतों में सिंक, वर्षा, स्नान, वाशिंग मशीन तथा डिशवॉशर आदि से निकले अपशिष्ट जल को शामिल किया जाता है।
ग्रे वाटर के पुनर्चक्रण का महत्त्व
- पर्यावरण को संभावित क्षति से बचा सकता है।
- ताजे पानी की मांग को कम कर सकता है।
- वर्षा जल संचयन के विपरीत ग्रे वाटर अप्रत्याशित और परिवर्तनशील वर्षा पर निर्भर नहीं है।
- चूँकि इसमें बड़े कार्बनिक अणु अनुपस्थित होते है, अतः इसका शोधन किया जा सकता है।
- यदि घरेलू स्तर पर इसे रिसाइकल/पुनर्चक्रित कर उपयोग में लाया जा सके तो पानी की समस्या दूर हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया में ग्रे वाटर का शत् प्रतिशत उपयोग किया जाता है।
विश्व जल दिवस
- विश्व जल दिवस का आयोजन 22 मार्च को किया जाता है, जिसे वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने शुरू किया था।
- विश्व जल दिवस का मुख्य फोकस ‘सतत विकास लक्ष्य 6: वर्ष 2030 तक सभी के लिये स्वच्छ जल और स्वच्छता की दिशा में कार्रवाई’ को प्रेरित करना है।
- वर्ष 2022 के विश्व जल दिवस का विषय ‘भूजल : अदृश्य को दृश्यमान बनाना’ है।