केरल के वायनाड में स्थित ‘सुल्तान बाथेरी’ का नाम परिवर्तित कर गणपतिवट्टम करने की मांग की हैं।
सुल्तान बाथेरी पत्थर से निर्मित एक मंदिर है जिसे गणपतिवट्टम के नाम से जाना जाता था।
विजयनगर राजवंश की प्रचलित स्थापत्य शैली में निर्मित इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में वर्तमान तमिलनाडु एवं कर्नाटक के क्षेत्रों से वायनाड में आए जैनियों ने कराया था।
18वीं सदी के उत्तरार्ध में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के आक्रमण के दौरान मंदिर आंशिक रूप से नष्ट हो गया था।
टीपू सुल्तान ने इसे हथियारों के भंडारगृह के रूप में उपयोग किया था।
लगभग 150 वर्षों तक परित्यक्त रहने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे अपने अधिकार में लेकर राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है।
समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सुल्तान बाथरी में पूरे वर्ष समशीतोष्ण जलवायु रहती है।