संदर्भ
झारखंड सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिये राज्य में ‘समर’ (Strategic Action for Alleviation of Malnutrition and Anemia Reduction- SAAMAR) अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इस अभियान का उद्देश्य रक्ताल्पता से पीड़ित महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों की पहचान करना और इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये विभिन्न विभागों में सामंजस्य स्थापित करना है।ध्यातव्य है कि झरखंड अपने गठन के 20 वर्ष बाद भी राज्य व्यापक रूप से कुपोषण ग्रस्त है।
प्रमुख बिंदु
- समर अभियान को 1000 दिनों की लक्षित अवधि के साथ लॉन्च किया गया है, जिसमें प्रगति की जाँच करने के लिये वार्षिक सर्वेक्षण किया जाएगा।
- गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों की स्वास्थ्य-देखभाल उत्तरदायित्व आँगनवाड़ी केंद्रों को सौंपा जाएगा तत्पश्चात्‘ कुपोषण उपचार केंद्रों’ में उनका इलाज किया जाएगा। साथ ही, रक्ताल्पता से पीड़ित महिलाओं को भी सूचीबद्ध किया जाएगा और गंभीर मामलों में स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाएगा।
- एम.यू.ए.सी.(Mid-Upper Arm Circumference - MUAC) टेप और एडिमा स्तरों (Edema levels) के माध्यम से रक्ताल्पता से पीड़ित महिलाओं एवं कुपोषण ग्रस्त बच्चों की जाँच की जाएगी।उल्लेखनीय है कि एडिमा में शरीर के ऊतकों में अतिरिक्त तरल पदार्थ फँसने अथवा कुपोषण के कारण शरीर के किसी भाग या संपूर्ण शरीर में सूजन आ जाती है। दरअसल एडिमा वास्तव में एक बीमारी नहीं है,बल्कि एक लक्षण है।
- जाँच के उपरांत आँगनवाड़ी की सहायिकाएँ/सेविकाएँ उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र ले जाएंगी,जहाँ उनकी पुनः जाँच की जाएगी और राज्य पोषण मिशन के पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा।
- इस अभियान में झारखंड के 17 ज़िलों में ‘तेजस्विनी परियोजना’ की अवसंरचना का लाभ लेते हुए 12,800 महिलाओं और किशोरिओं के समूह का निर्माण किया जाएगा, जिन्हें विभिन्न कौशल, उद्यमिता व नौकरियों के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन सभी को पोषण संबंधी व्यवहार के संबंध में शिक्षित किया जाएगाऔर साथ में एक स्वास्थ्य और पोषण कार्ड भी दिया जाएगा,जहाँ उन्हें उनके वज़न, ऊँचाई, बॉडी मास इंडेक्स और हीमोग्लोबिन की जानकारी दी जाएगी। पर्यवेक्षण के तहत उन्हें आयरन-फॉलिक एसिड और डीवर्मिंग गोलियों का सेवन करने के लिये प्रेरित भी किया जाएगा।
- परियोजना में एप की मदद से डाटा संग्रह किया जाएगा। इस अभियान के लिये बनाई गई टीम अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण से संबंधित जानकारी जुटाएगी।साथ ही साथ, रक्ताल्पता से पीडि़त 15 से 35 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों, महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भीली जाएगी।
झारखंड में कुपोषणकी स्थिति
- मार्च 2017 से जुलाई 2017 के दौरान हुए व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (Comprehensive National Nutrition Survey) केअनुसार, झारखंड के पाँचवर्ष से कम उम्र के 36% बच्चे बौने (Stunted) एवं 29% बच्चे वेस्टिंग सिंड्रोम से पीड़ित तथा45%बच्चों का वज़न सामान्य से कम था, यह वृहत स्तर पर कुपोषण का संकेत है ।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आँकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 70% बच्चे और 65% महिलाएँ रक्ताल्पता से पीड़ित हैं।
- राज्य सरकार इस स्थिति से निपटने के लिये, राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत विभिन्न बाल विकास योजनाओं का संचालन अवश्यकर रही है,लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
- लड़कियों की कम उम्र में शादी, कम उम्र में माँ बन जाना, साथ ही बच्चे के जन्म से अगले एक वर्ष तक बच्चों और उनकी माताओं को पर्याप्त मात्रा में आहार नहीं मिलना; कुपोषण के प्राथमिक और प्रमुख कारण हैं।