चर्चा में क्यों
हाल ही में लद्दाख के आसमान पर एक दुर्लभ खगोलीय घटना "दोहरा सूर्य प्रभामंडल" (Double Sun Halo) देखा गया।
क्या होता है दोहरा सूर्य प्रभामंडल
- दोहरा सूर्य प्रभामंडल जिसे ‘22 डिग्री सन हेलो’ या ‘पैरी हेलीओ’ भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक प्रकाशिकीय घटना है जिसमें सूर्य के चारों ओर दो चमकदार सफेद या रंगीन छल्ले दिखाई देते है।
- यह एक प्रकार का प्रकाशकीय भ्रम है, जो सूर्य से आने वाला प्रकाश के सिरस (cirrus) बादलों के बीच मौजूद बर्फ के क्रिस्टलों से होकर गुजरने के कारण बनता है।
- ये क्रिस्टल, आमतौर पर षट्कोणीय आकार के होते हैं, जो प्राकृतिक प्रिज्म की तरह काम करते हैं।
- सूर्य का प्रकाश बर्फ के क्रिस्टल से होकर गुजरता है, बर्फ के क्रिस्टल सूर्य के प्रकाश को अपवर्तित कर देते हैं।
- भारत के कई हिस्सों में सूर्य प्रभामंडल (सूर्य के चारों ओर इस वृत्ताकार इंद्रधनुष रुपी रचना) एक सामान्य घटना रही है, हालांकि, दोहरा प्रभामंडल एक दुर्लभ घटना है।
- आंतरिक छल्ला : यह छल्ला सबसे छोटा और सबसे चमकीला होता है। यह 22 डिग्री के कोण पर दिखाई देता है, इसलिए इसे 22 डिग्री सन हेलो कहा जाता है।
- बाहरी छल्ला : यह छल्ला बड़ा और कम चमकीला होता है। यह 46 डिग्री के कोण पर दिखाई देता है।
महत्व
- खगोलविद और वायुमंडलीय वैज्ञानिक इन प्रभामंडलों का अध्ययन करके वायुमंडलीय स्थितियों और उनके निर्माण के लिए जिम्मेदार बर्फ के क्रिस्टल के गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
- ये अवलोकन मौसम पूर्वानुमान मॉडल और वायुमंडलीय प्रकाशिकी की हमारी समझ को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
- यदि कहीं पर भी दोहरा सूर्य प्रभामंडल दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि ऊंचाई में बर्फ के क्रिस्टल हैं, जो बारिश या बर्फबारी का संकेत हो सकते हैं।