भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, बिहार में प्रतिवर्ष 10,000 टन मखाना का उत्पादन होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 90% है।
मखाना के बारे में
- यह एक सुपरफ़ूड है, जिसे कमल के बीज या गोरगन नट (Gorgon Nut) के रूप में भी जाना जाता है।
- इसका वानस्पतिक नाम यूरीले फेरोक्स सैलिस्ब (Euryale Ferox Salisb) है, जो निम्फियासी (Nympheaceae) कुल से संबंधित है।
- यूरयाले फेरोक्स सैलिस्ब, दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन की मूल प्रजाति है।
- उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल एक जलीय फसल है।
- यह आमतौर पर तालाबों, कुछ भूमि निक्षेपों, गोखुर (Oxbow) झीलों, दलदलों एवं खाइयों सहित स्थिर जल निकायों में पाया जाता है।
- इसके बीजों की बुआई दिसंबर व जनवरी में की जाती है, प्रतिरोपण फरवरी व मार्च में की जाती है। फसल की कटाई जुलाई व अक्तूबर के बीच की जाती है।
मखाने का पोषण महत्व
- उच्च फाइबर अवशोषक के रूप में
- प्राकृतिक सोडियम की मात्रा नगण्य होने से रक्तचाप को नियंत्रित करने में
- पोटैशियम की मात्रा अधिक होने के साथ-साथ कैल्शियम, विटामिन बी1, कैरोटीन, आयोडीन, आयरन एवं फॉस्फोरस के स्रोत के रूप में
- निम्न कैलोरी के कारण दैनिक तौर पर खाना में
- उच्च पोषण मूल्य और उपचार गुणों के कारण मखाना का उपयोग आयुर्वेद, पारंपरिक चीनी चिकित्सा (TCM) में वजन घटाने, अनिद्रा, दस्त, गुर्दे की बीमारी, पाचन समस्याओं, पुरानी सूजन, हड्डी व दांतों के स्वास्थ्य प्रबंधन और अन्य सामान्य बीमारियों के प्रबंधन में
- ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) का निम्न स्तर
- इसका अर्थ है कि यह शरीर द्वारा धीरे-धीरे अवशोषित होता है और मनुष्यों में शर्करा के स्तर को कम नहीं करता है। इसलिए, यह मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए सहायक है।
मखाने की व्यावसायिक खेती
- वैश्विक स्तर पर मुख्यत: भारत, चीन एवं पाकिस्तान द्वारा मखाना का उत्पादन किया जाता है।
- हालांकि, भारत अकेले दुनिया के 80% मखाना मांग को पूरा करता है।
- इसे ब्लैक डायमंड भी कहा जाता है क्योंकि यह बिहार व मणिपुर में आय एवं आजीविका का एक स्थिर स्रोत हैं।
- इस नकदी फसल को पॉप्ड मखाना के रूप में बेचा जाता है। इसका बाजार अमेरिका और यूरोप से लेकर संयुक्त अरब अमीरात व दक्षिण-पूर्व एशिया तक विस्तृत है।
बिहार में मखाना
- बिहार में इसके प्रसंस्करण में ज़्यादातर मल्लाह समुदाय के लोग शामिल हैं।
- बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र के नौ जिले इसके उत्पादन में अग्रणी हैं जिनमें दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज व सीतामढी शामिल हैं।
- सुवर्ण वैदेही मखाना की प्रसिद्ध किस्म है। मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेतक टैग (GI Tag) भी प्राप्त है।