New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

पारिस्थितकी संवेदनशील क्षेत्र पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायलय ने निर्देश दिया है कि देश भर में प्रत्येक संरक्षित वन, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य में उनकी सीमांकित सीमाओं से कम से कम एक किमी. तक  अनिवार्य पारिस्थितकी संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) का निर्माण होना चाहिये।

प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायलय ने यह निर्णय तमिलनाडु के नीलगिरी ज़िले में वन भूमि की सुरक्षा के लिये दायर एक याचिका पर दिया है।
  • अदालत ने निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के भीतर खनन की अनुमति नहीं होगी।
  • साथ ही, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भी ई.एस.जेड. के भीतर विद्यमान संरचनाओं की एक सूची बनाने और तीन महीने में शीर्ष अदालत को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
  • विदित है कि सर्वोच्च न्यायलय के इस हालिया निर्णय का केरल में व्यापक विरोध किया जा रहा है, क्योंकि केरल के संरक्षित क्षेत्रों के 1 किमी. के दायरे में घनी आबादी का निवास है।

केरल में भ्रम की स्थिति 

  • सर्वोच्च न्यायलय के निर्देश के अनुसार, केरल के संरक्षित क्षेत्रों जैसे इडुक्की में कुमिली और पेनावु तथा वायनाड में बथेरी के निकट स्थित कुछ कस्बे एवं मानव आवास ई.एस.जेड. के तहत आएंगे। हालांकि, यह अधिसूचना बड़े पैमाने पर बस्तियों को प्रभावित नहीं करेगी।
  • हालिया निर्णय के अनुसार ई.एस.जेड. के भीतर स्थायी संरचनाओं के निर्माण पर प्रतिबंध को छोड़कर अन्य कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। 
  • ई.एस.जेड. में निषिद्ध गतिविधियों को छोड़कर सभी चल रही गतिविधियाँ प्रधान मुख्य वन संरक्षक की अनुमति से जारी रह सकती हैं। लेकिन ऐसी गतिविधियों के लिये छह महीने के भीतर आवश्यक अनुमति लेनी होगी।
  • इस क्षेत्र में निषिद्ध गतिविधियों के अंतर्गत वाणिज्यिक खनन, जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना, जलाऊ लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग, किसी भी खतरनाक पदार्थ का उत्पादन, पर्यटन गतिविधियाँ जैसे कि किसी भी विमान द्वारा संरक्षित क्षेत्र को पार करना, गर्म हवा के गुब्बारे (Hot Air Balloons), प्राकृतिक जल निकायों या स्थलीय क्षेत्रों में ठोस अपशिष्टों का निर्वहन आदि शामिल हैं। 
  • विदित है कि केरल में 25 संरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें 18 वन्यजीव अभ्यारण्य, छह राष्ट्रीय उद्यान और एक सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र सम्मिलित हैं। इन संरक्षित क्षेत्रों में से अधिकांश में न्यूनतम निर्धारित ई.एस.जेड. 1 किमी. से अधिक है। परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में 10.09 किमी., साइलेंट वैली नेशनल पार्क में 9.8 किमी. चिमोनी वन्यजीव अभयारण्य में 9.5 किमी., शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य में 6.5 किमी. तथा वायनाड वन्यजीव अभयारण्य में 4 किमी. का ई.एस.जेड. शामिल है। 

पारिस्थितकी संवेदनशील क्षेत्र

राष्ट्रीय उद्यानों, वनों और अभयारण्यों के आसपास ई.एस.जेड. घोषित करने का उद्देश्य संरक्षित क्षेत्रों के लिये ‘शॉक एब्जॉर्बर’ (Shock Absorber) या ‘संक्रमण का क्षेत्र’ बनाना है। यह स्थान उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों से कम सुरक्षा वाले क्षेत्रों में ‘संक्रमण क्षेत्र’ के रूप में कार्य करते हैं।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR